दादी जी का आशीर्वाद

                                                                                


 दादी जी का आशीर्वाद

हमारे गाँव में एक ऐसा घर था, जहाँ हर कोई जाता था, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। उस घर की विशेषता सिर्फ उसका बड़ा आकार या खूबसूरत बगीचा नहीं था, बल्कि उस घर में रहने वाली एक अद्भुत व्यक्तित्व की धनी, हमारी दादी जी थीं। गाँव के हर शख्स के दिल में उनके लिए विशेष स्थान था। उनका नाम 'सावित्री देवी' था, लेकिन लोग उन्हें 'दादी जी' कहकर पुकारते थे।

दादी जी की उम्र 80 साल से ज्यादा हो गई थी, लेकिन उनकी ऊर्जा और जोश देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता था कि वह इतनी उम्र की हैं। उनके चेहरे पर एक चमक रहती थी और उनकी आवाज में वह मिठास थी, जिसे सुनते ही दिल को सुकून मिल जाता था। उनका दिन सूरज की पहली किरण के साथ शुरू होता और गाँव के सभी लोग उन्हें अपने दिन की शुरुआत में ही आशीर्वाद लेने पहुँच जाते थे।

दादी जी का घर गाँव का सबसे पुराना घर था। एक बड़े पेड़ के नीचे बना हुआ वह घर, गाँव की सबसे प्रमुख पहचान थी। दादी जी के पति, जो अब इस दुनिया में नहीं थे, एक प्रसिद्ध शिक्षक थे। दादी जी ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा गाँव के लोगों की सेवा में बिताया था। वह हमेशा कहती थीं, "सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।" और उनकी इसी सोच ने उन्हें गाँव की माँ बना दिया था।

दादी जी के पास बैठकर उनके किस्से सुनना जैसे एक समय यात्रा पर जाने जैसा था। उनके किस्सों में गाँव की पुरानी बातें, भारतीय संस्कृति की गहराइयाँ, और जीवन के महत्वपूर्ण सबक छुपे होते थे। जब भी कोई समस्या होती, गाँव के लोग उनकी शरण में आते और वह अपने अनुभवों के आधार पर सबसे समाधान बतातीं।

बचपन की यादें

मैं जब छोटा था, तो अक्सर दादी जी के पास जाकर बैठता था। वह मुझे अपने बचपन की कहानियाँ सुनाया करती थीं। वह बतातीं कि कैसे उनका जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका बचपन बहुत ही साधारण था, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा था। जब वह 10 साल की थीं, तो उनके पिता का देहांत हो गया था। उनके ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियाँ आ गई थीं। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपनी माँ की मदद की, अपने भाइयों का ख्याल रखा और धीरे-धीरे जीवन के संघर्षों को पार करते हुए अपने पैरों पर खड़ी हुईं।

दादी जी बतातीं कि कैसे पुराने जमाने में लड़कियों के लिए शिक्षा की सुविधाएँ नहीं थीं। उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने अपने घर के काम के साथ-साथ पढ़ाई भी की। गाँव के लोग अक्सर उनकी प्रशंसा करते थे कि इतनी कठिनाइयों के बावजूद भी वह कभी निराश नहीं हुईं और उन्होंने हमेशा आगे बढ़ने का सपना देखा।

जीवन के सबक

दादी जी ने मुझे जीवन के बहुत से महत्वपूर्ण सबक सिखाए। वह कहतीं, "बेटा, जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, लेकिन हमें हमेशा धैर्य और साहस से काम लेना चाहिए। समय बदलता है, और अगर हम अपने अंदर की हिम्मत को कभी नहीं खोएंगे, तो कोई भी मुश्किल हमारे रास्ते में नहीं आएगी।"

एक बार गाँव में बहुत बड़ा अकाल पड़ा था। उस समय लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था। दादी जी ने अपनी घर की सारी फसल और अनाज गाँव के लोगों में बाँट दिया। उन्होंने खुद भूख को सहा, लेकिन किसी को भूखा नहीं रहने दिया। वह कहतीं, "जो तुम दूसरों के लिए करते हो, वही तुम्हारे पास लौटकर आता है।" उनके इसी विचारधारा ने गाँव के लोगों के दिलों में उनके लिए अटूट प्रेम और सम्मान पैदा किया।

बच्चों की मित्र

दादी जी सिर्फ बड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के लिए भी बहुत खास थीं। गाँव के सारे बच्चे उनके घर के आँगन में खेला करते थे। दादी जी बच्चों के साथ समय बिताने में बहुत खुश रहती थीं। वह उन्हें कहानियाँ सुनातीं, उनके साथ खेलतीं, और उन्हें जीवन की छोटी-छोटी बातें सिखातीं। उनके पास एक झूला था, जहाँ वह बच्चों को बिठाकर झुलाया करती थीं। बच्चों को उनकी कहानियाँ सुनने का इतना शौक था कि वे घंटों तक उनके पास बैठे रहते थे।

दादी जी का मानना था कि बच्चों में संस्कार डालना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वह बच्चों को हमेशा सिखातीं कि बड़ों का आदर करो, सच्चाई का साथ दो और मेहनत से कभी मत घबराओ।

अंतिम समय की सीख

जैसे-जैसे दादी जी की उम्र बढ़ती गई, उनका शरीर कमजोर होने लगा, लेकिन उनका मन और दिल पहले की तरह मजबूत था। वह कहतीं, "जीवन तो एक यात्रा है, जो कभी न खत्म होने वाली है।" उन्होंने कभी अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं की। वह हमेशा कहतीं कि जो कुछ भी है, वह भगवान की मर्जी से है।

आखिरकार एक दिन, दादी जी ने अपनी अंतिम साँस ली। गाँव में जैसे मातम छा गया। हर कोई उनके आशीर्वाद के बिना अधूरा महसूस कर रहा था। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में जो प्रेम और सिखावन दी, वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेगी। गाँव के लोग आज भी उनकी याद में हर साल एक बड़ा आयोजन करते हैं, जहाँ उनकी कहानियों को सुनाया जाता है और उनके द्वारा दी गई सीखों को याद किया जाता है।

निष्कर्ष

दादी जी ने अपने जीवन से हमें यह सिखाया कि प्रेम, सेवा, और सच्चाई ही जीवन के असली मूल्य हैं। उनके बिना जीवन अधूरा लगता है, लेकिन उनकी यादें और शिक्षाएँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने हमें सिखाया कि मुश्किलें चाहे कितनी भी हों, हमें हमेशा अपने हौसले और मेहनत से आगे बढ़ना चाहिए। उनके आशीर्वाद से ही आज गाँव की खुशहाली कायम है, और वह हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।

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