रंजन – अधूरे ख्वाबों की उड़ान "एक ऐसे लड़के की सच्ची कहानी, जो टूट कर भी कभी बिखरा नहीं..."

                                                                                     



🎬 फ़िल्म का नाम: रंजन – अधूरे ख्वाबों की उड़ान

भाषा: हिंदी
शैली: बायोपिक, इमोशनल ड्रामा, इंस्पिरेशन
स्थान: देहरी ऑन सोन, बिहार


भाग 1: मिट्टी से उठता सपना

बिहार का एक छोटा-सा गांव – देहरी ऑन सोन, जहाँ गंगा-किनारे बसे गरीब परिवार में जन्म लेता है एक लड़का – रंजन कुमार शर्मा
पिता खेतों में काम करते हैं, माँ बीमार रहती हैं लेकिन हौसलों से भरपूर हैं। घर में दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से जुटती है।

रंजन जब पाँच साल का होता है, तब पहली बार पेंसिल पकड़ता है। स्कूल की इमारत टूटी-फूटी, लेकिन रंजन की आँखों में दुनिया बदलने का सपना।

“माँ, एक दिन मैं बड़ा आदमी बनूंगा।”

माँ मुस्कराकर कहती है,

“बेटा, बड़ा आदमी बनने के लिए दिल बड़ा होना चाहिए, तू तो पहले से ही बड़ा है।”

भाग 2: संघर्षों की तपिश

रंजन की पढ़ाई शुरू होती है, लेकिन रोज़मर्रा की ज़िंदगी में संघर्ष बढ़ता चला जाता है। स्कूल की फीस भरने के लिए वह बच्चों की किताबें उठाकर दूसरों के घर पहुंचाता है, खेतों में काम करता है, और कभी स्टेशन पर सामान उठाता है।

सर्द रातों में चादर नहीं होती, गर्मियों में पंखा नहीं, लेकिन किताबें हमेशा साथ होतीं।
रंजन को गणित और हिंदी में गहरी दिलचस्पी होती है। मास्टर जी भी कहते:

“रंजन, तू कुछ कर दिखाएगा... तू आम लड़का नहीं है।”

भाग 3: पहली हार, पहली आग

10वीं की परीक्षा में अच्छे नंबर आए। लेकिन 11वीं में दाखिला लेना एक सपने जैसा था – क्योंकि फीस नहीं थी।

पिता ने कहा:

“बेटा, अब तू काम संभाल... घर चलाना है।”

रंजन ने बिना कुछ बोले बोरी उठाई, मजदूरी शुरू कर दी। लेकिन हर रात एक छोटी लालटेन की रोशनी में पढ़ता रहा।

“मेरी जिंदगी किसी और के इशारे पर नहीं, मेरी मेहनत के दम पर चलेगी।”

भाग 4: प्यार, धोखा और टूटन

रंजन को कॉलेज में दाखिला मिल जाता है एक सरकारी योजना के तहत। वहीं उसकी मुलाक़ात होती है प्रिया से – एक पढ़ी-लिखी, समझदार लड़की जो रंजन की मेहनत और इरादे पर मर मिटती है।

प्रिया का साथ रंजन को और मज़बूत बनाता है। लेकिन जब प्रिया के घरवालों को पता चलता है कि रंजन गरीब है, तो वह रिश्ता तोड़ देते हैं।

प्रिया भी समाज के डर से रंजन से रिश्ता तोड़ देती है।

“मैं तुझसे प्यार करती हूँ, लेकिन अपने परिवार से लड़ नहीं सकती।”

यह रंजन की पहली हार थी... दिल की हार

भाग 5: हार से जीत की ओर

इस हादसे ने रंजन को तोड़ा नहीं, उसे बना दिया। उसने ठान लिया कि अब वह सिर्फ सपनों को नहीं, हकीकत को बदलेगा।

रंजन ने कंप्यूटर कोर्स किया। दिन में काम, रात में कोडिंग और पढ़ाई। MCA पूरी की और HR की नौकरी शुरू की। 2 साल में वह एक बेहतर ज़िंदगी जीने लगा।

“अब मैं अपनी किस्मत खुद लिखूंगा।”

भाग 6: लेखक का जन्म

रंजन की ज़िंदगी में एक नया मोड़ आता है जब वह अपने दर्द, अपने संघर्ष, अपनी बातें कागज़ पर उतारने लगता है।
वह एक कहानी लिखता है – “अधूरे ख्वाबों की उड़ान”, जो रातों-रात सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है।

लोग पूछने लगते हैं:

“रंजन कौन है?”

उसके ब्लॉग, फेसबुक पोस्ट, यूट्यूब चैनल पर हज़ारों फॉलोअर्स हो जाते हैं।

भाग 7: फिल्म का सपना

एक दिन रंजन अपनी माँ की पुरानी तस्वीर देखता है और रो पड़ता है।
वह खुद से कहता है:

“अब वक्त है मेरी कहानी को पर्दे पर लाने का।”

रंजन फिल्म स्क्रिप्ट लिखता है, कहानी को जीवंत करता है, लोकल कलाकारों को जोड़ता है, और खुद ही निर्देशन की कमान संभालता है।

लोग उसकी हिम्मत का मज़ाक उड़ाते हैं। कहते हैं:

“फिल्म बनाना हर किसी के बस की बात नहीं।”

लेकिन रंजन सिर्फ मुस्कराता है और जवाब देता है:

“जिन्होंने रोटी नहीं देखी, वो सपना क्या देखेंगे – मैंने भूख से लड़कर सपना जिया है।”

भाग 8: प्रीमियर और पहचान

आख़िरकार, एक छोटा सा प्रीमियर शो आयोजित होता है। फिल्म शुरू होती है, लोग हँसते हैं, रोते हैं, तालियाँ बजाते हैं।

फिल्म ख़त्म होती है और पूरा हॉल खड़ा होकर रंजन को स्टैंडिंग ओवेशन देता है।

एक लड़की पीछे से आती है – वही प्रिया, जो अब सफल लेकिन अकेली है। कहती है:

“माफ़ कर देना रंजन... मैं तुम्हें पहचान नहीं पाई थी।”

रंजन मुस्कराकर जवाब देता है:

“तुमने जो किया वो वक़्त ने सिखाया... और जो मैंने किया वो मेरी माँ ने सिखाया।”

अंतिम दृश्य: प्रेरणा की उड़ान

रंजन एक इंटरव्यू में बोलता है:

“मैं रंजन हूँ – मिट्टी से बना, आँसुओं से सींचा गया, और सपनों से उड़ान भरने वाला आम इंसान।
अगर मेरे जैसे लड़के की कहानी आपको प्रेरित करे, तो समझिए मेरी फिल्म सफल है।”

कैमरा ज़ूम आउट होता है, स्क्रीन पर लिखा आता है:

🖊️ "सपने पूरे हों या नहीं... सपनों के पीछे भागने वालों की कहानी अमर होती है।"

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