धुंध में छिपी आवाज़

 

                                                                     

"धुंध में छिपी आवाज़"

सुबह का समय था, और गाँव के चारों ओर घनी धुंध छाई हुई थी। सूरज की किरणें धुंध को चीरने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन धुंध इतनी घनी थी कि उसके बीच से कुछ भी साफ़ नज़र नहीं आ रहा था। गाँव के लोग रोज़मर्रा की तरह अपने काम में व्यस्त थे, लेकिन आज हवा में कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था।

वह एक छोटी लड़की थी, नाम था नेहा। आठ साल की उम्र, चंचल और नटखट। हर दिन की तरह वह अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकलने वाली थी, लेकिन आज कुछ अलग था। धुंध के कारण सब कुछ धुंधला था, और गाँव में एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी।

नेहा का मन बहुत बेचैन था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई उसे पुकार रहा है, पर यह आवाज़ स्पष्ट नहीं थी। वह आवाज़ धुंध के बीच से आ रही थी, पर वह समझ नहीं पा रही थी कि ये आवाज़ किसकी है और कहाँ से आ रही है। उसके कदम अपने आप उस दिशा में बढ़ने लगे, जहाँ से आवाज़ आ रही थी।

चलते-चलते नेहा गाँव के बाहर पहुँच गई। वहाँ एक पुराना पीपल का पेड़ था, जिसके बारे में गाँव वाले कहते थे कि वो पेड़ सैकड़ों साल पुराना है। कोई उस पेड़ के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था, क्योंकि कहा जाता था कि उस पेड़ में आत्माएँ बसती हैं।

नेहा का दिल तेजी से धड़क रहा था, लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे आगे बढ़ा रही थी। जब वह पेड़ के पास पहुँची, तो उसे अचानक से एक तेज़ हवा का झोंका महसूस हुआ, और वह आवाज़ अब स्पष्ट हो गई। यह आवाज़ किसी बूढ़ी औरत की थी, जो मदद के लिए पुकार रही थी।

"बेटी, क्या तुम मेरी मदद करोगी?" आवाज़ नेहा के कानों में गूंज रही थी।

नेहा ने हिम्मत जुटाई और पूछा, "कौन हो तुम? और मुझे कैसे पुकार रही हो?"

आवाज़ ने धीरे से जवाब दिया, "मैं इस पेड़ की आत्मा हूँ। कई साल पहले यहाँ पर एक गाँव बसता था, लेकिन एक दिन एक बड़ी विपत्ति आई और गाँव के सभी लोग मारे गए। तब से मैं इस पेड़ में कैद हूँ। अगर तुम मेरी मदद करोगी, तो मैं मुक्त हो जाऊंगी।"

नेहा ने सोचा कि यह एक मौका है किसी को मदद करने का, लेकिन उसे डर भी लग रहा था। उसने पूछा, "मुझे क्या करना होगा?"

आवाज़ ने कहा, "तुम्हें इस पेड़ के पास बने छोटे कुएं से पानी निकालकर मेरी जड़ों पर डालना होगा। तब मैं आजाद हो जाऊंगी।"

नेहा ने अपनी हिम्मत दिखाई और कुएं के पास जाकर पानी निकाला। जब उसने पानी पेड़ की जड़ों पर डाला, तो अचानक से धुंध छंटने लगी और सूरज की किरणें तेज़ी से चमकने लगीं। पेड़ से एक रोशनी निकली, और वह आत्मा आजाद हो गई।

आवाज़ ने आखिरी बार कहा, "धन्यवाद, बेटी। तुमने मुझे मुक्त किया। अब मैं शांति से जा सकती हूँ।"

इसके बाद, गाँव में हमेशा के लिए शांति और खुशहाली आ गई। नेहा की इस बहादुरी की कहानी गाँव भर में फैल गई, और वह सभी के लिए प्रेरणा बन गई।


                                                                    


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