झारखण्ड के अपवाह तंत्र की व्याख्या एवं इसकी विशेषता बतायें ? Explain the drainage system of Jharkhand and give its characteristics?
झारखण्ड के अपवाह तंत्र की व्याख्या एवं इसकी विशेषता बतायें ?
किसी भी भू-भाग पर जल संसाधन और अपवाह तंत्र का विकास उस स्थान की संरचना, उच्चावचीय ढाल और वर्षा
की मात्रा पर निर्भर करती है। झारखण्ड के भौतिक स्वरूप एवं उच्चावच पर दृष्टिपात करे ,तो ज्ञात होता है की इस भू-खण्ड
की ढाल गंगा की ओर या उत्तर की ओर तथा दक्षिण एवं पुरब की ओर है। इसी कारण वर्षा का जल, पठारी क्षेत्रों की
घाटियों का अनुसरण करते हुए इन्हीं ढालों के अनुरूप प्रवाहित होती है।
झारखण्ड में प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदियों का
वर्णन निम्न है-
1. दामोदर नदी- छोटानागपुर के
पठारी भाग में लातेहार जिले के टोरी क्षेत्र
में इस नदी का उद्गम स्थित है। लातेहार जिले से निकल कर चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद होते हुए बंगाल में
प्रवेश करती है।
झारखण्ड में 290 किलोमीटर प्रवाहित होने के उपरान्त ये नदी बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है। इस नदी की सहायक नदियों में
बराकर,
बोकारो, कोनार, जमुनिया, कतरी इत्यादि प्रमुख
है।
प्राचीन साहित्य में इस का नाम देव नदी के रूप में
उल्लेखित है। प्रत्येक वर्ष मुख्यतः बंगाल में बाढ़ लाने के कारण इसे बंगाल का शोक के नाम से भी जाना जाता
है। हालांकि दामोदर नदी घाटी परियोजना के द्वारा निर्मित विभिन्न बांधों के माध्यम से बाढ़ की
विभीषिका को काफी हद तक नियंत्रित किया जा चुका है। झारखण्ड में इस नदी के किनारे औद्योगिक क्षेत्र
के विकास के कारण ये नदी काफी प्रदूषित हो चुकी है।
2. बराकर- यह नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर हजारीबाग,गिरीडीह, धनबाद जिले से होकर पश्चिम बंगाल की सीमा में प्रवेश करती है। जहां यह नदी
दामोदर से मिल जाती है। अन्य पठारी नदियों के समान ही यह भी मौसमी नदी है। दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत बराकर नदी पर मैथन डेम का निर्माण
किया गया है।
3. दक्षिण कोयल- छोटानागपुर के
पठार से रांची के नगड़ी गांव से निकली यह नदी उड़ीसा में शंख नदी में मिल जाती है। कारो इसकी सहायक
नदी है। इसका अपवाह क्षेत्र लोहरदगा, गुमला, पश्चिम सिंहभूम और रांची में है।
4. स्वर्णरेखा- यह दक्षिण
छोटानागपुर के पहाड़ी भू-भाग में रांची जिले के
नगड़ी गांव से निकलती है। रांची जिले से बहती हुई यह सिंहभूम जिले में प्रवेश करती है।
जहां से ये ओड़िसा में प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में स्वतंत्रत रूप से गिरती है।
पठारी भाग के चट्टानों वाले क्षेत्र से प्रवाहित होने के कारण गहरी घाटियों
एवं जल प्रपातों का निर्माण करती है। जिसमें हुण्डरू जल
प्रपात प्रमुख है। इसके प्रमुख
सहायक नदियों में कोकरो, कांची, खरकई प्रमुख है।
5. उत्तरी कोयल- यह नदी रांची के पठार के मध्य भाग से निकलकर पाट क्षेत्र में
घुमावदार पथ बनाती हुई उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। औरंगा एवं अमानत इसकी प्रमुख
सहायक नदियां है जबकि इसका प्रवाह क्षेत्र रांची, हजारीबाग और पलामू है।
इसी नदी पर झारखण्ड की सबसे ऊंचा जल प्रपात बुढ़ा घाघ स्थित है।
6. मयूराक्षी- यह नदी देवघर
जिले के उत्तर-पूर्वी किनारे स्थित त्रिकुट पहाड़ी
से निकलती है। झारखण्ड के इस एक
मात्र नौगम्य नदी का अपवाह क्षेत्र दुमका
साहेबगंज, देवघर और गोड्डा
