कहानी जूतें की (कहानी )| story of shoes hindi me

 

कहानी जूतें की 

कहानी जूतें की




स्कूल की छुट्टी हुई तो बंटी अपनी नानी के घर चला गया ।

एक दिन उसने देखा कि नानाजी अपने पैर की मरहम-पट्टी कर रहे हैं। तो बंटी ने उत्सुकतावश पूछा....क्या हुआ?

उसके नाना बोले कल नये जूते लिए थे जूते ने काट लिया है ।

बंटी हैरान हो गया सोचा जूता 'काटता भी है'

अगली गर्मी की छुट्टियों में फिर मामा के घर गया तो उन्हें जूते में तेल लगाते पाया।

फिर उसने पूछा क्या हुआ?

मामा बोले.... ये चूं चूं करता है।

बंटी ने सोचा और अपने मामा जी से पूछा कि  "कमाल है 'जूता बोलता भी है'।"

फिर अगली छुट्टियों में चाचा के घर जब गया तो उन्हें कहते सुना कि फ़लांना तो जूते का यार है...

ओह तो 'जूते दोस्ती भी करते हैं'

उसके  अगली छुट्टियों में बुआजी जी के यहां गया  तो फूफाजी  किसी के बारे में कह रहे थे कि वह तो जूते खाये बिना मानेगा नहीं।

अरे वाह... 'जूते खाये भी जाते हैं'याने भूख मिटाते हैं।

फिर अगली होली में देखा कि पास के एक जगह पर एक आदमी को गधे पर बैठाया गया है, और बहुत से लोगों ने उसके गले में जूतों की माला डाल कर हँसी ख़ुशी लोग नाच गा रहे हैं।

ये देख बंटी ने आश्चर्य से अपने पापा से पूछा कि ये क्या हो रहा है |

उसके पापा बोले कि इस आदमी को इस साल मूर्खाधिराज चुना गया है और इसके गले में जूतों का हार पहनाकर सम्मानित किया गया है।

बंटी ने बोला कमाल है  'जूते भी सम्मान प्रदान करने के काम आते हैं'

जब बंटी थोड़ा और बड़ा हुआ तो उसे फुटबॉल मैच देखने का चस्का लग गया तो पता चला कि सबसे अधिक गोल स्कोर करने वाले खिलाड़ी को 'गोल्डन बूट' दिया जाता है।

उसने सोचा की अरे वाह , पुरस्कार में सोने का जूता भी दिया जाता है।

फिर कुछ समय बाद जब वो थोड़ा और बड़ा हुआ तो पता चला कि वेस्टर्न टेलीविज़न और मूवीज इंडस्ट्री में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता को *'गोल्डन बूट अवार्ड'* दिया जाता है।

बंटी सोचा की कमाल है  ,,सम्मान अभिनेता का हो रहा है कि जूते का ,,

एक दिन उसने देखा कि एक आदमी बेहोश पड़ा है। शायद उसे मिर्गी का दौरा आया था। उसके चारों तरफ भीड़ लगी थी। तभी भीड़ में से एक बुजुर्ग ने फरमाया...

इसे जूता सुंघाओ। अभी ठीक हो जाएगा।

अरे वाह... *'जूता तो औषधि भी है'।*

फिर एक दिन वो एक शादी में गया तो उसने वहां देखा कि वर और वधु पक्ष में कुछ सौदेबाजी हो रही है। उसने अपनी माँ से पूछा कि यह क्या हो रहा है?

तो उसकी माँ ने बताया की बेटा दूल्हे की जो सालियाँ है उन्होंने दुल्हे के जूते चुरा लिए है और अब उन्हें लौटने के  रुपये मांग रही हैं।

ओह नो... *जूते का 'अपहरण भी हो जाता है'।*

जूता काटता है, जूता बोलता है, जूता दोस्ती यारी करता है, जूता खाया जाता है। जूता सम्मान प्रदान करता है। जूता औषधी है और तो और जूते के अपहरण का भरा-पूरा व्यवसाय है।

फिर एक दिन उसने टीवी सीरियल में देखा कि श्री राम चन्द्र जी के वनगमन पर भरत जी ने उनके जूते अर्थात खड़ाऊँ को राजगद्दी पर विराजमान करके चौदह वर्षों तक अयोध्या का राजकाज चलाया।

तो *'जूता महाराज भी है'।*

और अंत में बंटी ने ये निष्कर्ष निकला की एक चीज हर समय ,समान नहीं  रहती है | समय ,परिस्थिति और लोगों की आवश्यकता अनुसार बदलती रहती है |


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