सादगी ऐसी ( कहानी ) |

सादगी ऐसी

sadgi aisi kahani

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आज सोमवार है हमेशा की तरह गौरव जल्दी-जल्दी ऑफिस जाने को रेडी हो रहा था | और जाते – जाते उसने बताया की शाम को रेडी रहना किसी फंक्शन में जाना है | ये बोल कर वो अपने ड्राईवर को आवाज लगाया और कार में बैठ कर चल दिया |

एक बिजनेस मैन होना बहुत मुशिकल का काम है हर समय बिजी रहिये | एक हाथ में फोन और सामने लैपटॉप या फिर कोई फ़ाइल् | चारों तरफ लोग हमेशा रहते है |

शाम को जाना है ये सोच कर प्रिया अपने वाडरोब से कपड़े निकाल रही थी की अचानक प्रिया के हाथ से टकराकर उसकी पुरानीं डायरी जमीन पर  गिर गई और उसमे से गुलाब के सूखे पत्ते फर्श पर बिखर गये .... प्रिया उसे बहुत सम्भाल कर उठाई  , लेकिन उसमे से कुछ पत्ते चूर – चूर हो गये |

उसे बहुत अफसोश हुआ , वो सोचने लगी की  जब गौरव ने उसे पहली बार ये गुलाब दिया था तो वो कितना नर्वस था | बार – बार जमीन की तरफ उसकी नजर थी , उसे लगा की मै उसको बहुत डाटूगी |

सादगी" तो देखो उन नज़रों की,

हमसे बचने की कोशिश में बार_बार हमें ही देखती है....👀

हमे कब कौन कहाँ मिल जाये और किसे हम पसंद करने लगेगे ये तो सब संयोग है | कैसे साधारण सा दिखने वाला लड़का मुझे इतना पसंद आने लगेगा की मै उसके लिए अपने परिवार से भी लड़ जाऊगी पता नही था ...

किसी का प्यार हमें कितना बदल देता है ..उसका जीता – जगता उदाहरण

प्रिया थी .मराठी परिवार से गुजराती परिवार की बहु बनने का सफर इतना आसन नही था |

गौरव 👦 के घरवाले व्यापर करते थे उस समय ज्यादा पैसे न होने के कारण , वो पढ़ाई छोड़ बिजनस  करने लगा | हर शनिवार वो अहमदाबाद रेलवे स्टेशन से मुंबई आता था  | इसी दौरान उसने प्रिया 👧 को पहली बार देखा था ....

कभी – कभी किसी की सादगी इतनी प्यारी लगती है की उसके पीछे सारा जीवन लगा देने को मन करता है...

खूबसूरत अदाएं और ..शोखियाँ दिलों को लुभाती है,

पर हकीकत में सादगी ही, जिंदगी भर साथ निभाती है..

प्रिया पीले सलवार सूट में कितनी प्यारी लग रही थी , जब पहली बार उसे देखा था , शायद वो कुछ सामान लेने आई थी और मेरी नजर उसपर पड़ी उसे देखते ही ऐसा लगा मनो पूरा शहर उस समय रुक गया

हो मेरी नजर सिर्फ उस पर थी और पता नही चला की वो कब आपना सामान लेकर चल दी अब उसका नाम या उसके घर का पता तो था नही बैचेन मन ये सोचा उस दुकानदार से पुछु फिर सोचा वो मुझे लफंगा समझ कर डाट न दे |

भगवान को याद करके ये सोचा की शायद वो कल फिर आएगी लेकिन वो आई नही और मुझे ऐसा लगा की मैंने न जाने कौन -सी कीमती चीज खो दी है | फिर मेरा अहमदाबाद लौटने का समय हो गया था लेकिन मन कर रहा था की एक बार उसे फिर से देख लू | 💮

लेकिन घर जाना भी जरूरी था भारी मन से टिकट खरीद कर ट्रेन पर चढा लेकिन जैसे ही  ट्रेन चलने लगी मुझे लगा मेरा कुछ छुट गया  है और उसके बैगेर में रह नही सकता मै चलती ट्रेन  से उतर गया और फिर वहाँ  ही पहुच गया जहा मैंने पहली बार प्रिया को देखा था |

मन ही मन ये प्राथना कर रहा था की वो आज कही दिख जाये | सुनते हैं के मिल जाती है हर चीज़ दुआ से

