डॉक्टर ने कहा सिर्फ 10 दिन हैं ज़िंदगी के – एक दिल छू लेने वाली कहानी
डॉक्टर ने कहा, अब सिर्फ 10 दिन हैं ज़िंदगी के
✍️ लेखक: [आपका नाम]
भाग 1: रिपोर्ट की चुप्पी
“माफ़ कीजिएगा... रिपोर्ट के मुताबिक़ आपके पास ज़्यादा समय नहीं बचा...”
डॉक्टर की बातों ने मानो ज़मीन खींच ली हो राजवीर के पैरों से। वो वही राजवीर था जिसकी हँसी कॉलोनी में सबको सुनाई देती थी, जो हर मुसीबत को हँसी में टाल देता था, लेकिन आज… उसके चेहरे पर खामोशी थी।
"डॉक्टर, कितने दिन?"
डॉक्टर ने नज़रे झुका लीं।
"शायद... सिर्फ़ 10 दिन।"
भाग 2: ज़िंदगी की उल्टी गिनती
राजवीर अस्पताल से निकला, लेकिन अब हर सांस गिनी-चुनी सी लग रही थी। उसे याद आने लगे वो पल जो उसने कभी ज़्यादा अहमियत नहीं दी थी—माँ की मीठी डाँट, बहन की चाय, दोस्त की गालियाँ, और पूजा... उसकी पहली और आखिरी मोहब्बत।
राजवीर ने खुद से वादा किया—अगर ज़िंदगी ने 10 दिन दिए हैं, तो हर दिन को जीऊंगा जैसे ये आख़िरी हो।
भाग 3: पहला दिन - माँ से माफ़ी
घर लौटा तो माँ दरवाज़े पर ही खड़ी थी।
"इतनी देर कहाँ था, बेटा?"
राजवीर ने माँ को गले लगा लिया और आंखों से आँसू बहने लगे।
"माँ, एक बात कहनी है... मैं हमेशा तुझसे प्यार करता रहा, लेकिन कभी बता नहीं पाया। माफ़ कर देना माँ, कभी दिल दुखाया हो तो..."
माँ के हाथ काँपने लगे।
"क्या हुआ है बेटा?"
राजवीर ने जवाब नहीं दिया। सिर्फ़ माँ की गोद में सिर रखकर सो गया… एक सुकून की नींद।
भाग 4: दूसरा दिन - बहन की शादी की तैयारी
राजवीर ने बहन राधा को पास बुलाया।
"तेरी शादी की बात चल रही थी न, लड़का कैसा है?"
राधा हैरान थी,
"भाई, तू कब से इतना सीरियस हो गया?"
"आज से," राजवीर ने मुस्कराते हुए कहा।
वो चाहता था कि उसके बाद भी राधा का जीवन खुशियों से भरा हो। उसी दिन लड़के वालों से मिलकर सगाई पक्की कर दी गई। राधा की आँखों में ख़ुशी थी और राजवीर की आँखों में आँसू।
भाग 5: तीसरा दिन - दोस्त को गले लगाना
राजवीर स्कूल का दोस्त शशांक से मिला।
“तेरे जैसा दोस्त नहीं मिलेगा दोबारा यार,”
शशांक हँस पड़ा,
“अबे, मर रहा है क्या?”
राजवीर मुस्कराया,
“अगर मर जाऊं, तो मेरी कोई शिकायत मत रखना।”
शशांक ने उसे कसकर गले लगा लिया।
“तू मरेगा नहीं, मैं दारू छोड़ सकता हूँ लेकिन तुझे नहीं।”
भाग 6: चौथा दिन - पूजा से मुलाकात
पूजा... उसका पहला प्यार। कॉलेज के बाद कभी बात नहीं हुई थी। राजवीर मंदिर के बाहर खड़ा था, और पूजा वही से आ रही थी।
"पूजा..."
वो ठिठकी।
"राजवीर?"
"बस एक बात कहनी थी… मैंने तुझसे बहुत प्यार किया, आज भी करता हूँ… ये बात ज़िंदगी भर दिल में रखी, आज कह रहा हूँ क्योंकि शायद ज़िंदगी अब ज़्यादा नहीं बची।"
पूजा की आंखें भर आईं।
"इतनी देर क्यों कर दी बोलने में?"
"डरता था..."
"अब मत डर, मैं भी तुझसे प्यार करती हूँ।"
भाग 7: पांचवां दिन - बच्चों को कहानी सुनाना
राजवीर मोहल्ले के बच्चों को रोज़ कहानियाँ सुनाता था। उस दिन उसने एक खास कहानी सुनाई—एक बहादुर लड़के की जिसने 10 दिनों में पूरी दुनिया जीत ली।
बच्चों की तालियों के बीच वो मुस्कराया।
"जब तुम्हारे पास समय कम हो, तब हर पल की कीमत समझो।"
भाग 8: छठा से नौवां दिन – सबको अलविदा
राजवीर ने अपने हर करीबी से मिलना शुरू किया।
हर रिश्ते में जो अधूरापन था, उसे पूरा किया।
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पड़ोसी बबलू से सालों पुराना झगड़ा खत्म किया
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स्कूल टीचर को धन्यवाद कहा
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ऑटो वाले रामू से माफ़ी मांगी
हर मुलाकात एक नई ऊर्जा दे रही थी।
और फिर आया दसवां दिन…
भाग 9: दसवां दिन - चमत्कार
सुबह-सुबह राजवीर अस्पताल पहुंचा।
डॉक्टर ने देखा और हैरानी में कहा:
"ये... ये तो चमत्कार है! तुम्हारे शरीर में कैंसर का कोई निशान नहीं बचा। रिपोर्ट्स सब क्लियर हैं!"
राजवीर और उसके साथ खड़ी माँ, पूजा, राधा और शशांक सब रोने लगे… खुशी के आँसू।
"कैसे मुमकिन है?"
डॉक्टर बोला,
"शायद... आपने ज़िंदगी को जीना शुरू किया, और शरीर ने मरना छोड़ दिया।"
🧠 सीख / निष्कर्ष (Conclusion)
ज़िंदगी हमें हर दिन देती है, लेकिन हम उसे टालते जाते हैं—
कल माँ से बात कर लूंगा...
कल प्यार का इज़हार कर लूंगा...
कल दोस्त से मिल लूंगा...
लेकिन क्या पता, वो "कल" आए ही न।
राजवीर को तो 10 दिन मिले थे,
लेकिन कई लोगों को आखिरी दिन तक भी एहसास नहीं होता कि वो जी ही नहीं रहे थे।
आज ही जीओ…
हर रिश्ते को, हर भावना को, हर सांस को… क्योंकि ज़िंदगी अनमोल है।
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