jpsc मैन्स नोट्स फ्री पीडीएफ डाउनलोड पेपर 3 आधुनिक भारत का इतिहास टॉपिक (बंगाल का विभाजन )
झारखण्ड लोक सेवा आयोग (JHARKHAND PUBLIC SERVICE COMMISSION (JPSC)
सेलेबस पर आधारित क्वेश्चन आंसर राइटिंग ( syllabus based mains question answer writing )
प्रश्न : बंगाल के विभाजन ने भारत के स्वतंत्रता
संग्राम की दिशा को किस प्रकार
प्रभावित किया ?
उत्तर- ब्रिटिश सरकार के अनुसार
1905 में बंगाल का विभाजन प्रशासनिक सुविधा दृष्टि से किया गया मगर बंग-भंग का मूलभूत उद्देश्य बंगाल
में विकसित एवं सशक्त हो रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करना तथा सम्प्रदायवाद को प्रोत्साहन देना
था। फलतः
बंगाल-विभाजन के विरुद्ध तीव्र प्रतिक्रिया हुई जिसने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा और दशा को भी प्रभावित किया ।
भारतीय राष्ट्रवादियों ने बंग-भंग को एक प्रशासनिक
कार्यवाही न मानकर भारतीय राष्ट्रवाद के लिए चुनौती माना । 7 अगस्त 1905 को बंग-भंग
विरोधी आंदोलन आरंभ हो गया |
धरना, प्रदर्शन तथा जनसभाएँ बड़े पैमाने पर आयोजित किए गए। शीघ्र ही इस आंदोलन का विस्तार देश के कई भागों में हो गया। महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, मध्य भारत, दक्षिण भारत तथा दिल्ली, मुल्तान, कांगड़ा इस आंदोलन के मुख्य केन्द्र थे । इस प्रकार इस आंदोलन ने अखिल भारतीय स्वरूप एवं राष्ट्रीय स्वरूप ग्रहण कर लिया और स्वतंत्रता संग्राम के क्षेत्रीय दायरे का विस्तार भारतव्यापी हो गया ।
इस आंदोलन की मुख्य रणनीति के अन्तर्गत स्वदेशी एवं
बहिष्कार पर बल दिया ।
स्वदेशी ने आत्म-शक्ति एवं आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित किया, वहीं बहिष्कार ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर किया। आगे 'स्वदेशी' एवं 'बहिष्कार' स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख अस्त्र बन गए ।
इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के सामाजिक आधार को भी
विस्तृत किया । यह पहला अवसर था जब महिलाओं, छात्रों, मजदूरों, किसानों सहित जनसाधारण ने आंदोलन खुलकर और सक्रिय रूप से भाग लिया था । यद्यपि
इस आंदोलन में मुस्लिमों की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही लेकिन अब्दुल रसूल, लियाकत हुसैन जैसे
लोकप्रिय मुस्लिम नेताओं की आंदोलन में सक्रियता से भविष्य में राष्ट्रीय आन्दोलन में मुस्लिमों
की भागीदारी की संभावनाओं को सुनिश्चित किया ।
इस आंदोलन के दौरान विकसित जुझारू मानसिकता एवं बाद में
उभरी आंदोलन की दिशाहीनता ने
आंतकवादी विचारधारा को प्रोत्साहित किया।
इसी दौरान कई आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आए । मुजफ्फरपुर बम कांड आतंकवादी
रणनीति की ही परिणति थी।
इस आंदोलन ने सांस्कृतिक गतिविधियों (साहित्य, संगीत, चित्रकला आदि), स्वदेशी शिक्षण संस्थाओं तथा स्वदेशी उद्योगों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया ।
इस आंदोलन का एक निराशाजनक पक्ष यह रहा कि इसके दौरान उग्रराष्ट्रवादियों द्वारा अपनाए गए कार्यक्रमों (गणपति पूजा, शिवाजी महोत्सव, कालीपूजा, गंगा स्नान आदि) एवं ब्रिटिश सरकार की नीतियों के कारण सम्प्रदायवाद का विकास हुआ । भविष्य सवतंत्रता-संग्राम को कमजोर करने के लिए अंग्रेजों ने सम्प्रदायवाद का इस्तेमाल किया जिसकी चरम परिणति भारत-विभाजन के रूप में सामने आई ।
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