जिन्दगी की नाव ( कहानी ) | Life's Boat (Story)
जिन्दगी की नाव
एक व्यक्ति ने एक पेंटर को बुलाया और उसे अपना पूरा घर और अपनी नाव दिखाई और
बोला की ये सभी को पेंट कर दो |
पेंटर ने वो सारा कुछ पेंट कर दिया , जैसा की उसके मालिक ने उसको बोला था |
शाम को वो अपना काम का मेहताना लेकर ,अपने घर वापस आ गया |
अगली सुबह उसने देखा की वो व्यक्ति जिसका घर और नाव उसने पेंट किया था वो दौड़ता हुआ उसके पास आता है | और उसे पैसों से भरा थैला देता है ये देख कर पेंटर आश्चर्य
से उसको देखने लगता है |
पेंटर बोलता है की आपने तो कल ही मुझे मेरे काम के सारे पैसे दे दिए थे | तब
ये सब क्या है , वो व्यक्ति बोलता है की मेरे नाव में एक छेद था जो जल्दीबाजी में
मैं तुम्हें बता नही सका और वहाँ से अपने काम पर चला गया |
इसी बीच मेरे बच्चे नाव लेकर समुन्द्र में चले गये | जब मै वापस आया तो मेरी
पत्नी ने ये बात बताई , तब मुझे ये याद आया कि मैंने तो तुम्हें सिर्फ पेंट करने
को बोला था | और ये बताना भूल गया था की नाव में छेद भी है उसकी भी मरम्मत करनी है
|
मै दौड़ता 💨 हुआ समुन्द्र के किनारे पहुचा जहाँ मेरे दोनों बच्चे 👶 गये थे , जाकर देखा तो वो समुन्द्र से वापस हंसते हुए आ रहे थे , तब मेरे जान में जान आई |
तुमने मेरे बिना बताये ही वो काम भी कर जिसे मै तुम्हें बताना भूल गया था |
जिससे की मेरे बच्चों की जान बच गई | उस कार्य के बदले ये पैसे कुछ भी नही है
तुमने मेरे घर को बिखरने से बचा लिया |
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है ...
जीवन में "भलाई का कार्य" करने का जब मौका लगे
हमेशा कर देना चाहिए, भले ही वो बहुत
छोटा सा कार्य ही क्यों न हो। क्योंकि कभी कभी वो छोटा सा कार्य भी किसी के लिए
बहुत अमूल्य हो सकता है।
👉 दयानंद सरस्वती के अनुसार ....
“जो मनुष्य जगत की जितनी भलाई करेगा, उसको ईश्वर की व्यवस्था
में उतना ही सुख प्राप्त होगा” |
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