jpsc मैन्स नोट्स फ्री पीडीएफ डाउनलोड पेपर 3 भूगोल टॉपिक (भारतीय नदी योजनाओं को समझाइए)


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प्रश्न : भारतीय नदी योजनाओं को समझाइए ?

उत्तर- कृषि-क्षेत्र की क्षमता का भरपूर दोहन करने और देश के विकास के लिए जल अनिवार्य घटक है। इसलिए जल-संसाधन का अधिकतम विकास और प्रभावकारी उपयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है। किसी नदी-घाटी के जल-संसाधन के समन्वित विकास के लिए बनायी गयी योजना नदी-घाटी योजना कहलाती है। इसका उद्देश्य सिंचाई,जलविद्युत् उत्पादन, नौकायन, बाढ़-नियंत्रण इत्यादि के लिए जल का समुचित प्रबंध करना है।

प्राचीनकाल से ही नदियों को नियंत्रित किया जा रहा है और क्षेत्रीय विकास के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है। अनियंत्रित नदियों से बाढ़ आती रहती है और सूखा के समय को जल उपलब्ध नहीं हो पाता है। अतः नदियों के जल को विभिन्न कार्यों के लिए उपयोगी बनाना आवश्यक है। यह कार्य नदी-घाटी योजना के द्वारा हो सकता है। इससे नदी-घाटी-क्षेत्र में बाढ़ और सूखा की समस्या का समाधान भी होगा और जल संसाधन का समुचित उपयोग भी ।

बहुद्देशयी, बहुमुखी या बहुधंधी योजना का अर्थ उस योजना से है, जिससे सिर्फ एक उद्देश्य की पूर्ति न होकर अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है। ऐसी योजना का उद्देश्य नदियों पर बाँध बनाकर जलविद्युत् उत्पन्न करना, उनसे नहरें निकालकर सिंचाई करना एवं यातायात की सुविधा बढ़ाना, बाढ-नियंत्रण, मछली पालन, मिट्टी-अपरदन को रोकना, पशुपालन को बढ़ावा देना तथा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाना है।

भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गयीं तथा उन्हें कार्यान्वित की गयीं । संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी घाटी योजना के ढंग पर विश्व के अन्य देशों, जैसे-फ्रांस, जर्मनी और रूस में नदी-घाटी योजनाओं की सफलता से उत्साहित होकर भारत में जल-संसाधन के उचित उपयोग हेतु ही इन योजनाओं को अपनाया गया है ।

इन योजनाओं के उद्देश्य हैं-सिंचाई और भूमि का वैज्ञानिक उपयोग एवं प्रबंध, विद्युत् उत्पादन में वृद्धि और औद्योगिकीकरण, बाढ़-नियंत्रण और बीमारियों की रोकथाम में सहायता, जल-मार्गों का विकास तथा क्षेत्रीय आर्थिक प्रगति, घरेलू कार्यों के लिए जल की व्यवस्था, मछली-उद्योग का विकास तथा कृत्रिम झीलों में आमोद-प्रमोद की व्यवस्था करना, वनों की सुरक्षा, पशु के लिए चारे की व्यवस्था, भूमि-अपरदन रोककर उसे कृषि योग्य बनाना, दुर्भिक्ष आदि से लोगों को मुक्ति दिलाना एवं उस सम्पूर्ण घाटी क्षेत्र के निवासियों एवं साधनों का समुचित उपयोग करना। इन योजनाओं से इतने अधिक लाभ मिलते हैं कि इनके संदर्भ में स्वर्गीय पंडित नेहरू ने कहा था कि "ये परियोजनाएँ मेरे लिए आधुनिक भारत के मंदिर और तीर्थ स्थान हैं।"

प्रशासन एवं रख-रखावों की दृष्टि से भारत की नदी योजनाओं को दो उपवर्गों में रखा जा सकता है-

1. केन्द्रीय नियंत्रण वाली परियोजनाएँ- इसमें भाखड़ा-नांगल परियोजना, रिहन्द परियोजना, हीराकुंड परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना एवं नर्मदा परियोजना आदि आती हैं |

2. राज्य या राज्यों द्वारा नियंत्रित योजनाएँ- इसमें चम्बल परियोजना, नागार्जुन-सागर परियोजना, फरक्का परियोजना, तुंगभद्रा परियोजना, मयूराक्षी परियोजना, कोयना परियोजन एवं पेरियार परियोजना आदि आती हैं ।



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