madhyakalin bharat ka itihas notes in hindi pdf(मध्यकालीन भारत का इतिहास नोट्स हिंदी में पीडीफ़)

 

JPSC(PT) और JSSC exam के लिए महत्वपूर्ण

 

मध्यकालीन भारत के ऐतिहासिक स्थल

अजमेर- अजमेर अथवा अजयमेरु राजस्थान का एक प्रमुख नगर है। 1113 ई० में शाकम्भरी के अजयदेव ने अजमेर की स्थापना की थी। मुहम्मद गोरी ने तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज तृतीय को हराने के बाद इस पर अधिकार कर लिया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 ई० में यहाँ के प्रसिद्ध संस्कृत विद्यालय-विग्रहराज को 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' मस्जिद में बदल दिया | यहाँ प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह हैं |

असीरगढ़- बुरहानपुर में स्थित असीरगढ़ मूल रूप में एक हिन्दू सरदार का किला था। इसे दक्षिण का प्रवेश द्वार भी कहा गया है। इस पर खान देश के शासक मलिक नासिर ने अधिकार कर लिया था। सुरक्षा की दृष्टि से यह अत्यधिक मजबूत किला था। छह माह तक घेरा डालने के बावजूद जब मुगल इसे जीत न पाये तब अकबर ने इसके अधिकारियों को रिश्वत देकर 1601 ई० में इसे विजित किया था।

अहमदनगर- अहमदनगर की स्थापना 1490 ई० में मलिक अहमद निजामशाह ने की थी। उसने इसकी सामरिक स्थिति को देखते हुए इसे अपनी राजधानी बनाया। 13वीं सदी में यह क्षेत्र बहमनी साम्राज्य के अन्तर्गत था। अकबर के में चाँदबीबी ने अहमदनगर की रक्षा के लिए मुगलों से संघर्ष किया। अन्ततः 1633 ई० में अहमदनगर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया।

अम्बेर- अम्बेर जो कि बाद में जयपुर के नाम से जाना गया। अम्बेर के शासक कछवाहा राजपूत थे। अकबर के समय भारमल जैसे महत्त्वपूर्ण शासक ने मुगलों की अधीनता को स्वीकार किया तथा अपनी पुत्री का विवाह भी अकबर के साथ किया। यहाँ के वास्तुकलात्मक निर्माण दर्शनीय हैं।

अहमदाबाद- इसकी स्थापना अल्प खाँ उर्फ अहमदशाह ने 1411 ई० में कराई व इसे गुजरात की राजधानी बनाया। अपने तीस वर्षीय (1411-1441) शासनकाल में उसने अहमदाबाद में कलात्मक एवं सांस्कृतिक विकास को प्रोत्साहन दिया। यहाँ की स्थापत्य कला हिन्दू और जैन कला से प्रभावित है। यहाँ की इमारतों में पत्थर की बारीक अलंकृत जालियों और लकड़ी पर सुन्दर नक्काशी का व्यवहार किया गया। यहाँ की जामा मस्जिद गुजराती मुस्लिम वास्तुकला का सुन्दर उदाहरण है।



अन्हिलवाड़ यह उत्तरी गुजरात में स्थित है तथा इसका आधुनिक नाम पाटन है। यहाँ 765 ई० में सम्प्रभु राज्य में की स्थापना की गई। बाद में यह सोलंकियों के हाथ चला गया। अलाउद्दीन खिलजी के समय इस पर मुसलमानों ने अधिकार कर लिया। मुजफ्फर शाह के समय गुजरात दिल्ली से स्वतन्त्र हुआ एवं अहमदाबाद की स्थापना तक अन्हिलवाड़ राजधानी बना रहा।

अटक- अटक उत्तरी पाकिस्तान में सिन्धु नदी के किनारे स्थित है। इसका ऐतिहासिक महत्त्व मुगलकालीन पश्चिमोत्तर सीमान्त नीति से सम्बद्ध है। हिन्दूशाही राजाओं का केन्द्र ओहिन्द यहाँ से मात्र 16 किमी दूर है। अटक की पहाड़ियों पर युसुफजाई कबीले से रक्षा हेतु अकबर ने एक मजबूत दुर्ग का निर्माण कराया। 1758 ई० में पेशवा बालाजी बाजीराव के छोटे भाई रघुनाथ राव ने अटक दुर्ग को जीता था। यहाँ आज भी अटक दुर्ग के भग्नावशेष सुरक्षित हैं।

