वित्तिय समावेशन: भारत सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन के लिए उठाये गये कदम
वित्तिय समावेशन: भारत सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन के लिए उठाये गये कदम
यहां असंगठित क्षेत्र
का अभिप्राय जमीनदार वर्ग,
व्यापारी वर्ग, या संपन्न घराना से माना जाता है। चूंकि यह वर्ग पैसो के लेन-देन में
ऊंची दर पर ब्याज लेते है। बैगारी कराते है, जमीन एवं दूसरी संपति को गीरवी रखवाते है और सूद सहित पैसा नहीं लौटाने पर संपति पर कब्जा कर लेते है। परिणामतः गांव की गरीब आबादी और गरीब हो जाती है। वह कृषक से खेतीहर मजदूर में तबदील हो जाती है।
उनमें बेरोजगारी और कुपोषण बढ़ता है और अनेकानेक प्रकार से व्यक्ति गरीबी के दुषचक्र में फंस जाता है। यह स्थिति केवल ग्रामीण क्षेत्र में नहीं बल्कि शहरीक्षेत्र में नीवास करने
वाले गरीब जनता को झेलनी पड़ती है।
ऐसी हालात में भारतीय अर्थव्यवस्था की मांग या
प्राथमिकता वित्तिय समावेशन है।
इस प्रणाली के तहत अपेक्षा की जाती
है कि भारत के प्रत्येक व्यक्ति के पास बैंक अकाउंट हो। वह आवश्यकतानुसार उधार लेन-देन की प्रक्रिया बैंकिंग एवं वित्तिय प्रणाली के माध्यम से कर ताकि उसे शोषण
से मुक्ति मिल सके। वर्तमान समय में वित्तीय
समावेशन को गरीबी उन्मूलन को एक महत्वपूर्ण
घटक है।
साथ ही माना जा रहा है कि वित्तीय समावेशन से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। क्योंकि
बैंकिंग प्रणाली के जरीए गरीबों
को दी जाने वाली आर्थिक सहायता सीध उनके बैंक अकाउंट
में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
1.वर्तमान समय में
लोगों के वित्तीय लेन-देन को आसान बनाने के लिए बैंकिंग
कार्य में डाकघर, गैरसरकारी संगठन एवं स्वयं सहायता समूह गठित किये गये है।
2. बैंक ग्रामीण शाखाओं का विस्तार मानव संसाधन
में वृद्धि, ग्रामीण पृष्ठभूमि के बैंक कर्मियों की भर्ती, ग्रामीण वित्तीय उत्पाद तथा ग्रामीणों के प्रति सहयोग की भावना को आगे बढ़ा
कर वित्तय समावेशन की दिशा में
अग्रसर है।
3.बैंक धन प्रबंधन और ऋण
संबंध सलाह के लिए कैंप लगा रहे है तथा ग्रामीणों को
कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर वित्तीय समावेशन को अग्रसर कर रहे है।
4.बैंकों द्वारा हाल ही में नई नीति के तहत New Blanck Acount खाता खोलकर
ग्राहकों को आकर्षित किया जा रहा है।
5.सरकार के साथ मिलकर बैंक जैम त्रीमूर्ति योजना
पर काम कर रहे है। देश के समस्त
भागों में बैंकिंग सेवा सुलभ की शुरूआत की है। जैम-त्रीमुर्ति का
अभिप्राय है जन-धन (J), आधार (A), मोबाइल (M), के माध्यम से वित्तीय
लेन-देन को घर-घर तक पहुंचाना।
सरकार इसके जरीए छात्रों का स्कॉलरशीप हो या मुफ्त बिमा या सब्सिडी की रकम या पेंशन
प्रौद्योगिकी की जरीए सुरक्षित अंतरण का प्रयास कर रही है। वित्तीय में तकनीकी आवश्यकता
को पूरा करने के लिए डिजीटल
इंडिया कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।
6.वित्तिय समावेशन के लिए आरबीआई ने 2006 में बैंकों को मध्यस्थों की सेवा लेने
की अनुमति प्रदान की थी। जिसके तहत बैंक बिजनेस फैसिलटटेस (BFS) और बिजनेस
क्रासपोण्डेंस की सेवाएँ होते है। BCS खुदरा एजेंट है। जो गांवों में जाकर
लोगों को बैंकों से
जोड़ते है।
7.फरवरी 2011 में स्वभीमान योजना शुरू की गई जो एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम था। जिसका
उद्देश्य समाज के वंचित समूह को बैंकिंग नेटवर्क के अधीन लाना था। इसके लिए सार्वजनिक
क्षेत्र में बैंक
और क्षेत्रीय
ग्रामीण बैंक 1.4 लाख प्रतिनिधि
