अजैव संसाधन किसे कहते है तथा जल संसाधन क्या है ? (JPSC मैन्स exam पेपर 3 खंड (ब )-भूगोल के लिए important टॉपिक )
अजैव संसाधन किसे कहते है तथा जल संसाधन क्या है ?
प्रकृति-प्रदत वे समस्त पदार्थ जो मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं तथा
आर्थिक दोहन के लिए अनुकूल एवं मानव के लिए उपयोगी है, संसाधन कहलाते हैं। संसाधन का
वर्गीकरण कई आधारों पर किया गया है जिसमें उत्पति
के आधार पर इन्हें जैविक तथा अजैविक दो वर्गों
में वर्गीकृत किया जाता है।
अजैविक संसाधनों में जल संसाधन का एक महत्वपूर्ण स्थान सम्पूर्ण पृथ्वी के कुल
क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत भागपर
इसका विस्तार है। जल संसाधन पृथ्वी पर विभिन्न स्रोतों जैसे पृष्ठीय जल, भूमिगत जल, वायुमंडलीय जल तथा
महासागरीय जल के रूप में विद्यमान है। इन स्रोतों में जल का अधिकांश भाग
खरा एवं लवणीय है, जो प्रत्यक्ष रूप
से मानव के उपयोग के
प्रतिकूल है।
मानव प्रत्यक्ष रूप से जिस स्वस्च्छ एवं शुद्ध जल का अपनी दैनिक जीवन
में उपयोग करता है उसकी मात्रा अत्यंत ही सीमित है। यह केवल
0.3
प्रतिशत भाग में ही धरातल पर विद्यमान है। यद्यपि पृथ्वी पर
विद्यमान समस्त जल का अधिकांश भाग लगभग 97 प्रतिशत महासागरों के रूप में है |
जिसका मानव प्रत्यक्ष रूप से उपयोग नहीं करता है परन्तु यह
जल भी मानव के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जल स्थलमंडल, वायुमंडल, जैवमंडल तथा पुनः जलमंडल में परिसंचरित होता रहता है जिसे जल
चक्र कहा जाता है। महासागरीय जल चक्रीय प्रक्रिया के द्वारा वाष्पीकरण होकर
पुनः वर्षा के रूप में पृथ्वी पर विभिन्न स्रोतों में स्वच्छ जल के रूप में परिवर्तित
होता रहता है।
जल प्रकृति का एक मूल्यवान उपहार है एवं कभी न समाप्त होने वाला संसाधन है
परन्तु लगातार इसकी उपयोगिता एवं मांग में वृद्धि के कारण एक प्रमुख संकट
ग्रस्त संसाधन के रूप में परिवर्तित होने की संभावना है। इसके बिना
जीवन की कल्पना नहीं की जासकती है। जीवन के लगाग सभी क्रिया कलाप इससे प्रभावित होते
है।
इसका उपयोग दैनिक क्रियाकलाप, घरेलूकार्य, सिंचाई, उद्योग, जन स्वास्थ्य, स्वच्छता के साथ-साथ मानव विकास के हरेक पहलू में किया जाता है। जनसंख्या वृद्धि के
साथ-साथ सभी क्षेत्रों में जल की मांग बढ़ी है, जिनमें से पेयजल सिंचाई एवं उद्योग के क्षेत्र में
अपेक्षाकृत अधिक मांग बढ़ी है।
इसके अतिरिक्त जल विद्युत के निर्माण, परमाणु संयंत्र, पर्यटन, मत्स्य पालन, वानिकी इत्यादि के लिए भी
यह अत्यंत आवश्यक है। पर्यटन के विकास में इसकी विशेष भूमिका है। कृषि अर्थव्यवस्था के
लिए जल एक अभिन्न अंग के
रूप में कार्य करता है क्योंकि नई-नई कृषि पद्धति के विकास के साथ-साथ इसकी
आवश्यकता भी लगातार बढ़ी है।
वर्तमान समय में अत्यधिक उपज देने वाली बीजों के माध्यम से कम अवधि
में ही फसलों का
उत्पादन किया जाता है जिसमें जल क आवश्यकता होती है। इसके उपयोग के कारण
ही फसल चक्रण जैसी कृषि पद्धतियाँ सफल हो सकी है। इस प्रकार जल सभी प्रकार के विकास कार्य के लिए अति आवश्यक है एवं इसका उपयोग
जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक है और उपयोग हर क्षेत्रों में बढ़ा है।
नगरों के विकास के साथ-साथ विभिन्न क्रिया कलाप में इसकी मांग बढ़ती
जा रही है। अतः यह स्पष्ट है
कि जल संसाधन मानव के सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण से ही उपयोगी संसाधन रहा है तथा
वर्तमान समय में भी इसकी
मांग बढ़ती जा रही है।
इसकी निरंतर मांग की आपूर्ति न हो पाना एक बड़ी समस्या
का दस्तक माना सकता है क्योंकि इस संसाधन का कोई विकल्प नहीं है अतः जल का सर्तकता
पूर्वक उपयोग करना
चाहिए तथा इसके
अनावश्यक उपयोग को कम कर इसे संरक्षित किया जाय ताकि आगे भी मानव
के विकास में इसकी मांग की पूर्ति हो सके।
जल संरक्षण और रखरखाव को लेकर दुनियाभर के लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना' या गायब होते भूजल को पुनः बहाल करना विश्व जल दिवस 2022 का विषय है।
Post a Comment