मन की शांति (कहानी ) | Peace of Mind (story)

 

मन की शांति

मन की शांति


बहुत समय पहले की बात है एक राजा था वो बहुत प्रतापी था उसकी चर्चा दूर दूर तक होती थी ....लेकिन इसके बाद भी उसका मन प्रसन्न नही रहता था |

उसके पास सारी सुख – सुविधा थी फिर भी उसका मन बैचेन रहता था | इसका उत्तर जानने के लिए की ऐसा क्यों है वो अपने दरबारियों से पूछा लेकिन किसी ने संतोषजनक जबाब नही दिया |

ये जानने के लिए वो अपने राज्य में भेष बदल कर घुमने लगा | चलते –चलते उसे एक किसान मिला जो खेत में काम 💦 कर अभी तुरंत भोजन करने बैठा था |..

राजा ने देखा  वो बहुत निर्धन है उसके कपड़े जगह –जगह से फटे हुए है , उसने सोचा कि इसे कुछ स्वर्ण मुद्रायें दे दूँ |

राजा किसान के सम्मुख जा कर बोला मैं एक राहगीर हूँ , मुझे तुम्हारे खेत पर ये चार स्वर्ण मुद्राएँ गिरी मिलीं , चूँकि यह खेत तुम्हारा है इसलिए ये मुद्राएं तुम ही रख लो।

किसान ने बोला की ये मेरी मुद्राएं नही है ..ये आप ही रखिये या किसी को दान में दे दीजिये |

ये सुनकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ , उसने कहा धन की आवश्यकता किसे नही होती है | तुम इसे क्यों मना कर रहे हो ,

किसान ने बोला मैं रोज चार आने कमा लेता हूँ , और उतने में ही प्रसन्न रहता हूँ… ,

क्या ? तुम सिर्फ चार आने की कमाई करते हो  , और उतने में ही प्रसन्न रहते हो , यह कैसे संभव है ! , राजा ने आश्चर्य से पुछा।

किसान ने कहा ... प्रसन्नता 😃 इस बात पर निर्भर नहीं करती की आप कितना कमाते हैं या आपके पास कितना धन है... प्रसन्नता उस धन के प्रयोग पर निर्भर करती है।

राजा ने हसंते हुए बोला इन चार पैसों का क्या - क्या करते हो ,इसपर किसान बोला चार आनो में से एक मैं कुएं में डाल देता हूँ , दुसरे से कर्ज चुका देता हूँ , तीसरा उधार में दे देता हूँ और चौथा मिटटी में गाड़ देता हूँ ….

ये सुनकर राजा अचरज में पड़ गया वो सोच ही रहा था कि किसान वहाँ  से चला गया |

राजा दुसरे दिन अपने दरबारियों से इसका मतलब पूछा किसी ने कोई उत्तर नही दिया |

तब राजा ने वही किसान को खोजकर दरबार में बुलाया और इसका मतलब पूछा किसान ने बताया कि ..💥

हुजूर  , जैसा की मैंने बताया था , मैं एक आना कुएं में डाल देता हूँ , यानि अपने परिवार के भरण-पोषण में लगा देता हूँ, दुसरे से मैं कर्ज चुकता हूँ , यानि इसे मैं अपने वृद्ध माँ-बाप की सेवा में लगा देता हूँ , तीसरा मैं उधार दे देता हूँ , ....

यानि अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में लगा देता हूँ, और चौथा मैं मिटटी में गाड़ देता हूँ , यानि मैं एक पैसे की बचत कर लेता हूँ ताकि समय आने पर मुझे किसी से माँगना ना पड़े और मैं इसे धार्मिक, सामजिक या अन्य आवश्यक कार्यों में लगा सकूँ। 💧

राजा को अब किसान की बात का मतलब समझ में आ चुका था | वो जान  गया था कि यदि उसे ख़ुशी और शांति चहिये तो उसे अपने अर्जित धन का उपयोग सही जगह करना चाहिए |

 

आज के समय में देखा जाए  तो पहले के मुकाबले लोगों की आमदनी तो बढ़ी है लेकिन खुशियां नही |

हमें इस भागती दौड़ती जिन्दगी में यह ठहर कर सोचने की जरूरत है कि ....👀


कही हम पैसों के मामले में कही गलती तो नहीं कर रहे है | जीवन को संतुलित बनाना ज़रूरी है और इसके लिए हमें अपनी आमदनी और उसके इस्तेमाल पर ज़रूर गौर करना चाहिए, नहीं तो भले हम लाखों रूपये कमा लें पर फिर भी प्रसन्न एवं संतुष्ट नहीं रह पाएंगे ...❁💮❀


 👉 किसी विचारक ने कहा है .....

🍂  “ख़ुशी का असली राज़ रोज़मर्रा की ज़िंदगी की हर चीज़ में सच में दिलचस्पी लेने में है”😄



 


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