आर्यों की उत्पति एवं विस्तार (Origin and expansion of Aryans) jpsc मैन्स के लिए इम्पोर्टेन्ट free pdf के साथ

आर्यों की उत्पति एवं विस्तार (Origin and expansion of Aryans)

आर्यों की उत्पति एवं विस्तार


प्राचीन भारत में आर्य वैदिक सभ्यता के निर्माता के रूप में जाने जाते हैं। "आर्य कौन थे?" प्रश्न का उत्तर देने के संदर्भ में विभन्न विद्वानों के विभिन्न मत हैं। कुछ विद्वान आर्यों को एक जाति विशेष के अंतर्गत रखते हैं |

तो कुछ इसके शाब्दिक अर्थ से श्रेष्ठ या उत्तम लोगों के अर्थ में इसकी व्याख्या करते हैं। सर्वमान्य विचारधारा यह है कि "आर्य" किसी जाति विशेष का सूचक नहीं है बल्कि यह भाषा विशेष वर्ग का सूचक है।

आर्यों के मूल निवास के संदर्भ में भी इतिहासकारों का मत भिन्न-भिन्न है। विभिन्न इतिहासकारों ने भाषा विज्ञान, इतिहास, पुरातत्व, शरीर-रचना-शास्त्र और शब्दार्थ-विकास-शास्त्र के आधार पर अपना-अपना मत प्रकट किया है। वैसे तो आर्यों के मूल निवास के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों को रखा गया है फिर भी इनमें से पाँच मुख्य रूप से उल्लेखनीय है-

(a) यूरोपीय प्रदेश

(b) भारतीय प्रदेश

(c) अंटार्कटिका प्रदेश

(d) तिब्बत प्रदेश

(e) मध्य एशियाई प्रदेश

आर्यों का मूल निवास यूरोपीय प्रदेश बताने वाले विद्वानों में सर विलियम जोन्स का नाम सर्वप्रथम है। इसका समर्थन पी० गाइल्स, नेहरिंग,पेंका इत्यादि विद्वान भी करते हैं। इन विद्वानों ने यूरोपीय संस्कृति एवं यूरोपीय भाषाओं के आधार पर यूरोप को ही आर्यों का देश माना है।

उदाहरणस्वरूप संस्कृत, ग्रीक, लैटिन अमेरिकी, गोथिक, आदि भाषाओं में समानता देखी जा सकती है। इन विद्वानों में पेंका ने जर्मनी को, गाइल्स ने हंगरी को, नेहरिंग ने दक्षिणी रूस को आर्यों का मूल प्रदेश माना।

आर्यों का मूल प्रदेश भारतीय प्रदेश माननेवाले भारतीय विद्वानों में राजबलि पांडे, एल० डी० कल्ल, अविनाश चन्द्र दास, गंगानाथ झा इत्यादि प्रमुख हैं। अविनाशचन्द्र दास ने सप्त सैंधव प्रदेश को आर्यों का मूल प्रदेश माना जबकि एल० डी० कल्ल कश्मीर को तथा राजबलि पांडे मध्यप्रदेश को इनका मूल प्रदेश मानते हैं।

भारतीय विद्वानों ने भारतीय क्षेत्रों को आर्यों का मूल प्रदेश बताया है किन्तु इसके लिए उन्होंने ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। आर्यों के मूल प्रदेश के संदर्भ में बाल गंगाधर तिलक एवं दयानंद सरस्वती की मान्यता बिल्कुल भिन्न है।

तिलक ने महाभारत के उदाहरण के आधार पर आर्कटिक प्रदेश को या शीत ध्रुव को आर्यों का मूल प्रदेश माना जहाँ छह महीने का दिन एवं छह महीने का रातें होती थीं। इसी प्रकार आर्यों के रहन-सहन व वेश-भूषा के आधार पर दयानंद सरस्वती ने उन्हें तिब्बत का मूल निवासी माना।

विद्वानों का एक बड़ा भाग आर्यों का मूल प्रदेश मध्य एशिया क्षेत्र को मानता है। इन विद्वानों में मैक्स मूलर सर्वप्रमुख है इन्होंने संस्कृत के शब्दों एवं यूरोपीय भाषा के शब्दों के साथ आर्यों के रहन-सहन, वेश-भूषा तथा समकालीन पुस्तकों के उद्धरणों को साथ हीं साथ पुरातात्विक साक्ष्यों को आधार माना है और आर्यों की जानकारी प्रदान करने वाले वैदिक ग्रंथों के वर्णनों के आधार पर मध्य एशिया को उनका मूल क्षेत्र माना है।

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि वैदिक सभ्यता के निर्माता आर्यों के मूल निवास के अंतर्गत विभिन्न विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत हैं किंतु इनमें सर्वमान्य मत मैक्स-मूलर एवं नेहरिंग या हर्ज फिल्ड के मत को माना जाता है जिनके अनुसार आर्य मध्य एशिया या दक्षिणी रूस के मूल निवासी थे।

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