शिवाजी की प्रशासनिक व्यावस्था | Shivaji's administrative system (jssc & jpsc pt , मैन्स के लिए महत्वपूर्ण )

शिवाजी की प्रशासनिक व्यावस्था 

अथवा शिवाजी के उद्भव एवं विस्तार तथा प्रशासन का वर्णन करें? Explain the origin, extent and administration of Shivajee.

शिवाजी की प्रशासनिक व्यावस्था


शिवाजी का जन्म एक साधारण परिवार में अप्रैल, 1627 ई. को पुणे के निकट शिवनेर नामक स्थान पर हुआ। ये शाहजी तथा जीजाबाई के सबसे छोटे पुत्र थे तथा इनके बचपन काल में ही शाहजी पत्नि जीजाबाई पर पूर्ण की जागिर सौंप कर कर्नाटक चले गए।

माँ जीजा बाई के संरक्षण में ही शिवाजी का व्यक्तित्व एवं सैन्य क्षमता का निर्माण हुआ तथा शिवाजी ने मराठी एकता का कार्यारम्भ किया। शिवाजी अपने साम्राज्य विस्तार की शुरूआत 1643 ई. में आरंभ किए, जब इन्होंने सिंहगढ़ का दूर्ग जीता तथा स्वतंत्र प्रशासक के रूप में शासन कार्य आरंभ किया।

इन्होंने मावल नवयुवकों को संगठित कर अपने क्षेत्र में शांति व सुव्यवस्था की स्थापना की। शिवाजी 1645-46- ई. में परस्पर विरोधी मराठा सरदारों के विरूद्ध सैन्य कार्यवाही कर तोरण, चाकन, पुरंदर, बारामति जैसे क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

इन विधियों से प्राप्त धन से जब शिवाजी की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, तो उन्होंने कोंकण क्षेत्र पर हमले आरंभ किए। 1655-56 ई. में जब शिवाजी ने मोरे परिवार से जावली दूर्ग जीता तो कोंकण में इनकी स्थिति सर्वोपरी हो गई।

1657 ई. के बाद शिवाजी नवीन साम्राज्यवाद में प्रवेश किये जब इन्होंने बीजापुर, सुल्तान तथा मुगल क्षेत्रों पर हमले किये तथा कल्याणी भिवेड़ी एवं भाहुल क्षेत्र अपने अधीन किया। इसी समय बीजापुर सुल्तान ने अफजल खाँ को शिवाजी की शक्ति दबाने के लिये भेजा।

लेकिन 1659 ई. में शिवाजी ने अफजल खाँ की हत्या कर दी। यह दक्षिण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। साथ ही शिवाजी ने मुगल सूबेदार शाइस्ता खाँ पर भी जानलेवा हमला किया, जिसमें वह किसी तरह अपने जान बचाने में सफल रहा।

इस क्रम में शिवाजी द्वारा सूरत की लूट महत्वपूर्ण घटना थी। हालांकि 1664 ई. में सूरत लूट के बाद औरंगजेब ने शिवाजी के खिलाफ जयसिंह को भेजा तो 1665 ई. में परिणाम स्वरूप जयपुर की संधि हुई, लेकिन जब संधि की शर्तों को औरंगजेब उल्लंघन कर शिवाजी को कैद किया।

परंतु शिवाजी भाग कर 1670 ई. के बाद लागातार मुगलों को चुनौति देते रहे। इसी दौरान 1674 ई. में रायगढ़ में वाराणसी के पंडित गंगाभट्ट के द्वारा अपना राज्याभिषेक करा कर छत्रपति तथा हिन्दू धर्म उद्धारक की उपाधियाँ ग्रहण की।

शिवाजी मराठा इतिहास में महान विजेता के साथ-साथ कुशल प्रशासक के रूप में भी जाने जाते है। इनका केन्द्रीय प्रशासन अष्टप्रधान कहलाता था, जो धार्मिक सहिष्णुता एवं जन कल्याण के आधार पर शासन का संचालन करता था।

अष्टप्रधानी के अंतर्गत- पेशवा (प्रध नमंत्री), मजूमदार (वित्तमंत्री), वाकियानविस (गृहमंत्री), चिट्टनिस (राजकीय पत्र व्यवहार) सुमंत (विदेश मंत्री), सर-ए-नौबत (सेनापति), पंडित राव (धार्मिक सलाहकार) एवं न्यायाधिश थे।

इन्होंने अपने प्रांतों को स्वराज्य तथा मुगलई के रूप में बाँटा। जिसमें स्वराज्य प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले क्षेत्र थे। इनकी सैनिक इकाईयाँ में घुड़सवार सेना वर्गीर तथा सिलेदार में बँटी थी। जिसमें वर्गीर सबसे दक्ष सैनिक होते थे। शिवाजी ने कोलावा में नौ-सैनिक मुख्यालय भी खोला। इन्होंने अपने अधीन क्षेत्रों से 'चौथ' तथा 'सरदेशमुखी' जैसे महत्वपूर्ण कर वसूले।

चौथ शिवाजी के अप्रत्यक्ष नियंत्रण वाले भूमि से वसूला जाता था। यहाँ कर की दर 25 प्रतिशत थी। सरदेशमुखी प्रत्यक्ष नियंत्रण में थे तथा इनसे कर उपज का मात्र दशवाँ हिस्सा ही वसूला जाता था।

उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि शिवाजी ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में न केवल स्वयं को स्थापित किया, बल्कि अपनी चारो ओर अपनी चतुराई तथा साहस के बल पर साम्राज्यों का विस्तार किया और अपने अधीन क्षेत्रों के लिए प्रशासकीय ढाँचों को विकसित किया। इसी निर्माता कारण यदुनाथ सरकार कहते है-"मैं शिवाजी को एक राष्ट्र व्यक्ति मानता हूँ।"


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