"उनसे मिलके – एक भावनात्मक प्रेम कहानी जो दिल छू लेगी"

 

उनसे मिलके !

उनसे मिलके ! (कहानी )

हमारे आस –पास न जाने कितनी ही कहानियाँ है | हर इन्सान का जीवन एक कहानी है | ऐसे ही एक सच्ची – घटना पर आधारित ये कहानी है | इस कहानी में प्यार भी है ,संघर्ष भी है , सामाजिक जातिवाद भी है और अंत में एक खुशहाल सफल वैवाहिक जीवन भी है |

ये कहानी शुरू होती  है 1960 के दशक से , जब गौरव का जन्म हुआ था | सात भाई- बहनों में पाचवें नम्बर पर गौरव था | यह परिवार दक्षिण भारत के एक छोटे से शहर में रहता था | इसके पिताजी एक छोटे से कपड़ा व्यापारी थे |  

बच्चे जब तक छोटे थे घर का खर्चा आसानी से चल जा रहा था लेकिन जैसे –जैसे बच्चे बड़े होते गये | आर्थिक परेशानियां बढ़ती गई | गौरव को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर नौकरी के लिए दिल्ली जाना पड़ा  | उस समय काम आसानी से मिल जाता था , क्योंकि भीड़ उतनी नही होती थी |

हीरा तरासने का काम उसने शुरू कर दिया | बचपन से ही मेहनती गौरव बहुत जल्द सीख गया कि कैसे हीरे को तरासा जाता है | घर पर बचपन से ही बिजनेस का माहौल देख कर बड़ा हुआ , गौरव बहुत जल्दी हीरे का व्यापर कैसे होता है वो सिखने लगा |

इसी बीच वो अपने काम के सिलसिले में किसी –से मिलने पास वाली लायबरेरि गया |

जहां उसने पहली बार प्रिया को देखा | गौरव को पहली नजर में प्रिया अच्छी लगने लगी  | एक शायरी जो गौरव के मन में उस समय आया होगा ....💖

              एक बार ही बहकती है नजर,

              जनाब इश्क़ सौ बार नहीं होता।

उस जमाने में फेसबुक ये सब होता नही था की किसी का नाम पता आसानी से मिल जाये |तो उसने सोचा की शायद कल फिर इसी समय पर आने से वो फिर मिलेगी | गौरव फिर उस टाइम पर पहले से उसका इंतेजार कर रहा था |

हमेशा की तरह वो फिर वहाँ अपनी पढ़ाई करने गई , इस बार उसको ये महसूस हुआ कि कोई उसको देख रहा है | लेकिन इस बात को वो नजरअंदाज कर गई | अब तो गौरव का रोज का काम था , लायबरेरि में जाकर उसको देखना |

एक दिन उसने हिम्मत कर के किसी एड्रेस के बहाने से उससे बात की | ये बात प्रिया को मालुम था कि ये सब बात करने के बहाने है | फिर भी उसने एड्रेस बता दिया ,और फिर बात करने का दौर चल पड़ा | ....

एक दिन गौरव ने अपना फोन नंबर प्रिया को  दिया और रात को इंतेजार करने लगा कि कब प्रिया का फोन आता है | रात के 11 बजे प्रिया ने गौरव को कॉल किया और बात की |

फिर वो बाहर मिलने लगे , कुछ दिनों बाद उन्होंने सोचा की | हमदोनों को अब शादी कर  लेनी चाहिए |

लेकिन कहते है न कि किसी को प्यार करना आसान  है पर उसको पा लेना बहुत मुश्किल होता है |

ग़ालिब ने यूँही थोड़े न बोला था ... ये  इश्क  नहीं  आसां बस इतना  तो  समझ  लीजे, एक  आग  का  दरिया  है और  डूब  के  जाना  है ..

