indian judiciary notes in hindi pdf (भारतीय न्यायपालिका नोट्स पीडीएफ हिंदी में)
भारतीय
न्यायपालिका (The indian judiciary)
भारतीय शासन प्रणाली का तीसरा आधार स्तम्भ न्यायपालिका है | भारत की शासन प्रणाली
संघीय है किन्तु न्यायपालिका (judiciary) एकीकृत है | इसका
तात्पर्य है की पुरे देश के लिए ,एक ही सर्वोच्च न्यायलय है |
केंद्र और राज्यों के लिए पृथक – पृथक न्यायालय नही है, और
न ही विभिन न्यायलयों के मध्य शक्तियों का विभाजन है | भारतीय न्यायपालिका का संगठन शंकु की
आकृति का है ,जिसमे शिखर पर उच्चतम न्यायालय है |
उसके नीचे उच्च न्यायालय
तथा उच्च न्यायलयों के निचे अधीनस्थ न्यायालय (जिला न्यायालय ) विभिन्न जिलो में स्थापित
किये गये है | जिला न्यायालय का प्रधान जिला एवम सत्र न्यायधीश (DISTRICT AND
SESSION JUDGE )होता है | वह जिले का सर्वोच न्यायिक अधिकारी होता है |
जब वह सिविल मामले की सुनवाई करता है तो जिला न्यायधीश और
जब वह आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है तो सत्र न्यायधीश कहलाता है | जिले में जिला
एवं सत्र न्यायधीश के निचे ‘सिविल’
और आपराधिक मामलों को देखने के लिए अलग-अलग मजिस्ट्रेट होते है |
सिविल मामलो को देखने वाले मजिस्ट्रेट को ‘मुंसिफ मजिस्ट्रेट या सिविल
जज’ तथा आपराधिक मामलों को देखने वाले मजिस्ट्रेट को ‘न्यायिक मजिस्ट्रेट’
कहा जाता है | न्यायिक मजिस्ट्रेटो का प्रमुख ‘मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट’
होता है |
कुछ राज्यों में ‘पंचायत न्यायालय’ का भी गठन किया
गया है |ये न्यायालय अलग –अलग नामों यथा – न्याय पंचायत ,पंचायत अदालत,ग्राम कचहरी
आदि नामों से जानी जाती है |
सर्वोच्च
न्यायलय (SUPREME COURT )
संविधान का भाग -5 , के अंतर्गत अध्याय 4 के अनुच्छेद 124 -147 सर्वोच्च न्यायलय से सम्बन्ध है | सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना एवं गठन सम्बन्धी प्रावधान अनुच्छेद 124 में दिया गया है | अनुच्छेद 126 के तहत कार्यकरी मुख्य न्यायधीश तथा अनुच्छेद 127 के तहत तदर्थ न्यायधिशो की नियुक्ति की जा सकती है |
अनुच्छेद
129 उच्चतम न्यायलय को अभिलेख न्यायलय ‘अभिलेख न्यायलय’ (COURT OF
RECORD )घोषित करता है | उच्चतम न्यायलय का स्थान अनुच्छेद 130 के
तहत तथा उच्चतम न्यायलय की आरंभिक अधिकारिकता अनुच्छेद 131 के तहत दी गई है
|
सर्वोच्च न्यायलय का गठन (CONSTITUTION OF THE SUPREME COURT)
सर्वोच्च
न्यायलय के गठन के बारे में प्रावधान अनुच्छेद 124(1)
में दिया गया है | अनुच्छेद 124 (1) के तहत मूल संविधान में सर्वोच्च न्यायायल के
लिए एक मुख्य न्यायाधीश तथा सात (7) अन्य न्यायधिशो की व्यवस्था की गयी थी और
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधिशो की संख्या ,सर्वोच्च न्यायालयों का क्षेत्राधिकार (RIGHTS),न्यायधिशो
के वेतन या सेवा शर्ते निश्चत करने का अधिकार संसद को दिया गया था |
सर्वोच्च न्यायलय का स्थान –
सर्वोच्च
न्यायलय दिल्ली में स्थित हैं ,किन्तु वह अन्य किसी स्थान पर भी सुनवाई कर सकता है
,यदि मुख्य न्यायधीश राष्टपति के अनुमोदन से ऐसा स्थान सुनवाई के लिए नियत करता है
