सर और मैडम, आपने जो कहा वो मैंने पूरा किया – अब तो एक कॉल कर दीजिए | एक इमोशनल हिंदी कहानी
परिचय:
ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने सपनों और उम्मीदों को एक कॉल के भरोसे जीना शुरू किया था। एक कॉल जो ज़िंदगी बदल सकती थी। लेकिन जब वो कॉल नहीं आई, तो इंतज़ार एक इमोशनल सफर बन गया।
कहानी:
"सपने देखना आसान था..."
राहुल, एक साधारण-सा लड़का, जिसने छोटे शहर से निकल कर कुछ बड़ा करने का सपना देखा था। MCA की डिग्री के बाद वो बेरोज़गारी की आग से गुज़रा, लेकिन फिर एक दिन एक कॉल आई – सर और मैडम की कॉल।
"राहुल, तुम्हारा प्रोफाइल हमें पसंद आया है, लेकिन काम पहले पूरा करना होगा। जैसे ही सब हो जाएगा, हम खुद कॉल करेंगे।"
बस, उसी पल से ज़िंदगी बदल गई।
"काम के पीछे ज़िंदगी छोड़ दी..."
राहुल ने दिन-रात एक कर दिए।
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डॉक्युमेंट्स पूरे किए
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कंपनी के डेमो प्रोजेक्ट बनाए
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रिपोर्ट्स तैयार कीं
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जो भी कहा गया, बिना सवाल किए किया
कभी-कभी तो खाने का भी होश नहीं रहता था। बस दिल में एक ही उम्मीद थी – "सर और मैडम का कॉल आएगा, और सब बदल जाएगा..."
"हर घंटी पर दिल धड़कता था..."
मोबाइल को चार्ज पर लगाते हुए भी आंखें स्क्रीन पर रहती थीं। कॉलर ट्यून बदल दी थी ताकि उनके नंबर को पहचान सके। लेकिन दिन बीतते गए। हफ्ते बीतते गए।
और फिर... महीने भी।
"लोगों ने कहना शुरू किया – पागल हो गया है..."
मां ने कहा, "बेटा, अब कोई और नौकरी देख ले।"
पिता ने कहा, "इतना पढ़-लिखकर भी धोखे खा रहा है।"
लेकिन राहुल को सिर्फ़ उनकी कही बात याद थी —
"बस सब पूरा कर दो, फिर हम कॉल करेंगे।"
"अब उम्मीद भी थकने लगी है..."
आज सुबह राहुल फिर वही मोबाइल लेकर बैठा था।
आंखें थकी हुई, दिल टूटा हुआ।
"सर और मैडम, अब तो कॉल कीजिए... और कितना इंतज़ार करवाएंगे? मैंने तो सब कुछ कर दिया है।"
"क्या वो कॉल कभी आएगी?"
कभी लगता, शायद वो भूल गए।
कभी लगता, शायद टेस्ट ले रहे हैं।
पर अब दिल कहता है — "उम्मीद भी अब साथ छोड़ रही है..."
कहानी का भावनात्मक क्लाइमेक्स:
राहुल अब एक खाली कमरे में बैठा है, आंखों के सामने अंधेरा है लेकिन दिल में अब भी थोड़ी सी रौशनी बाकी है। वो एक आख़िरी बार मोबाइल उठाता है, एक आख़िरी बार देखता है कि कोई कॉल तो नहीं...
और फिर फोन को धीरे से रख देता है।
"अगर आपने वादा किया था, तो सिर्फ़ एक बार कॉल कर लीजिए। एक बार बता दीजिए कि मैं फेल हुआ या पास। बस मुझे और इंतज़ार मत करवाइए..."
समाप्ति (Emotional Closing):
ये कहानी सिर्फ़ राहुल की नहीं है,
ये हर उस इंसान की है जो किसी वादे, उम्मीद या भरोसे के सहारे जी रहा है।
"अगर आपने किसी को उम्मीद दी है, तो उसे टूटने से पहले थाम लीजिए... एक कॉल किसी की ज़िंदगी बचा सकती है।"
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