भारत में वायु परिवहन का महत्व | Importance of air transport in India

भारत में वायु परिवहन का महत्व (Importance of air transport in India)

Importance of air transport in India


वायु परिवहन एक सघन पूंजी आधारित उद्योग है। वर्तमान शताब्दी में जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अपने को समन्वित करने का प्रयास कर रही है। आधारित अवसंरचना में सुधार एव आधुनिकीकरण का निर्णायक महत्व है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ाव तथा आधारिक संरचना के विकास में वायु परिवहन का निर्णायक योगदान रहा है। वायु पत्तन आर्थिक गतिविधियों के नाभिक हैं और इसलिए राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में इनका अत्यधिक महत्व है।

भारत में सर्वप्रथम वायु परिवहन की शुरूआत 1911 में हुई पुनः 1932 में टाटा संस लिमिटेड के प्रयत्नों से दिल्ली व मुंबई से कराची और मद्रास के बीच विमान सेवा शुरू हुई और इसी के साथ वायु परिवहन के क्षेत्र में एक नए अध्याय का प्रारंभ हुआ।

1935 में टाटा एयरवेज कंपनी द्वारा मुंबई-तिरूवनंतपुरम और 1937 में मुंबई-दिल्ली मार्गों पर नवीन सेवा चालू की गयी। स्वतंत्रतः प्राप्ति के बाद देश में वायु परिवहन का संतुलित और समन्वित विकास हुआ।

1947 में भारत सरकार द्वारा विमान परिवहन जांच समिति बनाई गई। इसने अपने प्रतिवेदन में अनेक कठिनाईयों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया, जैसे- कंपनियों की संख्या आवश्यकता से अधिक होना, लाईसेंस में देरी, संचालन व्यय में वृद्धि, ऊँचे तेल मूल्य, एयर ट्रैफिक व्यवस्था का विकास न होना आदि।

इस समिति के सुझावों के आधार पर 1953 में विमान परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया। देश में नगर विमानन क्षेत्र की परिचालन कार्य प्रणाली के अंतर्गत इंडियन एयरलाइंस, अलायंस एयर इंडिया, निजी अनुसूचित एयरलाइंस एवं एयर टैक्स कंपनियां घरेलू विमान सेवाएं उपलब्ध कराती हैं।

वर्तमान में वायु मार्ग विस्तारीकरण एवं विमान सेवाओं को सस्ता एवं प्रतिस्पर्द्धा बनाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही पूर्वोत्तर भारत, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर के लिए विमान सेवाओं के विस्तारीकरण की नीति बनाई जा रही है। भारत में वायु परिवहन का महत्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

वर्तमान में वायु परिवहन समृद्ध एवं विशिष्ट वर्गों के साथ-साथ मध्यम वर्गों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। यह यात्री परिवहन के साथ-साथ व्यापार, आर्थिक कार्यों एवं पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रभावी माध्यम बन गया है। पुनः वायुपत्तन उच्च कोटि के आधारित अवसंरचना के विकसित होने से नगरीकरण महानगरों का फैलाव, सन्ननगर, परिवहन, व्यापार एवं सेवाओं आदि सभी का समन्वित विकास होता है।

देश के दूरस्थ पर्वतीय और अगम्य स्थानों पर पहुंच के लिए वायु परिवहन ही सबसे त्वरित एवं कार्यकुशल परिवहन साधन है। भारत एक भौगोलिक विविधताओं का देश है। देश का उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी भाग वृहद पर्वतों एवं उच्चावच विभिन्नता वाला क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में सड़क एवं रेल मार्ग का पूर्ण विकास संभव नहीं है।

कुछ क्षेत्र अत्यंत दुर्गम हैं, जहाँ परिवहन के रूप में वायु परिवहन ही सबसे स्वीकार्य एवं कुशल साधन है। जैसे, अरूणाचल प्रदेश का तवांग, शिलांग, जम्मू कश्मीर का कारगिल का उत्तरी क्षेत्र, सियाचीन आदि। इसी तरह देश का पश्चिमी क्षेत्र मरूस्थल एवं कच्छ प्रभावित क्षेत्र है।

