"कभी किसी की Feeling को भी समझा करो – एक ऐसी कहानी जो आपकी आत्मा को छू जाएगी"
"कभी किसी की Feeling को भी समझा करो..."
(एक सच्ची सी लगने वाली काल्पनिक कहानी)
भाग 1: चुप रहने वाला लड़का
वो हर दिन चुप रहता था।
कभी कुछ ज़्यादा नहीं बोलता, बस मुस्कुराकर टाल देता।
लोग कहते – "कितना शांत है ये!"
लेकिन किसी ने कभी नहीं पूछा – "क्यों शांत है ये?"
उसका नाम था अंशु।
घर में सबसे छोटा, पर सबसे ज्यादा बोझ उठाने वाला।
पिता की डांट, भाई की बेरुखी, माँ की मजबूरी – सबकुछ देखकर बड़ा हुआ था वो।
स्कूल में दोस्तों के बीच भी वो बस 'हां' और 'ठीक है' तक ही सिमटा रहता।
वो सबकी बात सुनता था, लेकिन अपनी कभी नहीं कहता।
क्यों?
क्योंकि जब भी कुछ कहा – सबने मज़ाक उड़ाया।
"इतनी सी बात पर इमोशनल हो जाता है?"
"मर्द हो या लड़की?"
भाग 2: एक चिट्ठी जो कभी किसी ने नहीं पढ़ी
अंशु हर रात अपने तकिये के नीचे एक डायरी में लिखता:
"आज फिर किसी ने मेरी फीलिंग्स नहीं समझीं।
मैं चुप था, क्योंकि मैं रो नहीं सकता था सबके सामने।
मैं टूटा हुआ था, पर सबको पूरा दिखता रहा।"
उसने कई बार अपनी मम्मी को देखा –
वो उसके लिए खाना बनाती थीं, पर शायद कभी उसके मन की बात नहीं पढ़ पाईं।
उसके दोस्त – बस उसे जोकर समझते थे,
और टीचर – हमेशा उसे पीछे बिठाते थे।
भाग 3: जब फीलिंग बोझ बन जाती है
एक दिन अंशु स्कूल नहीं गया।
फोन नहीं उठाया।
घर का दरवाज़ा अंदर से बंद था।
और फिर,
मेज़ पर एक आखिरी चिट्ठी पड़ी थी:
"मैंने कभी किसी से उम्मीद नहीं की...
बस इतना चाहा कि कोई मेरे चुप रहने की वजह समझे।
मैं थक गया हूँ सबको खुश रखते-रखते।
अब थोड़ा खुद के लिए शांति चाहिए।"
भाग 4: बहुत देर हो चुकी थी
उसकी माँ फूट-फूटकर रोईं।
दोस्त समझ ही नहीं पाए कि वो इतना गहरा था।
और स्कूल में सबने पहली बार उसकी डायरी पढ़ी...
अब हर कोई कहता है –
"काश... हमने उसकी Feeling को समझा होता..."
🌧️ अंत में बस यही कहना है:
कभी किसी की Feeling को भी समझा करो...
हर मुस्कुराता चेहरा खुश नहीं होता।
हर शांत इंसान मज़बूत नहीं होता।
कभी-कभी चुप्पी, सबसे तेज़ चीख होती है...
Ranjan kumar sharma
|| Thank you||
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