इक रोज़ तुम्हें माँग के देखेंगे ख़ुदा से..💞

शायद उपर वाले को मुझ पर तरस आ गया और फाइनली मैंने उसे देखा इस बार उसे फिर से खो न दू ये डर से , मैंने हिम्मत कर सिर्फ कागज पर अपना फोन नंबर लिख कर दे दिया | और फिर वेट करने लगा की कब उसका कॉल आएगा |

रात के इंतज़ार में पूरा दिन बैचेन होकर गुजरा , आज दिन भी न जाने क्यों लम्बा लग रहा था | सच कहते है लोग की प्यार में किसी का इंतेजार करना बहुत मुश्किल है अब जब किसी को होता है वही जाने | 

इधर प्रिया का हाल भी कुछ अलग नही था उसने नंबर तो ले लिया था , लेकिन मन में उधेड़बुन हो रहा था कि कॉल करू या नही | प्रिया स्वभाव की काफी सख्त थी लेकिन न जाने गौरव का दिया वो नम्बर कैसे ले ली , उसे भी समझ में नही आ रहा था |

प्रिया का पूरा दिन इस बैचेनी में गुजरा की उस अजनबी को कॉल करे या नही | फिर उसे अपने आप पर गुस्सा भी बहुत आ रहा था की क्यों मैंने उससे ये कागज लिया | अपने कमरे में आकर उसने टेबल पर बेपरवाह ठंग से कागज को रख दिया |

और फिर वो अपने काम में लग गई , शाम हुआ माँ ने आवाज लगाई की खाना खा लों प्रिया.. वो हमेशा की तरह खाना लाने रसोई  में गई , लेकिन आज उसे सबके साथ खाना खाने का मन नही हुआ बार – बार उसका ध्यान उसी पेपर पर लिखे नम्बर पर  था |

जैसे तैसे वों खाना खत्म कर के बिस्तर पर सोने गई | लेकिन उसकी आखों से नींद गायब थी   बार- बार करवटें बदलते हुए उसे आज दिन की सारी बाते याद आ रही थी |

इस रात के सन्नाटे में उसकी तेज चलती हुई धड़कन उसके कानों को साफ सुनाई  पड़ रही थी और अगर कोई बगल में रहता तो शायद उसे भी सुनाई पड़ती | वो अपने पास वाले कमरें में गई जहाँ फोन रखा हुआ था | उस कमरे की दिवाल पर लटके हुए घड़ी की टिक –टिक रात के सन्नाटे को चीरते हुए दूर तक सुनाई दे रही थी |

उसने अपने बैचन मन को काबू में कर के नम्बर डायल किया और जैसे ही फोन रिंग होने लगा उसने हडबडा कर फ़ोन रख दिया | उधर गौरव बैचेन होकर  उसके फोन का वेट कर रहा था |

प्रिया अपने कमरे में वापस आकर बिस्तर पर लेट गई लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी  | अब शायद उस अजनबी से प्रिया को कुछ लगाव सा हो गया था | कैसी अजीब बात है न बिना किसी का नाम जाने किसी की सादगी और भोलापन कितना अच्छा लगने लगता है |

और कुछ सोच कर वो दुबारा हिम्मत करके कॉल की उधर से एक ही रिंग में गौरव ने फ़ोन उठा लिया |

और फिर दोनों में बात- चित शुरू  हो गया दोनों को ही एक दुसरे से बात करने में प्यार और घबराहट की मिक्स फीलिंग थी | बात करते हुए ये पता चला की  उसका नाम गौरव है और वो गुजरात अहमदाबाद का है वो यहाँ काम के सिलसिले में आया था और उसने प्रिया को पहली बार देखा था | इसके बाद दोनों ने एक दुसरे से मिलने का प्लान बनाया |

प्रिया वही पीला सलवार सूट पहनकर आई  जिसमे गौरव ने उसने पहली बार देखा था | इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं ..प्रिया इतनी प्यारी लग रही थी कि गौरव उससे देखता रहा |

फिर  गौरव ने हर आम लड़के की तरह एक गुलाब का फूल प्रिया को दिया , जिसे प्रिया ने हिचकते हुए उससे लिया | 🍂

हम किसके साथ अपनी पूरी जिन्दगी बिता सकते है ये इससे पता चलता है की उसके साथ बैठ हुए समय कैसे गुजर जाता है पता ही नही चलता है |

प्रिया को गौरव से मिलते हुए ये एहसास हो गया की यही वो इन्सान है जिसके साथ वो अपना बाकि का जीवन गुजार सकती है |

