public administration notes in hindi topic Meaning, methods and logic of performance appraisal of public servants examine the consistency(लोक सेवकों की निष्पादन मूल्यांकन का अर्थ, तरीकों और तर्क संगति का आलोचनात्मक परीक्षण)

 

public administration notes in hindi



यह प्रश्न 39 bpsc mains में आया हुआ है और ये jpsc और upsc के public administration subject का एक important question है |

लोक सेवकों की निष्पादन मूल्यांकन का अर्थ, तरीकों और तर्क संगति का आलोचनात्मक परीक्षण

(Meaning, methods and logic of performance appraisal of public servants examine the consistency?)

 

प्रत्येक संगठन में कर्मचारी (लोक सेवक) के कार्य-निष्पादन का मूल्यांकन समय-समय पर किया जाता है ताकि उस कर्मचारी द्वारा किये गये 'उत्पादन' का पता चले और उसको प्रोन्नति किये जाने के मुद्दे पर फैसला लिया जा सके। कार्य की मूल्यांकन प्रणाली का वास्तविक उद्देश्य संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति की दृष्टि से सम्बंधित व्यक्ति का योग्यता का परीक्षण करना है। 

इस प्रकार इससे संगठन के कर्मचारी की उपयोगिता का मूल्यांकन करने का अल्पकालिक उद्देश्य पूर्ण होता है और दीर्घकालीन दृष्टि से सम्बंधित कर्मचारी की उच्च स्तरीय पदों पर पदोन्नति किये जाने की क्षमता का निर्धारण होता है ।

इसका यह अर्थ है कि काम के मूल्यांकन के द्वारा कर्मचारी के दोषों और कमियों को इंगित किया जाता है; और ऐसा करके उच्च अधिकारियों के द्वारा सम्बंधित कर्मचारी की सेवाओं का सुधार या पद-परिवर्तन के माध्यम से, अधिक श्रेष्ठता से उपयोग किया जा सकता है ।

प्रशासन में मितव्ययिता, दक्षता और प्रभावशीलता लाने के लिए कार्य निष्पादन मूल्यांकन का सहारा लिया जाता है। चूँकि यह मापन व समीक्षा के आधार पर किया जाता है इसलिए संगठन में प्रबंधकीय सुधार लाया जा सकता है। यह न केवल प्रोन्नति, प्रतिफल- पुरस्कार व्यवस्था आदि को प्रभावी बनाता है बल्कि इससे संगठन में पर्यवेक्षण, निरीक्षण, नियंत्रण, समन्वय रखा जा सकता है तथा कर्मचारियों के उच्च मनोबल से युक्त किया जा सकता है ।

लोक सेवकों को निष्पादन मूल्यांकन के आधार तुलनात्मक रूप से प्रतिभा की परीक्षा देनी होती है । इसके लिए प्रत्येक संगठन में कोई-न-कोई प्रणाली निर्धारित होती है। भारत में प्रचलित कार्य मूल्यांकन प्रणाली के अन्तर्गत यह व्यवस्था है कि उच्च अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारी के संबंध में वार्षिक मूल्यांकन किया जाता है जिसे 'वार्षिक गोपनीय पंजिका' (ACR) कहते हैं।

अमेरिका में कार्यक्षमता के मूल्यांकन हेतु कई तरीके प्रयुक्त होते हैं जैसे-उत्पादन रिकार्ड पद्धति, ग्राफिक पैमाना प्रविधि, व्यक्तित्व अन्वेषी प्रविधि, आलोचनात्मक घटना पद्धति प्रचलित है। इसके अतिरिक्त कार्य निष्पादन मूल्यांकन की कुछ अन्य प्रविधियाँ कार्य-प्रतिदर्श परीक्षण तथा श्रेणी प्रविधि प्रचलित है । 

इस प्रकार कुल मिलाकर कार्य निष्पादन को आकलन के लिए कुछ प्रचलित प्रविधियाँ हैं-वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट, उत्पादन रिकार्ड प्रविधि, ग्राफिक पैमाना प्रविधि, व्यक्तित्व अन्वेषी प्रविधि, आलोचनात्मक घटना प्रविधि, कार्य प्रतिदर्श प्रविधि और श्रेणी प्रविधि इत्यादि ।


वार्षिक गोपनीय पंजिका (ACR) के तहत एक प्रपत्र तैयार किया जाता है जिसमें कर्मचारी के द्वारा किये गये कार्य की उपयुक्तता और श्रेष्ठता का परीक्षण होता है। इसमें उच्च अधिकारी यह रिपोर्ट भी देता है कि सम्बंधित अधीनस्थ कर्मचारी प्रोन्नति के योग्य है अथवा नहीं। रिपोर्ट का मूल्यांकन कर यह विभाग के प्रमुख द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होता है ।

 उत्पादन रिकॉर्ड प्रविधि में कर्मचारियों के काम की उत्पादन के आधार पर मात्रात्मक तुलना की जाती है । इसके तहत् किसी टाइपिस्ट, स्टेनोग्राफर, फाइल क्लर्क आदि के कामकाज का विवरण उसकी उत्पादकता की दृष्टि से तैयार किया जा सकता है । यह प्रविधि विशेषतः उन अधिकारियों के लिए है जो प्रशासनिक या पर्यवेक्षक कार्य से सम्बंधित हों।