प्रिया का परिवार बहुत ही पुराने सोच का था | चार भाई –बहनों में प्रिया सबसे बड़ी थी और जो बड़ा होता है | परिवार का मान –सम्मान सम्भालने की जिम्मेदारी भी उसकी सबसे ज्यादा होती है | प्रिया के पिताजी उसे ज्यादा पढ़ना नही चाहते थे | वो चाहते थे कि उसकी शादी जल्दी से करवा दे |

प्रिया आगे पढ़ना चाहती थी , लेकिन  उस घर में रह कर आगे पढ़ना ही मुश्किल था | तो फिर अपनी पसंद से शादी करना तो दूर की बात थी | गौरव को बहुत चिंता थी  की कैसे उसके परिवार वालो को समझाया जाय | प्रिया  बोली  की तुम अपने परिवार को समझाओ और मै अपने |

जब प्रिया ने अपने घर ये बात बताई कि वो किसी से प्यार करती है तो |

 उसके पिताजी गुस्से से आग-बबुला 💥 हो गये | उनके दिमाग में गौरव के प्रति ये सोच थी कि वो अलग जाति का है , समाज क्या बोलेगा | वो प्रिया को घर से बाहर जाने को मना किये | लेकिन फिर भी वो गौरव से मिलती रही , एक दिन गौरव प्रिया के घर पर आया |

उसके पिताजी और गौरव में काफी बहस हुआ ,प्रिया ने गौरव का साथ दिया | ये सब देखकर प्रिया की माँ ने अपने पति को समझाया कि लड़का जब इसे प्यार करता है |

 और इसकी सारी जिम्मेदारी लेने को तैयार है तो और फिर चिंता किस बात की है आपको, | फिर काफी दिनों बात वो शादी के लिए राजी हुए | गौरव अपने घर चला गया और इधर प्रिया उसका इंतेजार करती रहती थी | 💗 ....

एक शायरी बहुत सटीक बैठती है ‘अगर इन्सान सही है ,तो इंतेजार गलत नहीं |

इधर गौरव के घर में भी इनकी शादी को लेकर विरोध था , लेकिन बोलते है न – जहाँ चाह वहाँ राह | अंत में उसके घर वाले भी मान गये |

लगभग एक साल लग गये सबको शादी के लिए मनाने में ,बाद में दोनों की शादी हो गई |

जब प्रिया शादी कर के घर आई तो बहुत आसान नही था सबके साथ तालमेल बैठाना |

घर में थोड़ी - बहुत परेशानियां समय के साथ आती गई |

इधर गौरव ने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया | वो इस काम में कभी व्यस्त रहने लगा उसे  एक पाट्नर की जरूरत थी | जो उसके बिजनेस में मदद कर सके , प्रिया ने निर्णय लिया की | वो उसकी मदद करेगी और फिर वो गौरव से बिजनेस के सब तौर – तरीके सिखने लगी |

उनको इसमे काफी फायदा हुआ | और वो दोनों अपना अलग घर ले कर रहने लगे | गौरव के लिए प्रिया लकी साबित हुई |

गौरव के दिल में उस समय यही चल रहा होगा ....

सच कहूँ तो तेरा प्यार एक वरदान है,

जो तुझे पायेगा सिर्फ वही एक धनवान है.  

जो परिवार वालें इनको पहले मदद नहीं किये या फिर लड़ाई करते थे | वो आज इनसे मिलने को बैचेन रहते है | प्रिया के पिताजी अब गौरव की  ☺ तारीफ करते नही थकते  है | इसी लिए तो बोला जाता है |

बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रूपया ...

इस तरह वो आज अपनी जिन्दगी हंसी खुशी जी रहे है | 😊

ये सच्ची कहानी उन लोगों के लिए एक मिशाल है जो प्यार तो करते है लेकिन कभी उसको पाने के लिए कोशिश नही करते है |....

ईश्वर से ये प्रार्थना करते है कि दोनों आजीवन खुश रहें  ,स्वस्थ रहें और सफलता की और नई ऊंचाइयों को छूयें ......

👉 ये दो लाइन से कहानी खत्म करते है कि ..

💕दिल में सुकून आँखों में आराम सा है,

  तुम्हारा इश्क़ बनारस की शाम सा है.....


 


                                   

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