jpsc मैन्स नोट्स फ्री पीडीएफ डाउनलोड पेपर 5 विज्ञान और प्रौद्योगिकी टॉपिक (ट्रांसजेनिक फसलें क्या हैं ?)
झारखण्ड लोक सेवा आयोग (JHARKHAND PUBLIC SERVICE COMMISSION (JPSC)
सेलेबस पर आधारित क्वेश्चन आंसर राइटिंग ( syllabus based mains question answer writing )
प्रश्न : ट्रांसजेनिक
फसलें क्या हैं ? यह प्रौद्योगिकी
किस प्रकार भारतीय कृषि को
प्रभावित करेगी ?
(What are the trangenic crops? How this technology is going to
effect the Indian agricultural scene?)
उत्तर-ट्रांसजेनिक कृषि से
उत्पन्न फसलों का ट्रांसजेनिक फसल कहते हैं। ट्रांसजेनिक कृषि के अन्तर्गत विभिन्न
फसलों के प्राकृतिक जीन में कृत्रिम उपायों द्वारा किसी दूसरे पौधे के जीन का भाग जोड़
दिया जाता है अथवा, इनकी मूल संरचना
को परिवर्तित कर दिया जाता है। इस
प्रकार ट्रांस जेनिक फसलों का विकास अपने स्वाभाविक जीनों के अलावा कुछ बाह्य जीनों के
साथ होता है, अर्थात् इनमें
प्राकृतिक गुणों के आंतरिक कुछ बाह्य गुण आनुवांशिक तकनीक द्वारा प्रविष्ट करा दिए जाते
हैं। इससे निम्नलिखित लाभ होते हैं-
(i) सूखा, लवणता, विभिन्न रोगों एवं कीटों
के संदर्भ के प्रतिरोधक क्षमता वाले फसलों
का विकास।
(ii) कम परिवक्तवता
अवधि वाले फसलों का विकास ।
(iii) प्रोटीन, खनिजों आदि की मात्रा में
वृद्धि करके अधिक पौष्टिक बनाना
(iv) फलों, शब्जियों आदि के जीवनकाल
में विकास
ट्रांसजेनिक कृषि से मिलने वाले उपरोक्त लाभों को देखते हुए
यह स्पष्ट है कि यह प्रौद्योगिकी भारतीय कृषि की स्थिति में क्रान्तिकारी एवं
सकारात्मक परिवर्तन में सक्षम है |
इससे सूखा एवं बाढ़ की बारम्बारता से भारत के विभिन्न भागों
में प्रभावित होने वाली कृषि को सुरक्षा मिलेगी, एवं रोगों एवं कीटों के विरुद्ध भी इन्हें प्रभावी सुरक्षा
मिलेगी फलत: कृषि की
उत्पादकता में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र की गरीबी की समस्या, बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर
खाद्यान्न समस्या का समाधान हो सकेगा ।
कृषि आधारित उद्योगों जैसे, चीनी उद्योग सूतीवस्त्र उद्योग आदि के विकास दर
में
वृद्धि हो सकेगी।
भारत में Bt. Cottan ट्रांसजेनिक पौधे के वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति दी जा
चुकी है। यह किस्म कीटरोधी है । इसके अलावा सरसों पर व्यापक
परीक्षण की अनुमति
दी गयी है | Vitamine 'A' से युक्त गोल्डेन राइस का विकास किया गया है।
समस्या / विवाद
- मनुष्य के लिए
खतरनाक सूक्ष्मजीवी पर्यावरण में प्रवेश कर सकते हैं ।
- मानव स्वास्थ्य
पर प्रतिकूल प्रभाव जड़ने की संभावना ।
- जैव विविधता में
कमी ।
-जीन प्रवाह का
खतरा यानि GM किस्म के पौधों
से nonrGM किस्म के पौधों
के जीन का प्राकृतिक
क्रियाओं द्वारा हस्तांतरित होने का खतरा ।
-एक मौलिक समस्या
यह है कि ट्रांसजेनिक प्रजातियों पर परीक्षण अमेरिकी या यूरोपीय जलवायिक या
भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरुप हो रहा है जबकि उसके प्रयोग एवं प्रसार की संभावना
एशिया, अफ्रीका के गरीब
देशों में ज्यादा है।
उपरोक्त समस्याओं के बावजूद कृषि उत्पादकता एवं विविधता में
वृद्धि के मद्देनजर ट्रांसजेनिक फसलें देश के लिए काफी जरूरी है आवश्यकता है
देश के भौगोलिक जलवायविक
परिस्थितियों के अनुरुप शोध एवं विकास की ।
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