पश्चिमी तटीय मैदान एवं पूर्वी तटीय मैदान में अंतर स्पष्ट करें |(JPSC,JSSC,PGT,BPSC के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक )


पश्चिमी तटीय मैदान एवं पूर्वी तटीय मैदान में अंतर स्पष्ट करें |

पश्चिमी तटीय मैदान एवं पूर्वी तटीय मैदान में अंतर स्पष्ट करें



प्रायद्वीपीय पठार के पूरब बंगाल की खाड़ी के तट के सहारे स्थित मैदान को पूर्वी तटीय मैदान तथा प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिम अरब सागर के तट के सहारे स्थित मैदान को पश्चिमी तटवर्ती मैदान कहा जाता है।

भारत के तटवर्ती मैदान के निर्माण में समुद्र की क्रिया एवं नदियों के निक्षेप, दोनों का ही योगदान है। इस मैदान को पश्चिमी तटीय मैदान एवं पूर्वी तटीय मैदान में विभाजित किया जाता है।

पूर्वी तटीय मैदान : यह मैदान स्वर्णरेखा नदी से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। 

इसके तीन भाग है:-

उड़ीसा या उत्कल मैदान : यह निचले गंगा मैदान से स्वर्ण रेखा नदी द्वारा तथा प्रायद्वीपीय पठार से 75 मीटर की समोच्च रेखा द्वारा अलग किया जाता है।

आन्ध्र प्रदेश तटवर्ती मैदान : इसे गोदावरी-कृष्णा डेल्टा के उत्तर-पूर्व उत्तरी सरकार तट तथा दक्षिण-पश्चिम कर्नूल, कुडप्पा, अनन्तपुर तथा चित्तूर जिलों में रायल सीमा तट कहा जाता है। जिसके दक्षिण आन्ध्रप्रदेश का कोरोमण्डल तट स्थित है।

तमिलनाडु तट: इसे पुलिकट झील के पास तमिलनाडु राज्य में स्थित कोरोमण्डल स्थान के आधार पर कोरोमण्डल तट भी कहा जाता है।

पश्चिमी तटीय मैदान का विस्तार सूरत से लेकर कन्याकुमारी तक है। इस मैदान को चार भागों में रखा जाता है।

(i) गुजरात का तटवर्ती मैदान- पश्चिमी तटीय मैदान की अधिकतम चौड़ाई गुजरात में है। नर्मदा एवं ताप्ती के मुहाने के निकट इसकी चौड़ाई अधिक है।

(ii) महाराष्ट्र या कोंकण तट- यह दमन, महाराष्ट्र तथा गोवा राज्यों में फैला हुआ है।

(iii) कर्नाटक या कन्नड तट- यह गोवा से मंगलौर के बीच है। कन्नड़ तटीय मैदान सर्वाधिक संकरा है।

(iv) केरल या मालाबार तट- यह मंगलौर एवं कन्याकुमारी के बीच है। मालाबार तट पर लैगूनों की अधिकता है।

पूर्वी एंव पश्चिमी तटवर्ती मैदानों की तुलना इस प्रकार की जाती है:-

(i) पूर्वी तटीय मैदान में डेल्टा है जबकि पश्चिमी तटीय मैदान ज्वार-नदमुख वाला है।

(ii) पूर्वी तटीय मैदान का अधिकांश भाग निक्षेप-जनित है जबकि पश्चिमी-तटीय मैदान का अधिकांश भाग अपरदन-जनित है।

(iii) पूर्वी तटीय मैदान शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन दोनों मानसूनों से वर्षा प्राप्त करता है। जबकि पश्चिमी -तटीय मैदान केवल ग्रीष्म कालीन मानसून से वर्षा प्राप्त करता है।

(iv) पूर्वी तटीय मैदान में चिकनी मिट्टी की प्रधानता है फलतः चावल की खेती अधिक होती है जबकि पश्चिमी-तटीय मैदान में खुरदुरी मिट्टी के कारण रबड़, नारियल और चावल इत्यादि पैदा होता है।

(v) पूर्वी तटीय मैदान के तमिलनाडु मैदान को दक्षिण भारत का अन्न भण्डार कहा जाता है, जबकि पश्चिमी तटीय मैदान के केरल मैदान नारियल के लिए प्रसिद्ध है।

(vi) पूर्वी तटीय मैदान कम कटा-फटा है जिसके कारण इसे प्रशान्त तट कहते हैं जबकि पश्चिमी-तटीय मैदान अधिक कटा-छंटा है जिसके कारण इसे अटलांटिक तट कहते हैं।

(vii) पूर्वी तटीय मैदान के पत्तन अवसादीकरण के कारण कृत्रिम है जबकि पश्चिमी-तटीय मैदान के कटा छंटा होने के कारण इसके पत्तन प्राकृतिक हैं।

(viii) पूर्वी तटीय मैदान पर जनसंख्या घनत्व अधिक है जबकि पश्चिमी-तटीय मैदान पर जनसंख्या घनत्व कम है।

(ix) पूर्वी तटीय मैदान के समुद्र के निकटवर्ती भाग में बालू का जमाव मिलता है जो लहरों द्वारा निक्षेपित हुआ है। इसकी बजह से यहाँ चिल्का एवं पुलीकट जैसी लैगुनों का निर्माण हुआ है। पश्चिमी तट पर केरल तट के सहारे बालु का निक्षेप हुआ है।

यहाँ भी लैगुन और पश्चजल का विकास हुआ है। दोनों तटों पर निमज्जन एवं उत्थापन के प्रमाण देखने को मिलते हैं। पश्चिमी तट में मुम्बई के निकट निमज्जन एवं उत्थापन के प्रमाण देखने को मिलते हैं।

जबकि पूर्वी तट पर पांडिचेरी के निकट निमज्जन के प्रमाण मिलते है। महाद्वीपीय तग्न तट की चौड़ाई पूर्वीतट की अपेक्षा पश्चिमी तट पर अधिक है।






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