प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत और पर्वतो का निर्माण(Plate tectonics theory and formation of mountains)

 

प्लेट विवर्तनिकी की सहायता से संसार के नवीन वलित पर्वत तंत्र की उत्पत्ति एवं वृद्धि को स्पष्ट करें |

(JPSC MAINS के पेपर 3 भूगोल के खंड (ब) में इस टॉपिक को दिया गया है जो की आने वाले exam के महत्वपूर्ण है |)
Plate tectonics theory and formation of mountains photo

प्लेट विवर्तिणिकी एक ऐसा सिद्धांत है जो भू-आकृति विज्ञान की कई समस्याओं का निदान प्रस्तुत करता है जिसमें वलित पर्वत का निर्माण प्रमुख है। वलित पर्वत का निर्माण अभिसरण सीमा के क्षेत्र में होता है।

प्लेटों के अभिसरण की मुख्यतः तीन स्थितियाँ पाई जाती है।

1.महाद्वीपीय एवं महासागरीय प्लेटों के मध्य अभिसरण

2.महाद्वीपीय एवं महाद्वीपीय प्लेटों के मध्य अभिसरण

3.महासागरीय एवं महासागरीय प्लेटों के मध्य अभिसरण

1.महाद्वीपीय एवं महासागरीय प्लेटों के मध्य अभिसरण : जब महाद्वीपीय एवं महासागरीय प्लेटों के बीच अभिसरण होता है तो महासागरीय प्लेट की अपेक्षाकृत अधिक घनत्व होने के कारण महाद्वीपीय प्लेट के नीचे क्षेपित हो जाती है एवं वहां एक समुद्री गर्त की निर्माण होता है तथा महासागरीय प्लेट (बेनी ऑफ जोन) मेंटल में पहुंचने के बाद अत्यधिक ताप एवं ताब के कारण एण्डेसाइट में परिवर्तित हो जाती है।

एण्डेसाइट अत्यधिक हल्का होता है अतः ऊपर उठकर प्लेट की सतह से टकराता है। यदि सतह मजबूत है तो भूकंप की उत्पति होती है और यदि सतह कमजोर होती है तो ज्वालामुखी की उत्पति होती है। 

जिससे महाद्वीपीय सतह पर ज्वालामुखी एवं मध्यवर्ती भाग में अवसादों के निक्षेपन से सम्मिलित रूप से वलित पर्वत का निर्माण संपन्न होता है। जैसे- रॉकी, एण्डीज एवं एटलस पर्वत श्रृंखलायें।

2.महाद्वीपीय एवं महाद्वीपीय प्लेट अभिसरण : जब दो महाद्वीपीय प्लेट के मध्य अभिसरण होता है तो दोनों प्लेट का घनत्व समान होने के कारण अपेक्षाकृत भारी प्लेट हल्की प्लेट के ऊपर गतिमान हो जाती है तथा दोनों प्लेट के मध्य अवसादों के वलित होने के कारण मोड़दार या वलित पर्वत का निर्माण होता है। जैसे- हिमालय, आल्पस एवं यूराल पर्वत

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3.महासागरीय एवं महासागरीय प्लेट अभिसरण : जब महासागरीय एवं महासागरीय प्लेट आपस में टकराती है। तो उनमें से भारी एवं बड़ी प्लेट छोटी प्लेट के नीचे क्षेपित होती है एवं वेनी ऑफ जोन में पहुंच कर पिघलती है तथा एण्डेसाइट में परिवर्तित होती है एवं एण्डेसाइट हल्का होने के कारण ऊपर उठती है तथा निरंतर जमाव के कारण आईलैण्ड या द्वीप का निर्माण करती है। 

जैसे- जापान द्वीप इस क्रिया के कारण उत्पन्न हुआ है एवं इसके निकट ज्वालामुखी क्रिया की अधिकता से ज्वालामुखी पर्वत का निर्माण समुद्रों में होता है।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्लेट विवतर्निकी सिद्धांत से वलित पर्वत निर्माण की प्रक्रिया को भली-भांती समझा जा सकता है।





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