CURRENT AFFAIRS IN HINDI (हिंदी करेंट अफेयर्स)

 

CURRENT AFFAIRS IN HINDI




            राष्ट्रीय शिक्षा नीति

 

यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। यह 34 वर्ष पुरानी 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति,1986' का स्थान लेगा।

इसके अंतिम प्रारूप को तैयार करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति गठित हुई थी। भारत द्वारा वर्ष 2015 में अपनाए गए सतत विकास एजेंडा, 2030 के लक्ष्य4

(SDG4) में परिलक्षित वैश्विक शिक्षा विकास एजेंडा के अनुसार, विश्व में वर्ष2030 तक "सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने और जीवन-पर्यंत शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा दिए जाने का लक्ष्य है।"

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की महत्वपूर्ण

बातें :

इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर 'शिक्षा मंत्रालय' किया गया है।यह नीति वर्तमान की 10+2 वाली स्कूली व्यवस्था को 3 से 18 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए पाठ्यचर्या और

शिक्षणशास्त्रीय आधार पर 5+3+3+4 की एक नई व्यवस्था में पुनर्गठित करने की बात करती है। नया स्कूल पाठ्यक्रम संरचना अब 3-8,8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है। नई प्रणाली में 3 वर्ष की आंगनवाड़ी/प्रीस्कूलिंग के साथ 12 वर्ष की स्कूली शिक्षा होगी। एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा।

इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 'बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है। नीति में कम-से-कम कक्षा 5 तक, अच्छा हो कि कक्षा 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है।

राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी का गठन करेंगे। वर्ष 2035 तक जीईआर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना।इसका लक्ष्य व्यावसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (वर्ष 2018) से बढ़ाकर वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत करना है।

उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी। अंडरग्रेजुएट शिक्षा इस अवधि के भीतर विविध एक्जिट विकल्पों तथा उपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्ष की हो सकती है।

उदाहरण के लिए 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक।

देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहु-विषयक शिक्षा के मॉडलों के रूप में IIT, IIM के समकक्ष बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय स्थापित किए जाएंगे। चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप मेंभारत उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा। सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF) का निर्माण किया जाएगा। सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण,

विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, इस नीति द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (IITI) नामक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना की जाएगी। इस नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 100 प्रतिशत युवा और प्रौढ़साक्षरता की प्राप्ति करना है। शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा

देने के लिए, केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, जिससे जीडीपी में इसका योगदान जल्द से जल्द 6 प्रतिशत (वर्तमान में जीडीपी का लगभग 4.4

प्रतिशत है) हो सके।



भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2019

 

30 दिसंबर 2019 को केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 16वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2019 जारी की। यह रिपोर्ट देहरादून स्थिति भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष पर वर्ष 1987 से प्रकाशित हो रही है।

ISFR-2019 के अनुसार, देश में औरवृ  वृक्ष आवरण (Funest and Tree Cover) 8.07.276 वर्ग किमी है, जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.56 प्रतिशत है। देश में वन और  वृक्ष आवरण की स्थिति में वर्ष 2017 की तुलना में 5,188 वर्ग किमी की वृद्धि (0.65 प्रतिशत) हुई है। देश में कुल वनावरण 7.12.249 वर्ग किमी. है,जो कुल क्षेत्र का 21.67 प्रतिशत है।

INFR-2019 के अनुसार क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक  राज्य है- मध्य प्रदेश अरुणाचल प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्रा ISFR-2019 के अनुसार क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण संघीय क्षेत्र है- क्रमशः जम्मू एवं कश्मीर, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, लद्दाख, दादरा एवं नगर हवेली एवं दिल्ली। 

ISFR-2019 के अनुसार, सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले राज्य है- क्रमशः मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश ,मेघालय एवं मणिपुर एवम नागालैंड |

ISFR-2019 के अनुसार, न्यूनतम दनावरण क्षेत्र वाले राज्य है- क्रमशः हरियाणा, पंजाब, गोवा, सिक्किन एवं बिहार

ISFR-2019 के अनुसार, न्यूनतम वनावरण प्रति वराज्य-मशः हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं गुजरात 

ISFR-2019 के अनुसार, सर्वाधिक मैत्रो आयादित राज्य/संघीय क्षेत्र है- क्रमशः पश्चिम बंगाल (2112 वर्ग किमी.), गुजरात (1177 वर्ग किमी.),अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (616 वर्ग किमी.) एवं आंध्र प्रदेश (404 वर्ग किमी.)IISFR-2019 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल वनावरण 14805.65 वर्ग किमी. (कुल भौगोलिक क्षेत्र का 6.15 प्रतिशत) है। 

ISFR-2019 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक वनावरण क्षेत्र वाले जिले हैं- क्रमश सोनन्द्र, लखीमपुर खीरी एवं मिर्जापुर |

ISFR-2019 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वनावरण क्षेत्र वाले जिले हैं- क्रमश संत रविदास नगर, मऊ एवं मैनपुरी।

 


भारत रत्न पुरस्कार, 2019

25 जनवरी, 2019 को राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी वक्तव्य में नानाजी देशमुख (मरणोपरांत), डॉ. भूपेन हजारिक (मरणोपरांत) और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' प्रदान किए जाने की घोषणा की गई। नानाजी देशमुख (चंडिकादास अमृतराव देशमुख) प्रसिद्ध समाजसेवी एवं भारतीय जनसंघ के नेता थे।

उनका जन्म 11 अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के गांव कडोली में हुआ था। वह वर्ष 1977-1979 तक बलरामपुर (उ.प्र.) संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य तथा वर्ष 1999-2005 तक राज्य सभा सदस्य रहे।27 फरवरी, 2010 को उनका निधन चित्रकूट (उ.प्र.) में हुआ था। उन्हें वर्ष 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

नानाजी देशमुख 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले 46वें व्यक्ति तथा मरणोपरांत यह सम्मान पाने वाले 13वें व्यक्ति होंगे।

भूपेन हजारिका असमिया भाषा के प्रसिद्ध कवि, फिल्म निर्माता, लेखक,गीतकार, संगीतकार तथा गायक थे। उन्हें वर्ष 2012 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) तथा दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (वर्ष 1992) से भी सम्मानित किया जा चुका है।

वह 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले 47वें व्यक्ति तथा मरणोपरांत यह सम्मान पाने वाले 14वें व्यक्ति होंगे।

प्रणब मुखर्जी वर्ष 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। वह 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले 48वें व्यक्ति होंगे।

भारत रत्न पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1954 में हुई थी।


 


 

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