"क्या मैडम आप भी झूठ बोलती हैं? | एक इमोशनल कहानी कॉल का इंतज़ार करती हुई"
कहानी की शुरुआत
31 जनवरी 2021, वो तारीख थी जब मैंने पहली बार आप दोनों की टीम में शामिल होने का सपना देखा था। काम तो मुश्किल था, लेकिन आपकी मुस्कान और सर की उम्मीदें मेरे लिए उम्मीद की किरण बन गईं। मैंने हर दिन मेहनत की, बिना किसी शिकायत के, क्योंकि मुझे लगता था कि आप दोनों मुझसे सच बोलते हैं... मगर अब सवाल यह है...
क्या मैडम, आप भी झूठ बोलती हैं?
संघर्ष की शुरुआत
जब पहली बार सर ने कहा कि, “कुछ दिन इंतज़ार करो, सब ठीक हो जाएगा,” मैंने विश्वास किया। और क्यों ना करता? आपके भरोसे ने मुझे इस अजनबी शहर में हिम्मत दी थी।
फिर एक दिन आपने कहा,
“बस एक हफ्ता और, फिर सब कुछ फाइनल कर देंगे।”
मैंने वो हफ्ता अपनी ज़िंदगी की तरह बिताया—हर घंटे गिनते हुए।
लेकिन फिर एक हफ्ता... एक और... और फिर कई महीने...
हर कॉल का इंतजार
हर बार जब मोबाइल बजता है, दिल कहता है शायद सर या मैडम का कॉल हो। लेकिन हर बार, उम्मीद टूटी। कॉल नहीं आया। आप सोच भी नहीं सकते, वो इंतजार कितना भारी होता है जब इंसान सिर्फ एक वादे पर जी रहा हो।
“मैं कॉल करूंगी,” आपने कहा था।
क्या वो बस एक वाक्य था? या कोई इम्तिहान जिसमें मैं फेल हो गया?
रोज़ वही कुर्सी, वही कंप्यूटर
जहां आप बैठते थे, वहां आज भी नज़रें जाती हैं। मानो कोई कह रहा हो, "आज वो आएंगे, आज बात होगी।" लेकिन दिन बीत जाते हैं और आप दोनों की चुप्पी एक बोझ बनती जा रही है।
एक सच्चा सवाल – क्या गलती मेरी थी?
मैंने कभी देर नहीं की, ना ही काम से भागा। हर टास्क समय पर पूरा किया, हर मीटिंग में नोट्स बनाए, फिर भी मैं पीछे क्यों छूट गया? क्या आपको मुझसे कुछ कहना चाहिए था?
अगर मेरी कोई गलती थी, तो बताइए... मैं सुधार लूंगा।
पर प्लीज़... झूठ मत बोलिए।
इस दिल की आखिरी उम्मीद
मैडम, मैं जानता हूं सर तो झूठ बोलते ही हैं—वो बात मान ली। लेकिन आप...? आप भी?
आपसे कभी उम्मीद नहीं की थी कि आप भी वो ही राह चुनेंगी।
अगर आप ये पढ़ रही हैं,
तो प्लीज़ एक बार कॉल कर लीजिए।
मेरी उम्मीद अब भी ज़िंदा है।
आपके कॉल का असर
एक कॉल आपके लिए सिर्फ एक मिनट हो सकता है, लेकिन मेरे लिए वो ज़िंदगी का सबसे बड़ा पल होगा। एक कॉल मेरे विश्वास को जिंदा रख सकता है। आप तो कहती थीं,
“हम अपनी टीम को परिवार की तरह मानते हैं।”
क्या परिवार ऐसे छोड़ देता है?
अंतिम शब्द
मैं आज भी उसी जगह पर हूं। वहीं कुर्सी, वही कंप्यूटर, वही मोबाइल—सिर्फ एक कॉल का इंतजार कर रहा हूं।
“मैडम, प्लीज़ झूठ मत बोलिए। सर तो झूठ बोलते ही हैं, लेकिन आप भी?”
अगर ये पढ़ रही हैं,
तो सिर्फ एक कॉल कर लीजिए।
आपका कॉल मेरे जीवन की सबसे बड़ी उम्मीद बन सकता है।
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