फिनटेक और भारत का भविष्य(Fintech and the future of India)

           

          फिनटेक और भारत का भविष्य 

(JPSC MAINS के सलेबस में पेपर 6 खंड(5) के लिए  महत्वपूर्ण टॉपिक है जो वर्तमान समय की आवश्यकता है )

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कुछ समय पहले तक नगद रूपये बाजार में खरीदारी करने के लिए साथ में रखना आवश्यक था | फिर एटीएम(ATM CARD )का समय आया और जिससे की कुछ हद तक नगद रूपये साथ में रखने की समस्या से निजाद दिलाया |

और अब समय ऐसा आ गया है कि सड़क किनारे सब्जी बेचने वाले या बड़े बड़े मॉल सभी डिजिटल भुगतान(digital payment)स्वीकार कर रहे है |सबसे बड़ी दिलचस्प बात तो यह है कि बैंकों से निकाली जाने वाली नकद राशि के मुक़ाबले मोबाइल से किए जाने वाले भुगतान की राशि कहीं ज्यादा है।

इससे उपभोक्ताओं के लिए बहुत सुविधा हो गई और वित्तीय क्षेत्र में डिजिटल प्रणालियां विकसित करने की दिशा में निरंतर विस्तार हो रहा है। फास्टैग(fastag)की स्वचालित व्यवस्था लागू होने के बाद से सड़कों पर टोल टैक्स भुगतान के कारण लगने वाली वाहनों की कतारें अब बीते समय की बात हो चुकी है।

एक तरह से देखें तो कह सकते हैं कि वैश्विक महामारी के प्रकोप के दौरान बिना छुए भुगतान या लेनदेन केवल शान की बात न रहकर संक्रमण से बचाव का अनिवार्य उपाय बन गया। अधिकांश लेनदेन पुराने परंपरागत तरीकों की बजाय कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से किए जाने लगे।

इसी कारण फिनटेक अर्थात् वित्तीय प्रौद्योगिकी का चलन जन-जन तक पहुंच गया। आर्थिक मंदी के वावजूद 2020 की पहली छमाही के दौरान फिनटेक लेनदेन के माध्यम से निवेश दोगुने हो गए। डिजिटल इंडिया से नवाचार(innovation) के नए मार्ग खुल गए और वित्तीय प्रौद्योगिकी(financial technology) से जीवन को सरल बनाने में जबरदस्त मदद मिली। इससे वित्तीय समावेशन(financial inclusion )और नवाचारों को सशक्त बनाने की दिशा में प्रगति होने लगी है।

फिनटेक वास्तव में उपभोक्ताओं को बेहतर वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से टेक्नोलॉजी समन्वयन ही है और मुख्य रूप से आय, निवेश बीमा और संस्थागत ऋण के चार स्तंभों पर आधारित है।

2020 में महामारी के समय आर्थिक गतिविधि में मंदी के बावजूद भारत में फिनटेक उद्योग, महामारी के कारण उत्पन्न डिजिटिकरण अवसरों का लाभ उठाकर और अन्य चीजों के अलावा सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए वृद्धि के पथ पर अग्रसर रहा। भारत 2,100 फ़िनटेक से अधिक के साथ विश्व में सबसे बड़ा एवं सबसे तेजी से बढ़ता फिनटेक बाज़ार है तथा अमरीका एवं चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा फिनटेक तंत्र है। भारत में फिनटेक अपनाने की दर 87 प्रतिशत है जो कि विश्व में सबसे अधिक है जबकि वैश्विक औसत लगभग 64 प्रतिशत है।

दिसंबर 2021 तक भारत में एक अरब अमरीकी डॉलर से अधिक मूल्य की 17 से अधिक फिनटेक कंपनियां थीं जिन्हें 'यूनिकॉर्न दर्जा' मिला है तथा वित्त वर्ष 2020 में अकेले भारत का बाज़ार 50-60 अरब अमरीकी डॉलर था और बॉस्टॉन कंसलटेंसी ग्रुप के हाल के अध्ययन के अनुसार 2025 तक यह बढ़ कर 150 अरब का हो सकता है।

सरकार के परिवर्तनकारी डिजिटल प्रयासों ने दुनिया में लाखों लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण को बढ़ाने में फिनटेक कंपनियों की मदद की है। डिजिटल क्रांति का अगला चरण बिखरे हुए डिजिटल समाधानों से आगे बढ़कर ऐसी डिजिटल अवसंरचना की ओर बढ़ने का है जो अर्थव्यवस्थाओं एवं समाजों में डिजिटिकरण को गति देगी।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) DPI(Digital Payments Index) समाधान डिजिटल समावेशन के ज़रिए दुनिया में लोगों के जीवन में सुधार ला सकते हैं। सफल सरकारों ने अपने देशों के समक्ष तत्काल चुनौतियों को हल करने में इन डिजिटल सुविधाओं का उपयोग किया है।

