"रामप्रसाद: उस किसान की जो मिट्टी से सोना उगाता है – एक सच्चा हीरो"

                                                                                    
                                                                                    
 


                                

📖 कहानी का शीर्षक:

"हल जोतता हुआ हीरो: मेरे गांव का किसान"


🌾 कहानी:

"गांव के उस आख़िरी छोर पर जहाँ बिजली भी कभी-कभी ही आती थी, वहीं रहता था रामप्रसाद — एक किसान।"
उसके हाथों में छाले थे, पैरों में दरारें, और आँखों में वो सपना जो दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से भी बड़ा था — अपने खेत में सोना उगाने का सपना।

जब लोग ऑफिस की नौकरी को सफलता कहते थे, रामप्रसाद धूप में तपकर, सूखे में भी फसल के लिए जूझकर, अपनी मिट्टी को अपनी माँ की तरह सींचता था।
मीडिया ने कभी उसका नाम नहीं लिया, लेकिन वो हर उस बच्चे का पेट भरता था, जो शहरों की चमक-धमक में स्कूल जाता था।

💔 संघर्ष:

साल 2022 की बात है। मानसून धोखा दे गया।
खेत सूख गए, कर्ज बढ़ता गया।
रामप्रसाद के पास अपने बैल तक बेच देने की नौबत आ गई।
गांव वाले कहते थे, "छोड़ दे ये खेती। शहर जा, रिक्शा चला, लेकिन कम से कम रोज़ी तो मिलेगी।"

✊ मोड़:

लेकिन रामप्रसाद ने हार नहीं मानी।
उसने अपने बेटे को बुलाया जो शहर में मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाता था।
बेटे ने इंटरनेट पर खेती के नए तरीके ढूंढे।
"पिताजी, अब जैविक खेती करेंगे। हम अपने खेत में वही उगाएँगे जो बाजार मांगता है – जैसे हल्दी, फूल, स्ट्रॉबेरी!"

🌟 बदलाव:

रामप्रसाद ने एक छोटा सा प्लॉट चुना और वहीं जैविक हल्दी लगाई।
बिना किसी रासायनिक खाद के, सिर्फ देसी गोबर और जड़ी-बूटियों से फसल उगाई।

पहली बार, उसकी फसल को पुणे की एक आयुर्वेद कंपनी ने सीधा खेत से खरीदा — दोगुने दाम में!
अब रामप्रसाद के पास एक छोटा सा ट्रैक्टर है, मोबाइल चलाना सीख गया है, और गाँव के युवाओं को जैविक खेती सिखाता है।


🔥 अंतिम पंक्तियाँ (Viral Ending):

"हीरो वो नहीं जो कैमरे में दिखे,
हीरो वो है जो मिट्टी में भी उम्मीद बो दे।
रामप्रसाद आज भी सुबह 5 बजे खेत पर जाता है —
क्योंकि वो सिर्फ अनाज नहीं उगाता,
वो देश का भविष्य उगाता है।


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