है। यहां से यह नदी बंगाल में प्रवेश कर जाती है एवं हुगली से मिल जाती है। इसके सहायक नदियों में
टिपरा,
पुसरो, मुंनबिल, दउना इत्यादि प्रमुख
है।
7. अजय नदी- देवघर और दुमका
में बहने वाली इस नदी का उद्गम बिहार
के मुंगेर में स्थित है। ये पश्चिम बंगाल में हुगली से
मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में पथरो, जयंती प्रमुख है।
8. गुमानी नदी- यह राजमहल की पहाड़ीयों से निकल कर प्रवाहित होते हुए गंगा से मिल जाती है।
मेरेल इसकी सहायक नदी है।
9.ब्राम्हणी नदी- दुमका जिले के
उत्तर में स्थित दुधवा पहाड़ी से इस नदी
का उद्गम होता है। पश्चिम बंगाल में यह गंगा से मिल जाती
है। गुंमरो
एवं ऐरो इसकी प्रमुख सहायक नदियां है।
10. बांसलोई नदी- इसका उद्गम गोड्डा जिले के बांस पहाड़ी है। यह पूर्व की ओर बहती हुई। दुमका जिले की उत्तरी सीमा बनाते हुए
उसे गोड्डा और पाकुड़
से अलग करती है तथा पश्चिम बंगाल में हुगली से मिल जाती है।
11. शंख नदी- इसका उद्गम गुमला जिले के चैनपुर प्रखण्ड में है जो आगे चलकर दक्षिण कोयल नदी से मिल जाती है।
12. सकरी नदी- उत्तरी
छोटानागपुर के पठारी भाग से निकले इस नदी का उपनाम सुमागधी है। किउल एवं मोहर इसकी सहायक नदियां है। यह नदी गंगा में मिल जाती है। इनके अलावा फल्गु, पुनपुन, चानन इत्यादि प्रमुख
नदियों का उद्गम क्षेत्र झारखण्ड में है।
झारखण्ड की नदियों की विशेषता :-
- झारखण्ड से उत्तर प्रवाहित नदियां पठारी भाग से उतरकर मैदानी भाग में मंद गति वाली हो जाती है। जबकि दक्षिण भाग में ढाल ज्यादा होने के कारण इसकी गति अपेक्षाकृत तीव्र होती है।
- यहां की नदियों का मार्ग कम चौड़ा होता है।
- यहां की नदियाँ बरसाती है। वर्षा ऋतु में जल की मात्रा अधिक हो जाने के कारण आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ लाती है। जबकि ग्रीष्म काल में लगभग यह नदियां सूख जाती है।
- कठोर चट्टानी क्षेत्र होने के कारण भौ-गर्भिक जल स्रोत नहीं है। भूमिगत जल का स्तर नदियों के जल स्तर से अलग होता है।
- मयूराक्षी नदी को छोड़कर झारखण्ड की अन्य नदियां नौकागम नहीं है।
- जलप्रपात झारखण्ड की नदियों की प्रमुख विशेषतायें है।
झारखंड की नदियां और उद्गम स्थल
नदियाँ | उद्गम स्थान |
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नदियाँ1. दामोदर नदी | उद्गम स्थानदामोदर नदी पूरे झारखंड की सबसे लंबी नदी है । यह छोटानागपुर के उत्तरी भाग टोरी क्षेत्र से निकलती है | |
नदियाँ2. बराकर | उद्गम स्थानबराकर नदी उत्तरी छोटानागपुर पठार के उत्तरी हजारीबाग से निकलती है । |
नदियाँ3. दक्षिण कोयल | उद्गम स्थानदक्षिणी कोयल नदी छोटानागपुर के पठार से निकलती है । |
नदियाँ4. स्वर्णरेखा | उद्गम स्थानछोटानागपुर का पठार ( रांची का नगड़ी गांव ) |
नदियाँ5. उत्तरी कोयल | उद्गम स्थानउत्तरी कोयल नदी का उद्गम स्थल रांची पठार है । |
नदियाँ6. मयूराक्षी | उद्गम स्थानतिउर / त्रिकुट पहाड़ी ( देवघर ) |
नदियाँ7. अजय नदी | उद्गम स्थानमुंगेर ( बिहार ) |
नदियाँ8. गुमानी नदी | उद्गम स्थानगुमानी नदी का उद्गम स्थल राजमहल पहाड़ी से निकलती है । |
नदियाँ9.ब्राम्हणी नदी | उद्गम स्थानदुधवा पहाड़ी ( दुमका जिला के उत्तर में स्थित ) |
नदियाँ10. बांसलोई नदी | उद्गम स्थानबांस पहाड़ ( गोड्डा जिला ) |
नदियाँ11. शंख नदी | उद्गम स्थानचैनपुर प्रखंड ( गुमला जिला ) |
नदियाँ12. सकरी नदी | उद्गम स्थानउत्तरी छोटानागपुर का पठार |
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