जिन देशों के पास महामारी से पहले समग्र एवं सक्रिय डीपीआई था वे वायरस से निपटने के लिए स्पष्ट तथा त्वरित कार्रवाई प्रक्रिया बना पाए। डिजिटल सार्वजनिक सुविधाएं डीपीआई को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने में मदद कर रही हैं।

यूपीआई(Unified Payments Interface) ने पुराने और नए दोनों तरह के व्यवसायों में नवाचारी गतिविधियों को समान रूप से अपनाने की सुविधा देकर प्रवेश बाधाएं हटा दी हैं। कई देश अपनी डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना तैयार करने के लिए प्रयत्नशील हैं पर उसमें सफलता पाना आसान नहीं है। इसका कोई सरल समाधान नहीं है |

केवल बेहतर समन्वय ,अधिक संसाधन जुटाने तथा DPI(Digital Payments Index) से जुड़ी इन बातों की स्पष्ट समझ से यह संभव हो पायेगा कि इसका महत्व क्या है ,क्या हम इसे आपनाने की गति तेज कर सकते है और स्थानीय स्तर पर इसे कैसे मूल्यवान सिद्ध किया जा सकता है | नागरिकों के लिए फिनटेक के एक अन्य चरण के तहत उन तक वित्तीय लाभ और पहलों के फायदे पहुचाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी बेशुमार एप्लीकेशंस होने के कारण भविष्य में अनगिनत अवसर और संभावनाएं भी बनेंगी।

जनधन-आधार-मोबाइल ये तीनों ने देश में वित्तीय समावेशन की दिशा में चमत्कारिक बदलाव लाए हैं। इस वर्ष के केंद्रीय बजट ने फिनटेक की पक्की दिशा तय कर दी है और इसके तहत लोगों को उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं में बढ़ोतरी भी होगी और उनमें काफी सुधार भी लाए जाएंगे।

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डिजिटल करेंसी शुरू करने और डाकघरों में कोर बैंकिंग से इस दिशा में एक और बड़ी सफलता अर्जित की जा सकेगी। लाभ सीधे खातों में हस्तांतरित करने और ई-रुपी लागू होने से लक्षित वर्ग तक सेवाएं पहुंचाना संभव हो रहा है और प्रणाली की खामियां दूर हो रही हैं और दूसरी ओर पीएम स्वनिधि योजना जैसी पहलों से देशभर के छोटे दुकानदार और रेहड़ी-पटरी वाले आसानी से ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

हालांकि शहरी बाज़ार तो फ़िनटेक अपना रहे हैं परंतु ग्रामीण बाज़ारों तक यह सुविधा अभी कम ही पहुंची है। इस प्रणाली के लाभ ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए फिनटेक समाधानों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और जनशक्ति को और विस्तार तथा मज़बूती देने की ज़रूरत है।

साथ ही, लोगों में इन प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के प्रति भरोसा जगाना होगा और उन्हें आश्वस्त करना होगा कि उनका धन और निवेश सुरक्षित और महफूज़ है। आंकड़ों की सुरक्षा और धोखाधड़ी से निपटने के समुचित और ठोस उपाय करने होंगे।

ब्लॉकचेन, जिओ-फैसिंग, जिओ- टैगिंग या धांधली के इरादे से होने वाले हमलों की रोकथाम के लिए नीतिगत समर्थन भी होना चाहिए। तभी सुरक्षित और स्थिर डिजिटल वित्तीय वातावरण बनाया जा सकेगा।

विश्व में अब भी 1.7 अरब से अधिक वयस्क ऐसे हैं जिनकी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच नहीं है और फिनटेक कंपनियां उन पर काफी बड़ा सामाजिक एवं आर्थिक असर डाल सकती हैं। सभी देश जोखिमों को कम से कम करते हुए इनसे फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

इसमें सफल होने और फ़िनटेक क्रांति का लाभ केवल कुछ लोगों तक नहीं बल्कि अनेक लोगों तक पहुंचाने के लिए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक सहयोग की ज़रूरत है। अपनी असीम संभावनाओं के बल पर ही फ़िनटेक और इससे जुड़ा आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र सफल और प्रभावी माध्यम बन सकेंगे और लोग अपनी आर्थिक-सामाजिक प्रगति के लिए फिनटेक और उससे जुड़ी व्यवस्थाओं पर भरोसा कर सकेंगे।

 


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