इन क्षेत्रों में भी वायु परिवहन की उपयोगिता काफी अधिक है। आर्थिक दृष्टि से वायु परिवहन रोजगार एवं निवेश जैसे कार्यों को बढ़ावा देता है। नागरिक उड्डयन विभाग में बहुत मात्रा में रोज़गार की संभावना है। साथ ही देश में निजी क्षेत्र के वायु परिवहन में प्रवेश बढ़ने से इसमें निवेश की प्रतिशतता में भ वृद्धि हो रही है।

पुनः देश का पश्चिमी उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी सीमा सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। इन संवेदनशील क्षेत्रों में शीघ्रताशीघ्र पहुंचने के लिए वायु परिवहन ही एकमात्र साधन है। देश के विभिन्न स्थानों पर पहुंच की गम्यता को बढ़ाने के लिए वायु परिवहन का परिवहन के अन्य माध्यमों के साथ जुड़ाव होने की आवश्यकता है।

देश के प्रादेशिक विकास के संदर्भ में वायु परिवहन का विशेष महत्व हैं । यात्री एवं माल परिवहन दोनों दृष्टिकोण से वायु परिवहन का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत में वायु परिवहन द्वारा होने वाले माल की ढुलाई देश से होने वाले कुल माल की मात्र 1 प्रतिशत है लेकिन मूल्य की दृष्टि से यह एक प्रतिशत मात्रा कुल निर्यात मूल्य का 35 प्रतिशत है।

इसी प्रकार देश में आने वाले कुल विदेशी पर्यटकों का 97 प्रतिशत भाग वायु परिवहन से ही आता है। पर्यटन देश का दूसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा के विनिमय वाला उद्योग है। वर्ष 2016 में कुल 183 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए हैं। इनमें से 97 प्रतिशत पर्यटक वायु परिवहन से आए हैं।

वायु परिवहन ने भारत के बहुत सारे धार्मिक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक शहरों को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया है। जैसा कि बिहार में बोधगया में भारी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं और वर्तमान में यह शहर तेजी से उत्तर भारत का एक प्रमुख धार्मिक पर्यटक केन्द्र बनता जा रहा है।

इस शहर के विकास में वायु परिवहन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसी तरह वाराणसी, औली, लद्दाख, नैनीताल, जोधपुर एवं मुदरई आदि शहरों के विकास में वायु परिवहन का योगदान रहा है। प्रादेशिक विकास के संदर्भ में भू-राजनीतिक व सामरिक संदर्भ में भी वायु परिवहन का महत्व है।

महत्वपूर्ण संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा, स्थानों का विकास एवं त्वरित आवागमन के संदर्भ में वायु परिवहन का महत्व दिनों-दिनों बढ़ता जा रहा है। सियाचीन क्षेत्र, इंदिरा प्वाइंट, काराकोरम क्षेत्र की सुरक्षा पूरी तरह वायु परिवहन पर ही निर्भर है।

आपातकालीन सुविधाओं के विस्तारीकरण एवं राहत सामग्री के पहुंच को त्वरित रूप से वितरित करने में भी वायु परिवहन का महत्वपूर्ण स्थान है। चाहे लद्दाख में बादल प्रस्कोट से उत्पन्न आपदा का प्रबंधन हो या बिहार के कोसी डैम के टूटने से उत्पन्न कई जान-माल की हानि का प्रबंधन हो।

इनमें वायु परिवहन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विमान पत्तन बनने से क्षेत्र के संसाधनों का बेहतर विदोहन होता है। साथ ही विदेशी निवेश तथा बड़े उद्योगों को लाने में सुविधा होती है और इससे वायुपरिवहन का निर्माण एवं विकास संभव होता है।



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