"सब कुछ खत्म हो गया है... अब जीने की हिम्मत नहीं बची"
"क्या सच में अब सब खत्म हो गया?" – एक युवक की भावनात्मक और रहस्यमयी कहानी
प्रस्तावना
"मैं मरने जा रहा हूँ… अब और नहीं सहा जाता… कोई नहीं है मेरे साथ… अब हे भगवान, इस जीवन का अंत कर दो…"
ये वो शब्द थे जो राघव ने अपने कमरे की दीवार पर लिखे थे। एक शांत रात, एक बंद दरवाज़ा और एक टूटा हुआ दिल… लेकिन क्या वास्तव में उसकी कहानी यहीं खत्म हो गई? आइए जानते हैं इस भावनात्मक, रहस्यमयी और दिल छू लेने वाली कहानी को, जिसमें छिपा है जीवन का सबसे बड़ा सस्पेंस।
भाग 1: टूटे सपनों की शुरुआत
राघव एक सामान्य सा लड़का था, बिहार के एक छोटे से कस्बे से। उसने JNU राजस्थान से MCA किया था। पढ़ाई में होशियार और स्वभाव से सीधा-सादा। कॉलेज खत्म होते ही उसे Wipro में एक अच्छी नौकरी मिल गई। ज़िंदगी पटरी पर थी — लेकिन अचानक एक दिन…
उसकी माँ की तबीयत बिगड़ी। डॉक्टरों ने हार्ट स्टेंट की सलाह दी। घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी। उसने अपनी नौकरी छोड़कर फ्रीलांसिंग शुरू की ताकि माँ के साथ रह सके। धीरे-धीरे सब कुछ हाथ से फिसलता गया।
भाग 2: "सब मुझसे दूर हो गए"
राघव का जीवन अब केवल संघर्ष बनकर रह गया था। ना दोस्त, ना परिवार, ना ही कोई सहारा।
हर दिन वह अपने लैपटॉप पर ऐप और वेबसाइट बनाने में लगा रहता, लेकिन बदले में सिर्फ क्लाइंट की शिकायतें मिलतीं।
“तुम्हारे जैसे लोग डेडलाइन का मतलब नहीं समझते…”
“पैसे तो लिए थे पूरे, काम अधूरा क्यों छोड़ा…”
और राघव खुद? अंदर से बिखर चुका था। वो सोचता – क्या मैं ही गलत था? क्या मैं ही काबिल नहीं था?
भाग 3: आत्महत्या की तैयारी
एक दिन, जब सब सो रहे थे, राघव ने खुद को कमरे में बंद कर लिया।
उसने लिखा —
"मुझे नहीं पता मैं कैसे जीतूंगा... लेकिन अब हारने की हिम्मत भी नहीं बची।"
"शायद मैं हार गया… जिंदगी से…"
उसने मोबाइल स्विच ऑफ किया। खुद को बिस्तर पर बैठाया और आँखें बंद कर लीं…
भाग 4: कहानी में मोड़
पर अचानक कुछ हुआ।
दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
एक लड़की की आवाज़ आई — "राघव! दरवाजा खोलो प्लीज़…"
यह प्रिया थी — वही क्लाइंट जिसने कुछ महीने पहले राघव से एक वेबसाइट बनवाई थी। उसने राघव के बनाए प्रोजेक्ट को अपने स्टार्टअप में लगाकर करोड़ों का निवेश पा लिया था।
"राघव! तुम समझ नहीं रहे, तुम्हारा काम बहुत बड़ा है… मैं चाहती हूँ तुम मेरे साथ कंपनी में पार्टनर बनो!"
राघव का दिल धड़क उठा। क्या ये सपना था?
भाग 5: नई सुबह, नई कहानी
अगले दिन राघव ने सब कुछ बदला।
पुराने मैसेज डिलीट किए। सोशल मीडिया से नकारात्मक लोगों को हटाया। प्रिया के साथ मिलकर एक नई शुरुआत की।
कुछ ही महीनों में उनका स्टार्टअप वायरल हो गया। राघव को पहचान मिलने लगी। वो यूट्यूब चैनलों, ब्लॉग्स और न्यूज़ पोर्टलों पर दिखाई देने लगा।
भाग 6: ज़िंदगी के मायने
राघव ने अब खुद को एक मिशन पर रखा — "हर उस इंसान को बचाना, जो हार मान चुका है।"
उसने एक NGO शुरू की – "नई राहें" – जहाँ मानसिक तनाव से जूझ रहे युवाओं को काउंसलिंग, फ्री ट्रेनिंग और मेंटरशिप दी जाती है।
आज वो लाखों लोगों की प्रेरणा बन चुका है।
निष्कर्ष (Conclusion)
क्या राघव की कहानी खत्म हो गई थी? नहीं!
असल में वहीं से शुरू हुई, जहाँ वो सोच रहा था कि सब खत्म हो गया।
अगर आप भी कभी राघव जैसे हालात से गुज़रें…
तो बस इतना याद रखना –
"हो सकता है आज अंधेरा हो… लेकिन सूरज उगने से पहले सबसे गहरी रात होती है।"
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