यह मेरी ज़िंदगी का एक ऐसा पहलू है
यह मेरी ज़िंदगी का एक ऐसा पहलू है, जिसे जब भी याद करता हूँ, मन भारी हो जाता है। बहुत बार ज़िन्दगी में हम आगे बढ़ने के सपने देखते हैं, नए लक्ष्य तय करते हैं, लेकिन कुछ समस्याएँ ऐसी होती हैं जो बार-बार हमारे कदमों को रोक देती हैं।
मेरी सबसे बड़ी दुखद समस्या है अकेलापन। लोगों से घिरा रहकर भी एक खालीपन का एहसास होता है। परिवार और दोस्त हैं, फिर भी ऐसा लगता है कि मैं खुद से कहीं दूर होता जा रहा हूँ। इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में, मैंने महसूस किया है कि कभी-कभी हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ हो जाते हैं। दूसरों से बातें तो होती हैं, लेकिन मन की गहराईयों में छुपी तकलीफ को समझने वाला कोई नहीं मिलता।
हर दिन एक जैसी दिनचर्या, न चाहते हुए भी जीवन को बोझिल बना देती है। यह सोचकर दिल और भी दुखता है कि जिन सपनों को पूरा करने के लिए इतनी मेहनत की थी, वह कहीं खो से गए हैं। अब सिर्फ़ काम, जिम्मेदारियाँ और अनकहे दर्द रह गए हैं।
मैं जानता हूँ कि मेरे जैसे कई लोग इस अकेलेपन और अंदरूनी संघर्ष से जूझ रहे होंगे, पर शायद सबको इस बारे में बात करने का साहस नहीं मिल पाता। यह दर्द जब तक अंदर रहता है, तब तक और भी ज़्यादा तकलीफदेह हो जाता है। उम्मीद करता हूँ कि एक दिन इस सूनापन का अंत होगा, और मैं फिर से अपने जीवन में खुशियाँ महसूस कर पाऊँगा।
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