"खूनी रविवार: जब शांतिपूर्ण भीड़ पर बरसी गोलियां, एक दिन जिसने रूसी इतिहास बदल दिया!"

                                                                                 


🔴 परिचय: खूनी रविवार क्या है?

इतिहास में जब किसी रविवार को अत्यधिक हिंसा और जनसंहार होता है, तो उसे 'खूनी रविवार' कहा जाता है। ऐसा ही एक ऐतिहासिक रविवार 22 जनवरी 1905 को रूस की राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग में घटित हुआ था, जिसे आज तक "Bloody Sunday" या हिंदी में "खूनी रविवार" कहा जाता है। यह घटना रूस में पहली रूसी क्रांति की नींव बनी और अंततः जार शासन के पतन की दिशा में एक बड़ा कदम थी।


🔥 घटना की पृष्ठभूमि: रूस की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति

1905 के समय, रूस एक निरंकुश साम्राज्य था जहाँ जार निकोलस द्वितीय (Tsar Nicholas II) का पूर्ण नियंत्रण था।

  • आम जनता भूख, गरीबी, और बेरोजगारी से त्रस्त थी।

  • मजदूरों को फैक्ट्रियों में अत्यधिक काम करवाया जाता था और उन्हें नाममात्र की मजदूरी दी जाती थी।

  • बोलने, लिखने और विरोध करने की स्वतंत्रता नहीं थी।

  • सरकार भ्रष्ट और जनविरोधी हो चुकी थी।

इन स्थितियों में जनता में असंतोष गहराता जा रहा था।


📢 प्रदर्शन की योजना: शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की कोशिश

रूस के मजदूरों और आम नागरिकों ने अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई।
इस विरोध का नेतृत्व एक पादरी जॉर्जी गैपॉन (Father Georgy Gapon) ने किया, जो एक लोकप्रिय समाज सुधारक थे।
उन्होंने मजदूरों को प्रेरित किया कि वे जार निकोलस द्वितीय के पास एक याचिका लेकर जाएँ, जिसमें उनकी परेशानियों का समाधान माँगा जाए।

इस याचिका में निम्नलिखित माँगें थीं:

  • काम के घंटे घटाए जाएँ

  • मजदूरी बढ़ाई जाए

  • बच्चों के लिए शिक्षा

  • बोलने और संगठन बनाने की आज़ादी

  • युद्ध (Russo-Japanese War) को समाप्त करने की अपील


🩸 खूनी रविवार: 22 जनवरी 1905 की घटना

22 जनवरी 1905 को हजारों मजदूर, महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शांतिपूर्ण जुलूस के रूप में जार के महल (Winter Palace) की ओर बढ़े।
उनके हाथों में जार की तस्वीरें थीं और वे राष्ट्रीय गीत गा रहे थे।
यह एक अहिंसक मार्च था, जिसमें केवल अपनी बातें शांति से रखने का प्रयास किया गया।

लेकिन जार के सैनिकों को यह भ्रम हुआ कि यह विद्रोह है।
उन्होंने बिना चेतावनी के भीड़ पर गोलियाँ चला दीं।

  • लगभग 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई

  • सैकड़ों घायल हुए

  • चारों ओर अफरा-तफरी मच गई

  • बच्चे, महिलाएं, बूढ़े – कोई नहीं बख्शा गया

इस दर्दनाक और क्रूर घटना ने इतिहास के पन्नों में इसे "खूनी रविवार (Bloody Sunday)" के नाम से अमर कर दिया।


📉 इस घटना का प्रभाव: रूस में बदलाव की शुरुआत

खूनी रविवार के बाद रूस में बड़े बदलाव देखने को मिले:

  1. जनता का जार पर से भरोसा उठ गया।

  2. रूस के कई शहरों में विद्रोह और हड़तालें शुरू हो गईं।

  3. 1905 की क्रांति ने जन्म लिया।

  4. जार को मजबूर होकर कुछ राजनीतिक रियायतें देनी पड़ीं –

    • ड्यूमा (Duma) नाम की संसद की स्थापना की गई

    • कुछ हद तक प्रेस और बोलने की आज़ादी मिली

    • मजदूरों को यूनियन बनाने का अधिकार मिला

हालांकि, ये बदलाव काफी सीमित और नियंत्रण में थे, परंतु यह पहली बार था जब रूस की जनता ने खुलकर सत्ता का विरोध किया।


🧠 खूनी रविवार और रूसी क्रांति का संबंध

खूनी रविवार को रूसी क्रांति की भूमिका माना जाता है।

  • यह घटना 1917 की महान रूसी क्रांति के बीज बोने का कार्य कर गई।

  • धीरे-धीरे बोल्शेविक पार्टी का प्रभाव बढ़ा और

  • अंततः 1917 में जारशाही का अंत हुआ और सोवियत संघ (USSR) की स्थापना हुई।


📚 इतिहास में खूनी रविवार का महत्व

  • यह घटना केवल एक जनसंहार नहीं थी, बल्कि यह शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाने का प्रतीक बनी।

  • यह बताता है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी जब दमनात्मक सत्ता के सामने आता है, तो वह कितना खतरनाक रूप ले सकता है।

  • खूनी रविवार ने दुनियाभर में शासकों और शासितों के रिश्तों पर सवाल खड़े किए।


💡 रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  1. खूनी रविवार के बाद Father Gapon की विश्वसनीयता पर सवाल उठे क्योंकि बाद में वह सरकार से जुड़े निकला।

  2. इस घटना के बाद कुछ कट्टरपंथी समूहों ने हिंसक विद्रोहों की राह अपनाई।

  3. लेखक लियो टॉलस्टॉय जैसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों ने भी सरकार की आलोचना की।


📝 निष्कर्ष: खूनी रविवार क्यों याद किया जाता है?

खूनी रविवार सिर्फ एक तारीख या एक घटना नहीं है, यह मानवाधिकार, स्वतंत्रता और न्याय की मांग की प्रतीक है।
यह दिखाता है कि अगर आम जनता शांति से अपनी बात कहने भी जाए, तो दमनकारी सत्ता कैसे उसे कुचलने की कोशिश करती है।

रूस का यह खूनी रविवार आज भी इतिहास में एक क्रांतिकारी मोड़ के रूप में दर्ज है, जिसने एक साम्राज्य की जड़ों को हिला दिया और एक नए युग की शुरुआत की।

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