प्रिया अपने परिवार में सबसे बड़ी थी , उसके पापा भी उसे बहुत प्यार करते थे  लेकिन ये जो शादी वाली बात उन्हें पसंद नही आई | पुराने सोच वालों के लिए ये बहुत बड़ी बात थी  लेकिन प्रिया भी कहा मानने वाली थी , उसने भी ये सोच लिया की अब तो इसी से शादी करनी है |

तेरी इस सादगी को हम , कहा महफूज़ रखें सनम,

डर लगता हैं इस दुनिया से कहीं तुझे खो ना दे हम..💝

फिर घर में शुरू हो गया एमोसनल बाते प्रिया के माँ पापा के तरफ से | लेकिन प्रिया ने बोला एक बार मिल तो लीजिये उसके बाद तय कीजिए की वो अच्छा है नही |

उसके पापा उससे मिलना ही नही चाहते थे , क्योंकि उन्हें लगता था की प्रिया शादी के मामले में समझदार नही है | फिर भी जैसे – तैसे लोग माने और शादी हो गई |

अभी तो लाइफ का एक और एग्जाम तो बाकि था प्रिया के रीती – रिवाज गौरव के घर से अलग थे | उपर से दोनों अलग – अलग समाज से थे जिसके कारण प्रिया को सिखने में थोड़ी परेशानी हो रही थी | लेकिन जब हमे किसी से सच्चा प्यार होता है तो हम उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है |

समय के साथ – साथ प्रिया सब कुछ सिख गई , गौरव ने भी काफी सपोर्ट किया |💑

जैसा मांगा उपरवाले से, वैसा तेरे जैसा यार मिला,

कुछ और नहीं ख्वाहिस मेरी, तेरा जो इतना प्यार मिला !

एक महत्वाकांक्षी लड़की जिसे कभी मिलिट्री में जाना था वो पढ़ने में भी काफी अच्छी थी | उसने शादी के बाद डेंटल की स्टडी की | इधर गौरव का बिजनेस काफी अच्छा चलने लगा , प्रिया गौरव को परेशान देखकर , उसने फैसाला किया की वो अब गौरव को उसके काम में हेल्प करेगी और उसने अपनी डेंटल की प्रैक्टिस छोड़ दी |

उसके साथ रहकर उसने बिजनेस सिखा और अब वो दोनों उसको साथ चलते है |

एक लड़की का जीवन कितना बदल जाता है वो अपने आप को न जाने कितने ही परिस्थितियों में ढलती है तब जाकर एक खुशी वैवाहिक जीवन बनता है |

ये पैतीस साल गौरव के साथ कैसे बीत गये पता ही नही चला जैसे लगता है कल की बात हो | एक तू तेरी आवाज याद आएगी,

तेरी कही हुई हर बात याद आएगी, दिन ढल जाएगा रात याद आएगी, हर लम्हा पहली मुलाकात याद आएगी,

अचानक कमरे में किसी की आने की आहट सुनाई देती है  , तब जाकर प्रिया का ध्यान टूटता है और वो चौक पड़ती है , सामने गौरव को देखकर गौरव पूछता है की तुम अभी तक रेडी नही हुई बोला था न फंक्शन में जाना है |

प्रिया बोलती है की आपने तो शाम को बोला था  गौरव हसते हुए बोलता है मेडम कहाँ खो गई थी शाम के सात बज गये है , और सामने खिड़की का पर्दा हटा कर उसे दिखाया |

प्रिया ने देखा सच में शाम हो गई थी बाहर की सारी लाईट जल रही थी | वो अपनी डायरी को सामने के टेबल पर रख कर वो तुरंत तैयार होने चली जाती है | गौरव उस डायरी के फूल को देखता है और उससे पूछता है की ये वही है न जो मैंने तुम्हें पहली बार दिया था , वो मुशकुराते  हुए बोलती है हाँ |

वो बोलता है की कितना सम्भाल कर रखी हो आज तक वो आचर्य से भर जाता है | ये देख कर लगता है लोग बहुत गलत बोलते है की समय के साथ प्यार कम हो जाता है ,मुझे तो लगता है की और बढ़ जाता है |

तब प्रिया हँसते हुए बोलती है अगर प्यार करने वाला आपके  जैसा होगा तो प्यार बढ़ेगा ही न ... ये सुनकर गौरव शर्मा जाता और उसकी नजरें प्रिया की बिंदी पर टिक जाती है ... तुम्हारे माथे पे लगी बिंदी,

तुम्हारी रौनक बड़ा देती है, उफ ये काजल की लपटें,

मुझे फिर से इश्क करा देती है !

 .....और दोनों फिर फंक्शन के लिए निकल जाते है |💕



                       



 



 

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