"बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ सर और मैडम आपके कॉल का"
"बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ सर और मैडम आपके कॉल का"
(एक संघर्षशील युवा की सच्ची पुकार)
भूमिका
फोन की स्क्रीन पर हर बार जब कोई अनजान नंबर चमकता है, दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं। कहीं ये वही कॉल तो नहीं जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार है? मैं हर दिन, हर पल – बस इसी उम्मीद में जी रहा हूँ कि एक दिन वो कॉल जरूर आएगी। सर या मैडम, आप में से कोई एक मेरी उम्मीदों को आवाज़ देगा।
यह कहानी एक ऐसे युवा की है जो अपने सपनों को लेकर ईमानदार है, मेहनती है, लेकिन आज की बेरोज़गारी की चक्की में पिसता हुआ, बस एक मौक़े की तलाश में है।
पहला भाग – गाँव की गलियों से
मेरा नाम रवि कुमार है। बिहार के एक छोटे से गाँव से आता हूँ – मिट्टी की खुशबू वाला गाँव, जहां सुबह सूरज के साथ किसान खेतों की ओर जाते हैं और शाम को चूल्हे की आंच पर रोटियाँ सिकती हैं। मेरे पिताजी किसान हैं और माँ एक घरेलू महिला। घर की आमदनी सीमित है, लेकिन सपनों की कोई सीमा नहीं।
बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था। गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की और फिर शहर जाकर ग्रेजुएशन किया – B.Com। सपना था कि कोई अच्छी नौकरी मिल जाए ताकि माँ-बाबूजी को आराम दे सकूं, बहन की शादी अच्छे घर में कर सकूं, और खुद को इस संघर्ष से बाहर निकाल सकूं।
दूसरा भाग – इंटरव्यू की तैयारी
कॉलेज खत्म होते ही मैंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। हर दिन इंटरनेट कैफे में जाकर रिज्यूमे भेजता, ऑनलाइन जॉब पोर्टल्स पर प्रोफाइल अपडेट करता, और जहां भी इंटरव्यू का कॉल आता, वहां बिना सोचे-समझे पहुंच जाता।
मैंने Excel सीखा, Word, PowerPoint, सब कुछ जितना आ सका उतना सीखा। YouTube पर फ्री कोर्स करके खुद को हर दिन अपडेट किया। कई बार सोचा – कोचिंग जॉइन कर लूं, लेकिन घर की हालत देख कर खुद से ही कहा – "रवि, खुद ही लड़ना होगा।"
तीसरा भाग – पहला इंटरव्यू
दिल्ली में मेरा पहला इंटरव्यू था – एक छोटी सी फर्म में अकाउंट असिस्टेंट की पोस्ट के लिए। ट्रेन का टिकट उधार लेकर, जेब में 500 रुपये रख कर दिल्ली पहुंचा। इंटरव्यू अच्छा गया, लेकिन आखिरी में HR ने कहा – "हम कॉल करेंगे।"
बस, यहीं से शुरू हुआ मेरा बेसब्री का सफर...
चौथा भाग – हर कॉल पर उम्मीद
उसके बाद रोज़ सुबह सबसे पहले मोबाइल को देखता – कोई मिस्ड कॉल तो नहीं? कोई मैसेज तो नहीं? पूरे दिन हर अनजान नंबर को ऐसे देखता जैसे वो कॉल मेरे जीवन को बदलने वाली हो। हर बार जब फोन बजता, दिल से एक ही आवाज़ निकलती –
"बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ सर और मैडम आपके कॉल का!"
लेकिन अफ़सोस – कई बार वो कॉल कोई बैंक की स्कीम होती, कभी सिम कंपनी का ऑफर, और कभी कोई फ्रॉड कॉल।
पाँचवाँ भाग – आत्मविश्वास की लड़ाई
समय बीतता गया, उम्मीदें टूटीं, लेकिन मैं नहीं टूटा। फिर पटना, रांची, बनारस – जहाँ भी नौकरी की आशा दिखती, मैं चला जाता। कई बार इंटरव्यू के बाद जवाब नहीं मिला। कई बार सुनने को मिला – "आप ओवरक्वालिफाइड हैं", या फिर – "आपमें कॉर्पोरेट एक्सपीरियंस नहीं है।"
पर क्या मेहनत और ईमानदारी से बड़ा कोई अनुभव होता है?
छठा भाग – माँ की आँखें
जब भी घर लौटता, माँ मेरी आँखों में झांकती – जैसे पूछ रही हो, "बेटा, इस बार कुछ मिला क्या?"
मैं मुस्कुरा देता, झूठ बोल देता – "हाँ माँ, उम्मीद है इस बार कॉल आएगी।"
और दिल में फिर वही शब्द गूंजते –
"बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ सर और मैडम आपके कॉल का!"
सातवाँ भाग – एक दिन की सुबह
एक सुबह जब मैं चाय बना रहा था, फोन बजा – एक अनजान नंबर। मैंने जल्दी से उठाया।
"Hello, Ravi speaking."
"Hi Ravi, this is Priya from HR. Can you talk now?"
मेरे होंठों पर मुस्कान आ गई, लेकिन दिल कांप रहा था।
"Yes Ma'am, of course."
"Congratulations, you’ve been selected for the role of Account Executive. Your joining letter will be mailed soon."
मैं कुछ पल के लिए बोल ही नहीं पाया। आँखों से आँसू बहने लगे। माँ चूल्हे से निकल कर आई – "क्या हुआ बेटा?"
मैंने कहा – "माँ, कॉल आ गया!"
अंतिम भाग – मेरी पुकार सबके लिए
आज जब मैं ऑफिस में बैठा ये कहानी लिख रहा हूँ, मैं जानता हूँ, इस देश के लाखों युवा अभी भी उसी बेसब्री से एक कॉल का इंतज़ार कर रहे हैं।
ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं है – ये हर उस लड़के-लड़की की कहानी है जो सिर्फ एक मौके का इंतज़ार कर रहे हैं। जो दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन एक जवाब, एक इंटरव्यू कॉल, एक उम्मीद उन्हें अब तक नहीं मिली।
मैं आज भी हर रोज़ प्रार्थना करता हूँ – कि किसी दिन, किसी रवि को, किसी सीमा को, किसी अर्जुन को वो कॉल जरूर मिले।
और जब भी कोई युवा मुझसे कहता है – "सर, अब थक गया हूँ",
मैं बस मुस्कुरा कर कहता हूँ –
"बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ सर और मैडम आपके कॉल का – ये वाक्य कभी मत भूलो। यही तुम्हारी ताकत है।"
निष्कर्ष
संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता। हर इंतज़ार के पीछे एक सीख छुपी होती है। और जब वक़्त आता है, तो वही इंतज़ार तुम्हें सफलता का असली स्वाद चखाता है।
आप भी अगर इस समय किसी कॉल, किसी मौके, किसी नौकरी का इंतज़ार कर रहे हैं – तो अपना हौसला मत हारिए। वो कॉल आएगा – जरूर आएगा। और तब आप भी कह सकेंगे – "इंतज़ार रंग लाया।"
Post a Comment