आगरा - 1504 ई० में सल्तनत काल में सिकन्दर लोदी ने इस शहर की स्थापना यमुना नदी के तट पर की तथा इसे अपनी राजधानी बनाया। सामरिक एवं वास्तु की दृष्टि से यह शहर अति महत्त्वपूर्ण है। इसी कारण मुगलों ने इसे राजधानी के रूप में लम्बे समय तक प्रयोग किया। शाहजहाँ द्वारा निर्मित ताजमहल व अकबर का लाल किला विश्व प्रसिद्ध हैं।

इन्दौर इसकी स्थापना मराठा सरदार मल्हार राव होल्कर ने की थी। अहिल्याबाई यहाँ की शासिका रही जिसका प्रशासन पूरे मध्य भारत में एक आदर्श के रूप में देखा जाता है। 1818 ई० में होल्करों को अंग्रेजों के साथ सन्धि करनी पड़ी जिससे उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। इन्दौर के होल्करों ने ही अछूतों को मन्दिरों एवं विद्यालयों में प्रवेश की अनुमति दी। यहाँ के पैलेस, मन्दिर छतरियाँ यहाँ की ऐतिहासिक गाथा को प्रकट करती हैं।

उदमाण्डपुर- यह सिन्धु के दाहिने किनारे पर अटक से कुछ किमी दूर है। जब अरबों ने काबुल पर अधिकार कर लिया तो यह शाहियों की राजधानी बनी। 1003 ई० में अरबों के विरुद्ध लड़ते हुए आनन्दपाल की मृत्यु हुई।

उदयपुर महाराणा प्रताप के पिता राणा उदयसिंह द्वारा इसकी स्थापना की गई। उदयपुर का मुगलों से भारी संघर्ष रहा |बाद में अमर सिंह ने 1651 ई० में जहाँगीर से संधि कर  ली | औरंगजेब के समय यहाँ काफी विद्रोह हुए। यहाँ पर पिछौला झील में स्थित राजप्रासाद काफी प्रसिद्ध है। यहाँ पर महाराणा जगदीशसिंह द्वारा बनवाया गया जगदीश मन्दिर (1651ई०) उदयपुर का सबसे बड़ा मन्दिर है।

औरंगाबाद- औरंगाबाद का वास्तविक नाम खिरकी था जो कि निजामशाह की राजधानी थी। औरंगजेब ने स्वयं के नाम पर इसका नाम औरंगाबाद रखा1650 ई० में द्वितीय बार दक्कन का गवर्नर बनने के बाद औरंगजेब ने इसे अपना वैकल्पिक मुख्यालय बनाया। यह दक्कनी साहित्य का मुख्य केन्द्र था। 1679 ई० में यहाँ औरगंजेब की रानी रबियाउदुर्रानी और स्वंय औरंगजेब का मकबरा स्थित हैं। विख्यात अजन्ता की गुफाएँ भी स्थित है।

कैम्बे यह गुजरात का एक प्रसिद्ध बन्दरगाह था। अलाउद्दीन खिलजी के समय यह सल्तनत के अधीन रहा परन्तु 15वीं शताब्दी में यह स्वतन्त्र हो गया। अकबर ने गुजरात विजय के समय यहाँ की यात्रा की एवं पुर्तगाली व्यापारियों से मुलाकात की। यहाँ के मुख्य निर्यात थेसूती वस्त्र, धागे, नील।

कालीकट केरल के मालाबार तट का यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह है। पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा 1498 ई० में यहाँ आया तब यहाँ का शासक जमोरिन था। भारत एवं पुर्तगालियों के मध्य व्यापारिक सम्बन्ध बनाने में कालीकट की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। सूती वस्त्र के उत्पादन का केन्द्र होने के साथ यहाँ से काली मिर्च का निर्यात भी होता था।

