शेरशाह सूरी के प्रशासन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालें |(JPSC,JSSC,BPSC ,PGT के लिए अति महत्वपूर्ण टॉपिक )


शेरशाह सूरी के प्रशासन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालें ?

sher shah suri




शेरशाह ने अपने जीवन की राजनीतिक यात्रा की शुरूआत बिहार से की, पहले यह बिहार का शासक बना और फिर इस पद पर रहते हुये बंगाल को लूट कर अपने आप को आर्थिक रूप से संपन्न किया।

पुनः 1339 में चौसा का युद्ध तथा 1540 कन्नौज/बिलग्राम के युद्ध में हुमायूँ को पराजित कर दिल्ली में शेर शाह की उपाधि लेते हुये द्वितीय अफगान साम्राज्य की स्थापना की। सत्ता प्राप्ति के दौरान इसकी गतिविधियों के आधार पर ही कुछ इतिहासकार इसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन लोमड़ी एवं शेर के सम्मिश्रण से करते हैं।

शेरशाह दिल्ली में मात्र पाँच वर्ष तक शासन किया, लेकिन इस अल्प काल में अपनी योग्यता से जो प्रशासनिक परिवर्तन किए वो अत्यंत महत्वपूर्ण थे। इसने केन्द्रीय प्रशासन को पुनगर्ठित किया, प्रांतीय शासन प्रणाली को समाप्त कर जिला एवं परगना को प्रशासन की मूल इकाई के रूप में विकसित किया।

भू-राजस्व व्यवस्था में कई नए प्रयोग किए, लोक कल्याणकारी प्रशासन एवं न्याय पर बल दिया, मुद्रा प्रणाली विकसित की जिस कारण इतिहास में इसका मूल्यांकन एक विजेता के रूप में न होकर बल्कि एक कुशल प्रशासक के रूप में की जाती है।

केन्द्रीय प्रशासन में शेरशाह केन्द्रीकृत शासन में विश्वास रखता था और उसनें यहाँ नये प्रयोग करने के बजाए सल्तनतकालीन व्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर बल दिया।

इसके तहत दीवान-ए-विजारत, दीवान-ए-आरिज, दीवान-ए-इंशा, दीवान-ए-रसालत के पदों पर लोगों को नियुक्त किए। प्रांतीय प्रणाली को समाप्त करते हुए इसनें संपूर्ण राज्य की 47 सरकार में विभक्त कर दिया तथा शांति व्यवस्था हेतु शिकदार-ए-शिकदारन एवं न्याय प्रणाली मुसिफ-ए-मुसिफान पद सृजित कर अधिकारी नियुक्त किए गए।

इससे छोटी इकाई परगना में मुंसीफ के अलावें खजांची, कारकून जैसे अधिकारी नियुक्त हुए परंतु फिर भी प्रशासन की आधारभूत इकाई के रूप में ग्राम (मौजा) बने रहे |जहाँ मुकद्दम और पटवारी जैसे अधिकारी होते थे। पटवारी गाँव का सभी ब्योरा रखता था जबकि मुक्दम गाँव और राज्य के बीच के कड़ी का काम करता था।

शेरशाह कृषकों के खुशहाली का महत्व समझता था और साथ ही लगान की वसूली कठोरता पूर्वक करना चाहता था। अतः इसके लिए उसने अपने मंत्री अहमद खाँ से भूमि की पैमाईश कराई और फिर उत्पादन दर के आधार पर उसे उत्तम, मध्यम और निकृष्ठ श्रेणी में बाँटा तथा फसल दरों की सूची तैयार करवाई तदनुपरांत औसत उपज के आधार पर राजस्व की दरों का निर्धारण किया।

इसके द्वारा विकसित लगान प्रणाली रैयतवाड़ी थी जिसमें राज्य बिचौलिये से मुक्त होकर सीधे किसानों से संपर्क रखता था। लगान की देय नकद या जिंस-दोनों रूप में की जा सकती थी। हालांकि शेरशाह की यह व्यवस्था संपूर्ण राज्य में एक समान नहीं देखा जाता, क्योंकि मुल्तान, मालवा, राजस्थान, पंजाब में पूर्व से ही प्रचलित बँटाई और कनकूत प्रणाली जारी रही।

इसने करों की दरों को घटाकर 1/4 (25 प्रतिशत) हिस्सा कर दिया। लेकिन किसानों से दो अतिरिक्त कर-जरीबाना (सर्वोक्षण शूल्क-2.5 प्रतिशत) तथा महासिलाना (कर संग्रह शूल्क-5 प्रतिशत) की वसूली भी की। शेरशाह ने जनकल्याणकारी कार्य तथा न्याय प्रशासन को भी महत्व दिया।

इसनें अपने काल में चार महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण कराया, जिनमें सर्व प्रमुख उतरापथ था। सड़क के किनारे विश्रामगृह की रूप में लगभग 1700 सराय निर्मित करवाया। कानूनगों ने तो शेरशाह द्वारा निर्मित सरायों को सम्राज्य रूपी शरीर की धमनियाँ कहा है।

शेरशाह में 180 ग्रेन की वजन वाली शुद्ध चाँदी का सिक्का रूपया का प्रचलन किया, जो वर्तमान काल में नए संकेतक के साथ अभी तक प्रचलन में है। इसनें न्याय व्यवस्था को कठोर एवं निष्पक्ष रूप में लागू किया।

इसकी न्याय प्रणाली पर प्रकाश डालते हुये अब्बास खा शेरवानी ने लिखा है "इसकी न्याय प्रणाली इतनी सुदृढ़ है कि एक वृद्ध महिला स्वर्णाभूषण की टोकरी लेकर अर्द्ध-रात्रि में भी निश्चितता पूर्वक भ्रमण कर सकती है” | शेरशाह ने भवन एवं इमारतों के निर्माण में भी दिलचस्पी ली।

इसने रोहतासगढ़ किला, दिल्ली में पुराना किला तथा किला-ए-कुहना मस्जिद बनवाई, लेकिन इसकी सर्वश्रेष्ठ रचना सासाराम में निर्मित स्वयं का मकबरा है, जिसे कलाविद प्राचीन शैली की पराकाष्ठा एवं नई शैली का उदय मानते हैं।

इस प्रकार शेरशाह का छोटा सा राजनीतिक प्रशासक की भूमिका इतिहास में अत्यंत महत्व रखता है क्योंकि शेरशाह ने जिस व्यवस्था का बीजारोपण किया वह आगामी वर्षों के लिए या दूसरे शब्दों में कहें तो अकबर के प्रशासनिक सुधारों के लिए पृष्ठभूमि निर्माण का कार्य करती है। इसके सुधारों की दीर्घकालीता एवं उत्तरजीविता भी इसे महान बना देती है।





लेख डाउनलोड करें


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.
close