भारत में मानसून की उत्पत्ति,क्रियाविधि एवं विशेषताओं की व्याख्या करें |
भारत में मानसून की उत्पत्ति,क्रियाविधि एवं विशेषताओं की व्याख्या करें |
मानसून अस्थायी पवन है जो ग्रीष्म ऋतु में समुद्र से स्थल
की ओर एवं शीत ऋतु में
स्थल से समुद्री की ओर चलती है। इसकी उत्पति अरबी भाषा
के मौसिम शब्द से हुआ है जिसका अर्थ ऋतु होता है अतः मानसून वैसी
पवन है जो ऋतु परिवर्तन के साथ अपनी दिशा बदल लेती है | इसे पवनों का मौसमी उत्क्रमण
भी कहा जाता है। इसका सर्वप्रथम
अध्ययन अरबी भूगोलवेता अलमसूदी के
द्वारा किया गया था।
मानसून परिघटना को विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में जाना
जाता है जो यहां की
जलवायु, मौसम, कृषि तथा अन्य क्रियाकलाप
को प्रभावित करती है। आक्षांशीय विस्तार तथा स्थिति, भू-स्थलाकृति, सूर्य की अवस्थिति पर्वतीय अवरोध, पश्चिमी विक्षोभ, एलनिनो प्रभाव तथा दक्षिणी दोलन परिघटना भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले
प्रमुख कारक हैं।
भारत में मानसून का आगमन :- ग्रीष्म ऋतु में जब सूर्य की किरणें उतरी गोलार्ध में
सीधी पड़ती है जिससे यहां निम्न दाब के केंद्र का निर्माण होता है सूर्य की
अवस्थिति उत्तर की ओर होने के कारण निम्न दाब के केंद्र की पट्टी भी उतर की ओर
खिसकती है परिणामस्वरूप दक्षिण पूर्वी व्यापारिक पवन विषुवत रेखा को पार करती है
तथा फेरल के नियम के अनुसार अपनी दायीं ओर मुड़कर दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है, जिसे दक्षिण-पश्चिम मानसून कहा जाता है।
भारत में मानूसन का समय जून
से सितम्बर तक रहता है। इस समय
उत्तर पश्चिमी भाग तथा गंगा के मैदान में निम्न दाब की पट्टी का निर्माण होता है जिसे मानसून गर्त कहा जाता है। यहां दक्षिण
पश्चिम मानसून सर्वप्रथम 25
मई को अंडमान निकोबार तट पर पहुंचता है इसके पश्चात् 1 जून को चेन्नई एवं
तिरूअन्नतपुरम, 5-10 जून के मध्य कोलकाता
एवं मुम्बई, 10-15 जून के मध्य
पटना, अहमदाबाद, नागपुर तथा 15 जून के बाद लखनऊ, दिल्ली, जयपुर तथा अन्य क्षेत्रों
में पहुंच जाता है।
भारतीय प्रायद्वीप में आने के पश्चात् दक्षिण-पश्चिम मानसून दो शाखाओं में बँट जाती है।
1. अरब सागर की शाखा
2. बंगाल की खाड़ी की शाखा
1.अरब सागर की शाखा : मानसून की यह
शाखा अत्यधिक शक्तिशाली है जिससे भारत में 65 प्रतिशत वर्षा होती है। भारतीय तट पर पहुंचने पर यह तीन
शाखाओं में विभाजित हो जाती है।
(क) पहली शाखा
पश्चिमी घाट से टकराती है परिणामस्वरूप पश्चिम तटीय भाग में अधिक तथा पूर्वी तटीय भाग में कम
वर्षा होती है जिसे वृष्टि छाया प्रदेश कहा जाता है। उदाहरण- महाबालेश्वर में 650 सेमी वर्षा जबकि मुम्बई में 190 सेमी मंगलोर में 280 सेमी जबकि पूणे में 60 सेमी होती है।
(ख) इसकी दुसरी शाखा
नर्मदा तथा ताप्ती घाटियों से होकर मध्यवर्ती क्षेत्र में प्रवेश करती है। तट के निकट अवरोध
न होने के कारण यह दूर चली जाती है।
(ग) इसकी तीसरी शाखा
गुजरात के कच्छ से रण से प्रवेश करती है। उत्तर-पूर्वी दिशा में अरावली पर्वत के समानांतर चलती है।
इसके मार्ग में अवरोध
न होने के कारण राजस्थान में वर्षा नहीं होती है तथा आगे यह हिमालय से टकराकर वर्षा करती है। बंगाल की खाड़ी की शाखा तथा आगे यह हिमालय स
2.बंगाल की खाड़ी की शाखा : इस शाखा से भारत
में 35 प्रतिशत वर्षा होती है।
यह दो शाखाओं में विभाजित होती है।
(क) पहली शाखा गंगा
