Kuku FM जैसी हिंदी कहानी | "कहानी का नाम: "वो कॉल जो ज़िंदगी बदल गई"
"कहानी का नाम: "वो कॉल जो ज़िंदगी बदल गई"
प्रस्तावना
हर इंसान की ज़िंदगी में एक ऐसा पल आता है जो सब कुछ बदल देता है। कुछ लोगों के लिए वो एक दुर्घटना होती है, किसी के लिए एक रिश्ता, लेकिन मेरे लिए वो था – एक अनजान नंबर से आई कॉल...
पहला भाग: एक अनजान नंबर
29 नवंबर की सुबह थी। मैं हमेशा की तरह ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। मोबाइल पर एक मिस्ड कॉल थी – अननोन नंबर। शुरुआत में ध्यान नहीं दिया, लेकिन जैसे ही मैं मेट्रो में चढ़ा, फिर वही कॉल आया।
"हैलो, क्या आप आदित्य बोल रहे हैं?"
"हाँ, बोल रहा हूँ। आप कौन?"
"तुम्हें सिर्फ एक बात याद रखनी है – 7 दिन बाद तुम्हारी ज़िंदगी में तूफान आने वाला है।"
कॉल कट।
मैं एक पल के लिए सुन्न रह गया। न कोई धमकी थी, न कोई सीधी बात। पर आवाज़ में अजीब सी ठंडक थी – जैसे कोई बिना भावना के बोल रहा हो।
दूसरा भाग: रोज़ एक संकेत
अगले दिन मेरे डेस्क पर एक लिफाफा रखा था। बिना नाम का। अंदर एक पेपर था –
“उस दरवाज़े को मत खोलना जो खटखटाए नहीं।”
मैं घबरा गया। ये कोई खेल है या मज़ाक? लेकिन फिर हर दिन एक नया लिफाफा मिलने लगा – और हर बार एक नई रहस्यमयी पंक्ति:
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“जिस पर भरोसा है, वही धोखा देगा।”
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“घड़ी 12 बजाएगी और राज़ खुलेगा।”
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“आखिरी दिन सिर्फ तुम बचोगे – बाकी सब खत्म।”
तीसरा भाग: अपने लोग अजनबी लगने लगे
मेरे दोस्तों को मेरे ऊपर शक होने लगा। ऑफिस में लोग फुसफुसाते – “आदित्य कुछ छिपा रहा है।”
यहाँ तक कि मेरी मंगेतर श्रेया भी मुझसे दूरी बनाने लगी।
एक रात मैंने उसे लिफाफे के बारे में बताया। उसने गंभीरता से सुना और कहा –
“आदित्य, हो सकता है तुम्हारा कोई पुराना दुश्मन हो?”
मैंने सिर हिलाया – “मुझे याद नहीं पड़ता।”
लेकिन अगले दिन... वो गायब हो गई।
चौथा भाग: CCTV फुटेज और एक परछाई
मैं पुलिस के पास गया। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज दिखाया। उसमें मैं खुद श्रेया को एक कार में बिठाकर ले जाता दिख रहा था।
“ये तुम ही हो, आदित्य!”
“नहीं! मैं उस वक्त घर पर था!”
“सबूत यही कहता है।”
मुझे शक हुआ – क्या कोई मेरी शक्ल में कुछ कर रहा है?
पांचवां भाग: वो जगह जहाँ सच छिपा था
लिफाफों की एक पंक्ति थी – “जहाँ सब कुछ शुरू हुआ, वही सब कुछ खत्म होगा।”
मैं अपने बचपन के गांव गया। वही घर, वही कुआँ – और वही पुराना कमरा जिसमें मेरी माँ ने आत्महत्या की थी।
दीवार पर एक नोट मिला –
“वो कॉल तुम्हारी माँ की आखिरी ख्वाहिश थी। जिसने उसे मारा, अब वही तुम्हें मिटाना चाहता है।”
छठा भाग: माँ की डायरी
मैंने उस कमरे में माँ की एक पुरानी डायरी खोज निकाली। उसमें लिखा था:
“आदित्य जब बड़ा होगा, उसे सच्चाई बताना। उसका जुड़वां भाई राघव उससे अलग कर दिया गया है। क्योंकि वो मानसिक रोगी था।”
मैं हैरान रह गया। मुझे कभी नहीं बताया गया कि मेरा कोई जुड़वां भाई है!
सातवाँ भाग: चेहरों के पीछे का सच
मैं शहर लौटा। और पुलिस को सारी जानकारी दी। तब जाकर एक बहुत बड़ा राज़ खुला।
राघव – मेरा जुड़वां भाई – जो सालों से मानसिक अस्पताल में था, किसी तरह भाग निकला था और उसने मेरी जगह लेना शुरू कर दिया था।
श्रेय को उसी ने अगवा किया था।
उसने सीसीटीवी में दिखने के लिए मेरे जैसे कपड़े पहने, मेरी आदतें अपनाईं – और धीरे-धीरे मेरी ज़िंदगी को हथियाने लगा।
आखिरी भाग: वो कॉल दोबारा आई
मैंने राघव को ढूंढ निकाला। एक सुनसान फैक्ट्री में।
“क्यों कर रहा है ये सब?”
“क्योंकि माँ ने तुम्हें चुना, मुझे नहीं। अब मैं तुम्हें मिटाकर तुम्हीं बनूंगा!”
दोनों के बीच हाथापाई हुई। पुलिस समय पर पहुँच गई। राघव को गिरफ्तार कर लिया गया।
उस रात, मुझे फिर से वही अननोन कॉल आया...
“तू जीत गया, लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ... अगला मोहरा तुम खुद होगे... इंतज़ार करना।”
निष्कर्ष
ज़िंदगी में कई बार हमें ऐसे इशारे मिलते हैं जो बेमतलब लगते हैं। लेकिन अगर ध्यान दें – तो हर इशारे के पीछे एक कहानी छिपी होती है।
आप इस कहानी से क्या सीखते हैं? क्या आपको भी कभी किसी अनजान कॉल से डर महसूस हुआ है?
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