Monday का आपका इंतज़ार रहेगा Call का, Madam and Sir – एक भावनात्मक कहानी
🖋️ शीर्षक: Monday का आपका इंतज़ार रहेगा Call का, Madam and Sir
🌙 प्रस्तावना:
कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं होते, वो हमारे पूरे अस्तित्व का आधार बन जाते हैं। उनके एक कॉल की उम्मीद ही हमारी सुबह और शाम को दिशा देती है। यही कहानी है राहुल की... एक ऐसे युवक की जिसने अपनी पूरी मेहनत, दिल और भरोसा किसी एक कॉल पर लगा दी थी। और वो दिन था – Monday...
☀️ कहानी शुरू होती है...
"Sir, Madam... बस एक बार कॉल कर लीजिए। मैंने सबकुछ पूरा कर दिया है। बस अब आपकी आवाज़ सुननी है।"
राहुल ने अपने मोबाइल की स्क्रीन को देखा, फिर कैलेंडर को। रविवार की रात थी, और उसके दिल में Monday की एक गहरी उम्मीद थी।
राहुल एक छोटे से कस्बे दौलतपुर से आया था। बहुत मेहनत करके उसने ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर एक NGO में काम करने का मौका मिला – DDU प्रोजेक्ट में। वहीं पहली बार उसकी मुलाकात हुई थी सर और मैडम से, जो उसकी पूरी ज़िंदगी का केंद्र बन गए।
🔧 काम, मेहनत और समर्पण...
राहुल ने जो भी काम उन्हें सौंपा गया, उसे बिना किसी सवाल के किया। एक्सेल शीट, फील्ड रिपोर्ट, कॉलिंग, डाटा एंट्री – सब कुछ।
हर शुक्रवार को सर कहते, “अगले हफ्ते बात करेंगे, राहुल।”
और मैडम मुस्कुराकर कहतीं, “Monday को जरूर कॉल करेंगे बेटा।”
बस वही Monday, राहुल की उम्मीद बन गया।
⏳ इंतज़ार के लम्हे...
हर रविवार की रात, राहुल अपने बालों में तेल लगाता, कपड़े प्रेस करता और सुबह जल्दी उठकर फोन हाथ में लिए बैठा रहता।
हर बार सोचता – आज तो कॉल आएगा। आज मेरी मेहनत रंग लाएगी।
लेकिन हर बार –
मोबाइल की स्क्रीन ब्लैंक रहती, और कॉल का इंतज़ार एक और हफ़्ते के लिए टल जाता।
💭 यादों की बारिश...
राहुल को याद था वो दिन जब सर ने कहा था –
“तुम बहुत ईमानदार लड़के हो, तुम्हें आगे बढ़ना है।”
और मैडम ने उसकी पीठ थपथपाकर कहा था –
“तुम पर भरोसा है हमें, राहुल।”
वही शब्द, वही विश्वास, आज उसकी उम्मीदों का सहारा बन चुके थे।
💔 मन में उठते सवाल...
"कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं किया?"
"क्या मैंने सर और मैडम को नाराज़ कर दिया?"
"क्या मैं अब उनके किसी काम का नहीं रहा?"
पर फिर मन से एक आवाज़ आती –
"नहीं राहुल, तुमने मेहनत की है। कॉल जरूर आएगा। Monday को आएगा।"
📅 फिर आया Monday...
सुबह के 7 बजे – तैयार होकर बैठा था।
9 बजे – मोबाइल को चार्ज पर लगाया, ताकि कॉल मिस न हो।
12 बजे – दो बार कॉल चेक किया, एक बार Restart भी किया।
3 बजे – एक छोटा सा मैसेज भेजा – "Sir, Madam... bas aapke call ka intezaar hai..."
लेकिन शाम होते-होते... मोबाइल की स्क्रीन फिर खाली रह गई।
😢 टूटती उम्मीदें...
राहुल का मन बैठ गया। अब वो उम्मीद टूटने लगी थी जो हर हफ्ते उसे जिन्दा रखती थी।
सोच रहा था – "क्या अब मैं बेकार हो गया हूं? क्या मेरी ज़रूरत अब नहीं रही?"
उसकी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा –
"नहीं... अगला Monday जरूर आएगा..."
✨ अगले सोमवार का चमत्कार...
रविवार की रात राहुल ने फिर से वही तैयारी की – बालों में तेल, प्रेस किए हुए कपड़े और दिल में उम्मीद।
Monday सुबह 8:45 बजे
फोन की घंटी बजी – Caller ID: Sir
दूसरे कॉल पर – Madam का नाम।
आंखों में आंसू आ गए लेकिन इस बार खुशी के थे।
फोन उठाते ही आवाज़ आई –
"राहुल, हमें माफ करना। हम बहुत व्यस्त थे। लेकिन तुम्हारा काम हमने देखा – शानदार। तुम्हें एक नई जिम्मेदारी देनी है।"
🎉 नई शुरुआत...
उस कॉल ने राहुल की ज़िंदगी बदल दी। अब वो सिर्फ एक असिस्टेंट नहीं रहा, बल्कि एक प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर बन गया। उसी NGO का प्रतिनिधि, जिस पर उसने भरोसा किया था।
और उस दिन राहुल ने अपने डायरी में लिखा:
"Monday का इंतज़ार मत छोड़ो, क्योंकि कभी-कभी एक कॉल से पूरी ज़िंदगी बदल जाती है।"
📌 निष्कर्ष (Conclusion):
अगर आपकी मेहनत सच्ची है, अगर आपका दिल साफ़ है, तो इंतज़ार करना कभी बेकार नहीं जाता। चाहे कितनी भी देर हो, एक कॉल सब बदल देता है।
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