भारत पर मंगोल आक्रमण के प्रभाव | Effects of Mongol Invasion on India (jpsc मैन्स के लिए इम्पोर्टेन्ट free pdf के साथ )

भारत पर मंगोल आक्रमण के प्रभाव | Effects of Mongol Invasion on India

भारत पर मंगोल आक्रमण के प्रभाव | Effects of Mongol Invasion on India


मंगोल शक्ति का उद्भव मध्य एशिया में दिल्ली सल्तनत के समकालीन ही हुआ। इसका नेतृत्व चंगेज खाँ (तेमुचिन) कर रहा था। इसने दशमलव पद्धति के आधार पर सैन्य समायोजन कर एक विशाल सैन्य ताकत के रूप में खुद को स्थापित किया तथा साम्राज्य बिस्तार की इच्छा से चंगेज खाँ एवं उसके उत्तराधिकारी ने भारत के उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर लगातार भीषण हमले किए।

जिसका दिल्ली सल्तनत पर व्यापक प्रभाव पड़ा। भारत में सर्वप्रथम मंगोल हमले की शुरूआत चंगेज खाँ ने इल्तुतमिश के काल में की। चंगेज खाँ ख्वारिज्म जीता तो ख्वारिज्म का शासक जलालुद्दीन मंगबरनी ने इल्तुतमिश से सैनिक सहायता की अपील की।

परंतु मंगबरनी को सहायता न देकर इलतुतमिश ने अपनी कुटनीतिक क्षमता से चंगेज खाँ का विश्वास जीत लिया और 1221 ई. में भारत पर से मंगोल आक्रमण टल गया। 1265 में सत्ता ग्रहण करने के बाद बलबन ने मंगोल आक्रमण से निपटने के लिए सुव्यवस्थित नीति को जन्म दिया |

जिस कारण दिल्ली सल्तनत की सीमांत नीति निर्धारित करने का क्रेडिट भी बलबन को दिया जाता है। इसके लिए बलबन ने उत्तर-पश्चिम सीमा का सैन्यीकरण किया। इसकी नीति आक्रामक न होकर रक्षात्मक थी। सर्वाधिक भीषण मंगोल आक्रमण का सामना अलाउद्दीन खिलजी ने किया।

इसके समय तरगी, सल्दी, कुतलुग ख्वाजा, कुबक, अली बेग तथा इकबाल मंदा के नेतृत्व में कई भीषण मंगोल आक्रमण हुए। कुतलुग ख्वाजा के हमले में जफर खाँ की मृत्यु सहित भारी सैन्य क्षति दिल्ली को उठानी पड़ी, जबकि तरगी के समय मंगोलों ने दिल्ली तक का घेरा डाला |

परंतु अलाउद्दीन खिलजी अपने धैर्य एवं सैनिक क्षमता के कारण न केवल सभी आक्रमण को विफल किया बल्कि आक्रामक नीति पर बढ़ते हुए समग्र पंजाब क्षेत्र पर अपना नियंत्रण भी स्थापित किया। इसके पहले यह क्षेत्र कभी दिल्ली सल्तनत के अधीन नहीं रहा।

हालांकि इसकी मृत्यु के बाद गयासुद्दीन तुगलक के काल में 29 (सर्वाधिक संख्या में) आक्रमण हुए , लेकिन इसकी भीषणता कम थी। अंतिम मंगोल आक्रमण मुहम्मद बिन तुगलक के काल में तरमासरीन ने किया। हालांकि महदी हुसैन इसे आक्रमण न मानकर सुल्तान से भेंट मानते है तथा इसी दौरान ख्वारिज्म अभियान की रूप रेखा निर्धारित होने का ब्योरा देते हैं।

फिर भी सुल्तान ने तरमासरीन को इस दौरान कई प्रकार के भेंट प्रदान किए। मंगोल आक्रमण का दिल्ली सल्तनत पर व्यापक प्रभाव पड़ा। मंगोलों का भय ही था कि दिल्ली सल्तनत मजबूत सैन्य संगठन की स्थापना हेतु प्रेरित हुआ।

मंगोल आक्रमण के कारण ही दिल्ली सल्तनत के शासक लंबे समय तक विस्तारवादी नीति का पालन नहीं कर सके और न ही राजपूत शक्ति का पूर्ण दमन करने में सफल हुए। इस आक्रमण का आर्थिक प्रभाव भी पड़ा, क्योंकि मंगोल आक्रमण से एक तरफ जहाँ मध्य एशिया से होने वाला व्यापार आगे नहीं बढ़ सका तो राजकोष पर लागातार दबाव बना रहा |

 जिसके कारण सल्तनतकालीन सुल्तान भारतीय प्रजा पर करों में वृद्धि करते रहे। इस कारण उन्हें प्रजा के असंतोष का भी सामना करना पड़ा। आगे चलकर यही विद्रोह पतन का कारण भी बना।

हालांकि सुल्तानों की सीमांत नीति को पूर्ण सफल मानना भी उचित नहीं है क्योंकि मंगोलों के बाद भी उत्तर-पश्चिम सीमा से लगातार हमले जारी रहे। इसी ओर से तैमूर लंग और बाबर के हमले ने दिल्ली सल्तनत को समाप्त कर दिया।


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