"जीवन का आरंभ भी रोने से होता है और अंत भी किसी के रोने से – एक दिल छू लेने वाली सच्ची कहानी"

                                                                                 


कहानी का शीर्षक: "अंतिम अश्रु – जीवन की शुरुआत और विदाई की कहानी"

कीवर्ड्स:


प्रस्तावना

जीवन की शुरुआत उस पल से होती है जब एक शिशु दुनिया में कदम रखता है, उसकी पहली चीख पूरे परिवार को खुशी से भर देती है। पर किसी ने शायद कभी गौर नहीं किया कि जब कोई अपना इस दुनिया को छोड़ता है, तब भी किसी न किसी की चीख निकलती है, किसी न किसी की आंखें नम होती हैं।

यही है जीवन का सबसे बड़ा सत्य – "जीवन का आरंभ भी रोने से होता है और जीवन का अंत भी किसी के रोने से शुरू होता है।"


भाग 1 – एक जीवन का आरंभ

पटना के एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में एक बच्चा जन्म लेता है – उसका नाम रखा जाता है आरव। डॉक्टर जैसे ही बच्चे के रोने की आवाज सुनते हैं, मां-बाप की आंखों में आंसू आ जाते हैं, मगर वो आंसू दुख के नहीं, आनंद और उम्मीदों के होते हैं।

पिता कहते हैं – "देखो, कितना जोर से रोया... ज़रूर बड़ा होकर हमारा नाम रोशन करेगा।"
मां – "हां, यही तो हमारी दुनिया है अब।"

शुरुआत के साल खेलते-कूदते निकलते हैं। रोना उसकी पहचान बन जाता है – कभी खिलौने के लिए, कभी मां के लिए, कभी भूख के लिए। लेकिन हर आंसू किसी न किसी रिश्ते को और मज़बूत करता जाता है।


भाग 2 – जीवन की संध्या

समय अपनी रफ्तार से चलता है। आरव अब बड़ा हो चुका है – पढ़ाई में होशियार, लेकिन ज़िंदगी की भावनाओं को समझने में सबसे तेज़।

बचपन की मासूमियत अब युवा सपनों में बदल गई थी। पिता की उम्मीदें अब उसके करियर से जुड़ चुकी थीं। मां चाहती थी कि वह एक साधारण मगर खुशहाल जीवन जिए। लेकिन आरव के मन में कुछ और था – वह लेखक बनना चाहता था।

जब उसने अपने माता-पिता से यह बात कही, तो घर में सन्नाटा पसर गया।

पिता: "लेखन? बेटा, वो तो शौक है, करियर नहीं!"
मां (धीरे से): "बेटा, हम तेरी खुशी चाहते हैं, मगर दुनिया बहुत बेरहम है..."

यहां से आरव के जीवन में एक नया मोड़ आता है – संघर्ष, तिरस्कार और अकेलेपन का।


भाग 3 – रिश्तों की कीमत

लेखन के रास्ते में आरव को सफलता नहीं मिलती, लेकिन उसके जज़्बे में कोई कमी नहीं आती। मां हमेशा चुपचाप उसका साथ देती है – चुपके से खाना कमरे में रख देना, थके होने पर सिर दबा देना।

एक दिन जब आरव को एक प्रसिद्ध पत्रिका से कॉल आता है कि उसकी कहानी प्रकाशित होने जा रही है, तो वह दौड़ता हुआ मां के पास आता है, लेकिन मां का कमरा बंद है...

दरवाजा खोलते ही आरव की ज़िंदगी रुक जाती है।

मां, हमेशा की तरह मुस्कुरा रही थी – लेकिन इस बार स्थिर... उसकी आत्मा विदा ले चुकी थी।


भाग 4 – जीवन का अंत और आंसू

शव यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं, लेकिन आरव के लिए सब कुछ धुंधला है। उसकी आंखों में सिर्फ आंसू हैं। पहली बार उसने ज़ोर से रोया – वैसे ही जैसे उसने जन्म लेते समय रोया था।

“मां, देखो... तुम्हारा बेटा सफल हो गया... पर तुम ही नहीं रहीं ये सुनने के लिए।”

उस दिन उसे जीवन का सबसे बड़ा पाठ मिलता है –

"जब कोई आता है, तो सब हँसते हैं और वह रोता है...
जब कोई जाता है, तो वह शांत होता है और सब रोते हैं...
"


भाग 5 – आरव का नया अध्याय

आरव अब एक प्रसिद्ध लेखक बन चुका है। उसकी पहली किताब का नाम है – "अंतिम अश्रु"। इस किताब की शुरुआत वह एक वाक्य से करता है:
"जीवन का आरंभ भी रोने से होता है और जीवन का अंत भी किसी के रोने से शुरू होता है।"

उसके लेखन में मां की झलक होती है, पिता की उम्मीद होती है, और आंसुओं की सच्चाई होती है।


उपसंहार

हम सब जीवन की शुरुआत रोकर करते हैं – वो रोना जीवन के आगमन का संकेत होता है। और जब हम इस संसार से विदा लेते हैं, तो हमारा शांत चेहरा किसी और की आंखों में तूफान ला देता है।

जीवन का चक्र आंसुओं से भरा है – फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ आंसू खुशी के होते हैं और कुछ विदाई के।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.
close