ग्राफिक पैमाना प्रविधि के दौरान एक ग्राफ पर कुछ निश्चित सेवा लक्षणों को अंकित किया जाता है और इसी आधार पर कर्मचारी की सापेक्षिक योग्यता का आकलन किया जाता है। कुछ सेवा लक्षणों में शुद्धता, निर्भरता, काम की गति, क्रमबद्धता, उद्यम, कर्तव्यपरायणता, कार्य ज्ञान, निर्णय, सामान्य सूझ-बूझ, कार्यपालन, सहयोग-भावना आदि प्रमुख हैं, जिन्हें ग्राफ पर अंकित करते हैं।

व्यक्तित्व अन्वेषी प्रविधि में विविध साधनों द्वारा सेवा विवरण प्राप्त किया जाता है। इसे प्रॉस्ट रेटिंग स्केल द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसे जे. प्रॉप्ट ने आविष्कार एवं विकसित किया था । उन्हें अपने आकलन पैमाने पर किसी कर्मचारी के अनेक गुणों का उल्लेख किया था तथा आकलनकर्ता अधिकारी को इन गुणों में से मात्र उन्हीं शीर्षकों को चुनना होता है जो कर्मचारी के गुणों से मेल खाते हों।

 प्रॉस्ट ने जिन गुणों का उल्लेख किया है, उनमें से कुछ हैं-शिक्षित और लापरवाह, सुस्त, तेज व सक्रिय, काम करने की दृष्टि से बहुत पुराना, बातूनी, दलकर्मी, खुशमिजाज, चिड़चिड़ा इत्यादि । यह चातुर्य से तैयार प्रविधि है क्योंकि इसमें जब कर्मचारी के गुणों को आकलन किया जायेगा तो वह वस्तुपरक न होकर आत्मनिष्ठ होगा।



आलोचनात्मक घटना प्रविधि में कर्मचारियों के कमजोर पहलुओं को आधार बनाकर उसके निष्पादन का मूल्यांकन किया जाता है। कार्य प्रतिदर्श प्रविधि के तहत् कर्मचारी के कार्यों के नमूने के आधार पर समस्त रूप से उसका मूल्यांकन किया जाता है।

श्रेणी प्रविधि में कर्मचारियों क्रम को आधार बनाकर उसके निष्पादन का आकलन किया जाता है। लोक सेवकों के कार्य निष्पादन के मूल्यांकन हेतु उपरोक्त विधियों में सर्वाधिक प्रचलित वार्षिक गोपनीय पंजिका को माना जाता है। वर्तमान में इस प्रणाली में प्रपत्र में किसी अधिकारी द्वारा विपरीत आलेख डालने पर मतभेद आ सकता है तथा यह उच्चस्थ व अधीनस्थ के बीच संबंध को बिगाड़ सकता है। 

मूल्यांकन प्रपत्र में उन गुणों का उल्लेख नहीं होता जिसकी अपेक्षा एक अधिकारी से की जाती है । इसके अलावा व्यक्तिगत तत्वों की प्रधानता होने से प्रपत्र की भाषा का भिन्न अर्थ लगाया जा सकता है।

रिपोर्ट तैयार करने में किसी एक पैमाने का व्यवहार नहीं होता तथा अलग-अलग तरह के वरिष्ठों द्वारा इनको भिन्न मूल्यों से जोड़ा जाता है। अतः कार्य मूल्यांकन हेतु मापदण्डों की स्पष्ट व्याख्या अपेक्षित है और उसके संभावित मात्रात्मक अंतरों को भी निर्धारित करना चाहिए ।

वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में जिस अधिकारी का निष्पादन मूल्यांकन किया जाता है,उसके काम के बारे में अवलोकन करने वाला अधिकारी तथा मूल्यांकन को सत्यापित करने वाला अधिकारी प्रत्यक्ष तौर पर अथवा बहुत निकट से परिचित नहीं भी हो सकता पुनर्मूल्यांकन संबंधी रिपोर्ट वित्त वर्ष के अन्त में लिखी जाती है और बहुत कुछ लिखना बाकी रह जाता है। इस प्रकार पर्यवेक्षक अधिकारी समुचित न्याय नहीं कर पाता । अतः निश्चित है कि उसका निर्णय दोषपूर्ण हो अथवा वह मध्य मार्ग का अनुसरण करते हुए |

प्रत्येक कार्य को औसत स्तर तक माने और तत्संबंधी रिपोर्ट दे जिससे बाद में उसे अपनी टिप्पणी पर कोई लिखित प्रमाण न देना पड़े। इस प्रणाली में सबसे बड़ा दोष यह है कि यह वस्तुनिष्ठ होने की बजाय आत्मनिष्ठ है। इसमें व्यक्ति किसी अन्य के बारे में निर्णय देता है। अतः आत्मनिष्ठता का तत्व होने से इंकार नहीं किया जा सकता ।