(अनुच्छेद 130 )| अभी तक हैदराबाद और श्रीनगर में सर्वोच्च न्यायलय ने अपने
ऐसे बैठके की है |
न्यायधिशो की योग्ताए -
अनुच्छेद 124(3)
के अनुसार सर्वोच्च न्यायधिशो की निम्न योग्ताए होनी चहिये –
- 1 वह भारत का नागरिक हो
- 2 वह एक या एक से अधिक उच्च न्यायलयो में लगातार कम–से-कम 5 वर्षो तक न्यायधीश के रूप में कार्य कर चूका हो | अथवा
- 3 वह एक या एक से अधिक उच्च न्यायलय में लगातार कम-से-कम 10 वर्षों तक अधिवक्ता (ADVOCATE ) रह चुका हो ,
- 4 राष्ट्रपति की राय में एक पारंगत विधिवेता (DISTINGUISHED JURIST) हो |
मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति –
सर्वोच्च
न्यायलय के मुख्य न्यायधीश तथा अन्य न्यायधिशो की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है |
सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधिशो की नियुक्ति के बारे में प्रावधान अनुच्छेद (124)
में दिया गया है |
इसमे कहा गया
है की राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के और
उच्च न्यायलयों के ऐसे न्यायधिशो से परामर्श करने के पश्यात जिनसे परामर्श करना वह
आवश्यक समझें ,उच्चतम न्यायालय के प्रत्येक न्यायधीश को नियुक्त करेगा |
अन्य न्यायधीश की नियुक्ति –
उच्चतम न्यायलय
के अन्य न्यायधिशो की नियुक्ति राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायधीश की सलाह पर करता
है | राष्ट्रपति अन्य न्यायधिशो की नियुक्ति करते समय उच्चतम् न्यायलय तथा उच्च न्यायालयों
के ऐसे न्यायधिशो से परामर्श भी ले सकता है ,जिनसे वह परामर्श करना आवश्यक समझें |
तदर्थ न्यायधिशो की नियुक्ति –
उच्चतम
न्यायलय में तदर्थ न्यायधिशो की नियुक्ति अनुच्छेद 127 के अधीन की जाती है
| तदर्थ न्यायधीश की नियुक्ति मुख्य न्यायधीश द्वरा राष्ट्रपति की पूर्व सहमती से
की जाती है |
न्यायधिशो की पदावधि (TERM OF OFFICE OF JUSTICE)-
उच्चतम
न्यायलय के सभी न्यायाधीश (मुख्य न्यायधीश एवं अन्य न्यायाधीश ) 65 वर्ष की आयु तक
अपना पद धारण करते हैं | न्यायधिशो की आयु ऐसे प्राधिकारी द्वरा और ऐसी रीति से
अवधारित की जाएगी जो संसद विधि द्वारा उपबंधित करे | किन्तु कोई न्यायाधीश राष्ट्रपति
को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा कभी भी अपना त्यागपत्र दे सकता है | किसी
न्यायधीश को अनुच्छेद 124(4) के तहत उसके पद से हटाया भी जा सकता है |
सर्वोच्च न्यायलय का क्षेत्राधिकार
-
भारतीय
संविधान द्वारा उच्चतम न्यायलय को प्रारंभिक,अपीलीय और परामर्श सम्बन्धी व्यापक क्षेत्राधिकार
प्रदान किया गया है |
अनुछेद 131 में उच्चतम न्यायलय के प्रारंभिक क्षेत्राधिकार के बारे
में बताया गया है |
1. प्रारंभिक क्षेत्राधिकार (ORIGINAL JURISDICATION)- इसके अनुसार वे मामले आते हैं ,जिनकी सुनवाई का अधिकार सिर्फ उच्चतम न्यायलय को है |यथा-
- भारत सरकार तथा एक या एक से अधिक राज्यों के मध्य विवाद
- ऐसे विवाद जहां भारत सरकार तथा एक या अधिक राज्य एक तरफ और एक या एक से अधिक राज्य दूसरी तरफ हों ,या
- दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य विवाद की सुनवाई सिर्फ उच्चतम न्यायलय करता है |
2.