कालिंजरयह उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में स्थित है। इसकी स्थापना जयपाल के सहयोगी केदारनाथ ने की थी। कालिंजर के शासक नन्द को यहाँ मोहम्मद गोरी से पराजित होने पर सन्धि करनी पड़ी वहीं ऐबक ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया। 1530 ई० में यह हुमायूँ के हाथ में चला गया। इतिहास में इसके अमर होने का मुख्य कारण शेरशाह सूरी द्वारा इसे विजित करने के साथ ही तोप के गोले के फटने से उसकी मृत्यु का यहाँ होना है।

कल्याण- महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर थाणे जिले में यह अवस्थित है। 14वीं शताब्दी में तुर्कों ने इसका नाम इस्लामाबाद कर दिया। 1536 ई० में पुर्तगालियों ने इस पर अधिकार कर लिया। बाद में शिवाजी ने इस पर अधिकार कर लिया। अंग्रेजों को उन्होंने यहाँ फैक्ट्री खोलने की भी अनुमति दी।

कन्याकुमारी यह भारत का दक्षिणतम बिन्दु है। मध्यकाल में तुर्की प्रभाव यहाँ तक पहुँचा। मुहम्मद बिन तुगलक ने काम्पिली को पराजित किया तथा समर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया। इससे सम्पूर्ण प्रायद्वीप ताप्ती से कावेरी तक तुर्कों के हाथ में आ गए। यह स्थल विवेकानन्दशिला व केन्द्र के लिए भी प्रसिद्ध है।

कल्याणी कर्नाटक के बीदर में मजिरा तथा भीमा नदियों के मध्य कल्याणी स्थित है। यहाँ मध्ययुगीन दक्षिण भारत की प्रमुख राजशक्तियों ने शासन किया था। 11वीं शताब्दी ई० में चालुक्य तैलप द्वितीय ने कल्याणी में चालुक्य शासन की नींव रखी1190 ई० में कल्याणी के चालुक्यों को देवगिरि के यादवों ने प्रभावहीन कर दिया था। कल्याणी के दुर्ग में मुहम्मद बिन तुगलक के दो अभिलेख मिले हैं जिनसे पता चलता है कि कल्याणी दिल्ली सल्तनत में सम्मिलित था। औरगंजेब के समय में मुगल सेना ने कल्याणी पर आक्रमण किया था। उसके बाद कल्याणी को बीदर में मिला दिया गया था। कल्याणी विविध किस्म के नमक के लिए प्रसिद्ध था

क्विलोन क्विलोन अथवा कोल्लम केरल में त्रिवेन्द्रम के निकट समुद्र तट पर स्थित है। क्विलोन मालाबार तट का बन्दरगाह था।

खजुराहो - यह मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के छतरपुर जिले में स्थित है। मध्यकाल में यह चन्देलों की सांस्कृतिक राजधानी थी। यहाँ पर 10वीं और 11वीं सदी में चन्देल राजाओं धंग एवं गण्ड द्वारा अनेक विशाल मन्दिरों का निर्माण करवाया गया जो उनके लौकिक-अलौकिक प्रेम व वास्तुकला की श्रेष्ठता को दर्शाता है। यहाँ पर जैन, हिन्दू एवं बौद्ध धर्मों के मन्दिर प्राप्त हुए हैं, जिनमें कन्दरिया महादेव, पार्श्वनाथ मन्दिर, चौसठ योगिनी मन्दिर काफी प्रसिद्ध हैं।

खजुहा खजुहा उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के पास अवस्थित है। यहाँ जनवरी 1659 ई० को मुगल राजकुमारों औरगंजेब तथा शाहशुजा के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध हुआ था जिसमें औरंगजेब विजयी हुआ

ग्वालियरयह मध्य प्रदेश के उत्तरी हिस्से में अवस्थित है। 9वीं सदी में यह कन्नौज के राजा भोज के अधीन था। 10वीं सदी के मध्य में यह कछवाहा राजपूतों के अधिकार में चला गया। राजा सूर्यसेन तोमर द्वारा बनवाया गया ग्वालियर का किला किलों का रत्न, भारत का जिब्राल्टर कहा जाता है। किले की तलहटी में जैन धर्म की मूर्तियाँ अद्वितीय हैं।

 

 

      



कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.
close