कार्य निष्पादन की उपरोक्त विधियों के द्वारा कार्य मूल्यांकन करने पर विभिन्न प्रकार के अन्य दोष सामने आते हैं । यदि एक ही कार्य के संबंध में बहुत सी संस्थाएँ, बहुत से कार्यक्रम करते हैं तथा विभिन्न कार्यकर्ताओं का हस्तक्षेप होता है तो कार्य निष्पादन का प्रभावी मूल्यांकन नहीं किया जा सकेगा। 

लक्ष्य निर्धारण में औपचारिकता की स्थिति या इनकी प्रत्यक्षता में कमी आ जाने से निष्पादन मूल्यांकन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा । कार्यनिष्पादन मूल्यांकन के लिए आवश्यक है कि मुख्यालय और क्षेत्र तथा संगठन व जन के बीच प्रभावी संचार हो अन्यथा कार्य निष्पादन का सही-सही मूल्यांकन नहीं समुदाय किया जा सकेगा जबकि वास्तव में संगठन में प्रभावी संचारतंत्र का अभाव है। 

कार्य निष्पादन मूल्यांकन के दौरान कर्मचारियों का तुलनात्मक मूल्यांकन किया जाता है । इसमें किसी एक की प्रोन्नति होती है तो दूसरे की नहीं। ऐसे में एक का मनोबल तो बढ़ जायेगा किन्तु अन्य कर्मचारी पहले जितना निष्पादन भी नहीं देना चाहते ।

 यदि संगठन में कार्यों का उचित वितरण अथवा आवंटन नहीं हुआ है तो कार्य निष्पादन मूल्यांकन पद्धति के आधार पर योग्यता को जाँचना दोषयुक्त होगा। कार्य निष्पादन मूल्यांकन पद्धति में मूल्यांकनकर्ता द्वारा पर्यवेक्षण प्रक्रिया को अपनाने की बजाय निरीक्षण की भावना से कार्य किया जा रहा होता है जिसके कारण कार्य निष्पादन मूल्यांकन एक तो आत्मनिष्ठ होगा दूसरे कार्य निष्पादन का वास्तविक मूल्यांकन नहीं हो सकेगा।

कार्य निष्पादन मूल्यांकन संगठन में प्रोन्नति हेतु योग्यता का परीक्षण करता है किन्तु वर्तमान में मूल्यांकन की जितनी भी प्रविधियाँ हैं वे सब बड़े संगठनों में आसानी से लागू नहीं की जा सकती और दूसरे इस मूल्यांकन के दौरान मूल्यांकनकर्ता स्वयं को पक्षपातपूर्ण से बचा नहीं सकता। कार्य निष्पादन के आधार पर योग्यता परीक्षण की विभिन्न प्रविधियों की अनेक कमियाँ सामने आयी। 

इसमें सर्वाधिक पक्षपातपूर्ण प्रविधि वार्षिक गोपनीय पंजिका को माना जाता है और इसे समाप्त करने की बात हुई किन्तु यह नहीं किया जाना चाहिए। इसके अभाव में कार्य मूल्यांकन और भी अधिक विषयगत हो जायेगा । यह स्नान के पानी के साथ शिशु को भी फेंक देने के समान होगा । 

आवश्यकता इस बात की है कि मूल्यांकन पद्धति में सुधार किये जाये, न कि वर्तमान मूल्यांकन प्रणाली को ही समाप्त कर दिया जाये क्योंकि मूल्यांकन पद्धति कर्मचारियों की योग्यता को मापने का सबसे उपयुक्त उपकरण साबित होगा, यदि इसकी कमियाँ दूर कर दी जाये। प्रशासनिक सुधार आयोग ने कार्य मूल्यांकन पद्धति को बेहतर बनाने के कई सुझाव दिये ।

कामकाज का मूल्यांकन एक संक्षिप्त सार जिसमें कर्मचारियों के कार्य एवं विशिष्ट उपलब्धियों का उल्लेख है, द्वारा होना चाहिए और मूल्यांकनकर्ता को इस पर विचार के बाद अपनी रिपोर्ट देनी चाहिए। प्रोन्नति हेतु तीन श्रेणियाँ उपयुक्त, अनुपयुक्त और बिल्कुल उपयुक्त नहीं, के माध्यम से अवसर दिया जाना चाहिए। 

उपरोक्त सुझाव इस बात को निश्चित करते हैं कि मूल्यांकन प्रविधि को जारी रखते हुए इसे बेहतर बनाना चाहिए ।

चूँकि वर्तमान समय में प्रतिस्पर्द्धा इतनी बढ़ी है कि प्रोन्नति के लिए योग्य अधिकारियों का चयन जटिल कार्य है और कार्य निष्पादन मूल्यांकन इसी जटिल कार्य का आसान क्रियान्वयन है। अतः आज के समय के साथ यह मूल्यांकन व्यवस्था युक्तिसंगत है और न्यायपूर्ण है । कार्य निष्पादन मूल्यांकन व्यवस्था पूर्ववर्ती व्यवस्थाओं से अधिक परिष्कृत हो रही है।

 

 

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