अपीलीय क्षेत्राधिकार (APPELLATE JURIDICATION)- यह भारत का
अंतिम अपीलीय न्यायलय है |उसे सभी उच्च न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपील
सुनने का अधिकार हैं |
3.
परामर्श क्षेत्राधिकार (ADVISORY JURIDICATION)-संविधान द्वारा अनुच्छेद 143 के तहत यदि राष्ट्रपति
को प्रतीत हो कि विधि या तथ्य का ऐसा कोई प्रश्न पैदा हुआ है ,जो सार्वजानिक
महत्त्व का है वह उस पर उसकी राय मांग सकता है |
4.
अभिलेख न्यायलय (COURT OF RECORD)- अनुच्छेद 129 के अनुसार वह अपने और कार्यवाहियाँ लिखित रूप से रखता है और
ऐसे निर्णय अधीनस्थ न्यायलयों के सामने पूर्वनिर्णय (PRECEDENT) के रूप में पेश किये जा सकते है |
5.
पूर्वावलोकन का क्षेत्राधिकार (REVIEW OF JURISDICATION)- अनुच्छेद 127 के अनुसार
वह अपने दिए गये निर्णय या आदेशों को बदल सकता हैं |
न्यायपालिका
सम्बन्धी वस्तुनिष्ट प्रश्न –
1.उच्चतम
न्यायलय मामलो की सुनवाईं न्यू डेल्ही (NEW DELHI) में करता है,परंतु अन्य स्थान
पर भी सुनवाई कर सकता है –
a.
राष्ट्रपति के अनुमोदन से
b.
यदि उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश बहुमत से यह तय करे
c.
संसद के अनुमोदन से
d.
राज्य विधान सभा के अनुरोध पर
ANS.
(a )
2.भारत
का सर्वोच्च न्यायलय एक “अभिलेख न्यायलय” है| इसका आशय है की –
a.
इसे अपने सभी निर्णयों का अभिलेख रखना होता है |
b. इसके सभी निर्णयों का सक्च्या
मूल्य होता है और इस पर किसी भी न्यायलय में प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता है |
c. इसे अपनी अवमानना करने वालों
को दण्डित करने की शक्ति हैं|
d. इसके निर्णयों के विरुद्ध कोई
अपील नही की जा सकती |
ANS. (b)
3. सर्वोच्च न्यायलय में
न्यायधीश नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को कम-से-कम कितने वर्ष उच्च न्यायालय का
एडवोकेट होना चाहिए ?
a. 20
b. 10
c. 8
d. 25
ANS. (b)
4. भारतीय संविधान का संरचना कौन
है ?
a. राष्ट्रपति
b. संसद
c.
मंत्रिपरिषद
d. सर्वोच्च न्यायालय
ANS. (d)
5. भारत का उच्चतम न्यायलय कानून या तथ्य के मामले में राष्ट्रपति को परामर्श देता है
a. अपनी पहल
b. तभी जब वह ऐसे परामर्श के लिए
कहता है
c. तभी जब मामला नागरिकों के मूलभूत
अधिकारों से सम्बंधित हो
d. तभी जब मामला देश की एकता
अखंडता के लिए खतरा पैदा करता हो
ANS. (b)
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