नियुक्त किये जाने थे और 5 करोड़ नए खाते
खोलना था। लेकिन यह योजना जो सफल नहीं हुआ।
8.वर्तमान सरकारों ने लोगों को बैंक खाते खोलने
के लिए युद्ध स्तर
पर जन-धन योजना
शुरू की। जिसमें बैंकों ने भी दिलचस्पी दिखाई और इसे हाथो-हाथ लिया।
इसे वित्तीय समावेशन की दिशा में क्रांतिकारी कदम माना जाता है।
9.बैंकों ने वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के
लिए प्रौद्योगिकी का भी अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया। इसमें ATM नेटवर्क का विस्तार के एप्प जरीए
पेमेंट को बढ़ावा मशीन के द्वारा चेक या पैसे जमा करने की सुविधा आदि है।
नीति आयोग के गठन ,संरचना एवम उदेश्य
नीति आयोग (NITI):- 1 जनवरी, 2015 को भारत सरकार
द्वारा योजना आयोग के स्थान पर 'राष्ट्रीय भारत परिवर्तन
संस्था(National Institution for Transforming India -
NITI Aayog) का गठन किया गया। नीति आयोग सरकार के
थिंक-टैंक के रूप में सेवाएँ प्रदान करने के साथ उसे निर्देशात्मक एवं
नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगी।
नीति आयोग केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के
प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक, महत्त्वपूर्ण एवं
तकनीकी परामर्श उपलबध कराएगी। भारत सरकार के अग्रणी नीतिगत थिंग-टेंक
के रूप में नीति आयोग का लक्ष्य राज्यों की सक्रिय
भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना है।
नीति आयोग केन्द्र सरकार के नीतियों और कार्यक्रमों के
कार्यान्वयन में प्रगति का आकलन करती है। यह संस्था राज्यों के साथ सतत्
आधार पर संरचनात्मक सहयोग और नीतिगत मार्गदर्शन के
माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देती है।
नीति आयोग की संरचना : नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष
'भारत का प्रधानमंत्री' होता है।
गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ राज्यक्षेत्रों के
उपराज्यपाल शामिल होंगे। विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकसिमक मामले, जिनका संबंध एक
से अधिक राज्यों या क्षेत्रों से हो, को देखने के लिये
क्षेत्रीय परिषदें गठित की जाएंगी।
भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की
बैठकें होंगी और इनमें संबंधित क्षेत्र के राज्यों के
मुख्यमंत्री और संघ राज्यक्षेत्रों के उपराज्यपाल शामिल होंगे।
इनकी अध्यक्षता नीति आयोग के अध्यक्ष या उनके नामनिर्देशिती (Nominee)करेंगे।
संबंधित कार्य क्षेत्र की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ और कार्यरत लोग, विशेष आमंत्रित
के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा नामित किये जाएंगे। सचिवालय का गठन आवश्यकता के
अनुसार किया जाएगा।
नीति आयोग के उद्देश्य निम्न है-
1.राष्ट्रीय उद्देश्यों को
ध्यान में रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास
प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा
दृष्टिकोण विकसित करना;
2.सशक्त राज्य से सशक्त
राष्ट्र का निर्माण, सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा
देना
3.ग्राम स्तर पर योजनाओं का निर्माण करने हेतु
तंत्र विकसित करना एवं इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुँचाना;
4.आर्थिक प्रगति से वंचित
रहे लोगों पर विशेष ध्यान देना;
5.अंतरक्षेत्रीय एवं अंतर
विभागीय मुद्दों के समाधान हेतु एक मंच तैयार करना;
6.रणनीतिक और दीर्घवधिक नीतियों तथा कार्यक्रमों
का ढाँचा तैयार करना।
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