के डेल्टा प्रदेश को पार करके मेघालय के पठार में गारो, खांसी जयंतिया की अवस्थिति तथा कीपाकार आकृति के कारण चेरापूंजी के पश्चिम
में स्थित मासिनराम में (1221 सेमी) विश्व की सबसे अधिक वर्षा
होती है।
(ख) दुसरी शाखा सीधे
हिमालय से टकराती है तथा इसके समानांतर चलती है और बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों में वर्षा कराती है। पूर्व से
पश्चिम की ओर जाने पर क्रमश: वर्षा की मात्रा कम होती जाती है तथा दिल्ली के निकट अरब सागर
की शाखा से मिल जाती है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों से होने वाली वर्षा अनिश्चित
एवं अनियमित है। भारत
का पूर्वी तट विशेषरूप से तमिलनाडू तट दक्षिण पश्चिम मानसून से वर्षा प्राप्त नहीं करता है क्योंकि
यह बंगाल की खाड़ी की शाखा के समानांतर एवं अरब सागर की शाखा के वृष्टिछाया क्षेत्र
में पड़ता है। 1 सितम्बर के प्रथम सप्ताह
में यहां वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है।
लौटती मानसून - शीत ऋतु में
सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पडती है जिससे उत्तर-पश्चिम भारत में उच्च दाब
का क्षेत्र का निर्माण होता है जबकि अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब का क्षेत्र का निर्माण
होता है परिणामस्वरूप मानसूनी पवनें उत्तर-पूर्व से बहने लगती है जिसे
उत्तर-पूर्वी मानसून कहा जाता है।
भारत में सितम्बर के अंत तक उत्तर पश्चिम में निम्न दाब कमजोर होने लगता है जिससे
उत्तर पूर्वी पवने चलती है और मानसून लौटने लगती है। जब यह पवन बंगाल की खाड़ी से वापस लौट रही होती है तो यहां से आर्द्रता ग्रहण करती है जिससे
अक्टूबर-नवम्बर में (चक्रवातीय वर्षा)
पूर्वी तटीय भाग उड़ीसा, तमिलनाडु तथा
कर्नाटक के कुछ भाग में वर्षा कराती है।
शीत ऋतु में भूमध्य सागर से उठने वाली शितोष्ण चक्रवात जिसे भारत में पश्चिमी विक्षोभ कहते हैं से वर्षा होती है।
इससे मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर में वर्षा होती है जो रबी की फसल के लिए
अत्यधिक उपयोगी होती है। यह वर्षा मानठ के नाम से जानी
जाती है।
इससे सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण objective type questions जो आने वाले exam के लिए important है दिए जा
रहे हैं |
1.‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति हुई है –
(a) अरबी भाषा से
(b) स्पेनिश भाषा से
(c) हिंदी भाषा से
(d) आंग्ल भाषा से
2.भारत के किस राज्य में मानसून का आगमन सबसे
पहले होता है ?
(a) असम
(b) पश्चिम बंगाल
(c) महाराष्ट्र
(d) केरल
3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सूखा स्थान
है ?
(a) मुंबई
(b) दिल्ली
(c) लेह
(d) बंगलुरु
4.भारत में ग्रीष्म कालीन मानसून के प्रवाह
की सामान्य दिशा है-
(a) दक्षिण से उत्तर
(b) दक्षिण-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व
(c) दक्षिण-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम
(d) दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
5. भारतीय उपमहाद्वीप पर ग्रीष्म ऋतु में
उच्च ताप और निम्न दाब, हिंद महासागर
से वायु का कर्षण (Draws) करते हैं
जिसके कारण प्रवाहित होती है-
(a) दक्षिण-पूर्वी मानसून
(b) दक्षिण-पश्चिमी मानसून
(c) व्यापारिक हवाएं
(d) पश्चिमी हवाएं
6.
तमिलनाडु में मानसून के सामान्य महीने कौन से
हैं?
(a) मार्च-अप्रैल
(b) जून-जुलाई
(c) सितंबर-अक्टूबर
(d) नवंबर-दिसंबर
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