JPSC EXAM MAINS ( पेपर 5 भारतीय संविधान और राजनीति विज्ञान) QUESTION ANSWER

 

JPSC EXAM MAINS


भारतीय संविधान में लिखित मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख कीजिए।


( describe the fundamental duties as enumerated in the constitution of india )


उत्तर - मूल कर्तव्य - हमारे देश के मूल संविधान में भाग 3 में व्यक्ति के अधिकार थे (मौलिक अधिकारों के रूप में ),  भाग 4 में राज्य के कर्तव्य थे। 

मगर 1976 से पहले नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था,  लेकिन हमारी परंपरा संस्कृति एवं राष्ट्रीय आंदोलन में  कर्तव्य  पर बहुत बल दिया गया।


1976  में  संवेधनिक  सुधारों  के  लिए  गठित  सरदार  स्वर्ण  सिंह समिति  के  सुझावों  के  अनुरूप  42वे   संविधान  संशोधन अधिनियम  द्वारा  संविधान  के भाग 4 (क)   एवम   अनुच्छेद 51 (ए) में 10   मौलिक   कर्तव्यों   को जोड़ा   गया। इसकी  प्रेरणा सोवियत   रूस के   संविधान   से   मिली।

 पिछले  वर्ष 2002 में 86 वा संविधान संशोधन कर एक और कर्तव्य जोड़ा गया |


फलत: वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 हो गई |
मूल कर्तव्य :-


अनुच्छेद  51  (क )  :  भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह –


(i)   संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों,   संस्थाओं राष्ट्र      ध्वज  और राष्ट्रगान का आदर करें।


(ii)  स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित     करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उसका पालन करें।


(iii)   भारत की संप्रभुता  एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अशुन्न रखे |


(iv)  देश की रक्षा करें और आवहन किए के जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।


(v)  भारत के सभी लोगों में समरसता  और समान  भ्रातृत्व  की भावना का निर्माण करें जो धर्म भाषा , और  प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो ;ऐसी प्रथाओ का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों |


(vi)  हमारी सामाजिक संस्कृति गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परीक्षण करें।


(vii)  प्राकृतिक पर्यावरण की , जिसके अंतर्गत वन , झील , नदी और वन्य जीव है , रक्षा करे और उसका संवर्धन करे  तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखें |


(viii)   वैज्ञानिक दृष्टिकोण , मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे |


(ix)    सार्वजानिक सम्पति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहे ।


(x)      व्यग्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रओ में उत्कर्ष की ओर बढ़ऐ  का प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरंतर से बढ़ते हुए प्रयत्नं और नई उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों को छू ले।


(xi)  माता-पिता अथवा अभिभावक हों तो  अपने  6 से 14 वर्षतक के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करें


 मूल कर्तव्य देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण है क्युकी नागरिको द्वारा इनका पालन देश के विकास को तिव्य करेगा | मूल कर्तव्यो का पालन करने का तरीका यह है कि लोगों को नागरिकता के मूल्यों तथा कर्तव्यो  के बारे में शिक्षित किया जाय और उनमे  पर्याप्त जागृति उत्पन्न किया जाय | तथा एक ऐसे अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जाय


जिसमे प्रतेक नागरिक अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने तथा समाज और देश के प्रति अपने  ऋण चुकाने में गर्व तथा बंधन का अनुभव करे |


मूल कर्तव्य के प्रति नागरिकों को जागरूक बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था एवं जनसंचार माध्यमों की सहायता लेनी चाहिए ताकि नागरिक स्वत: स्फूर्त दंग से इन कर्तव्यो का पालन करें |


इसके लिए राजनीती एवम अन्य क्षेत्रों के नेताओं को जनता के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए  |
 
 

         प्रश्न  भारतीय संविधान को अर्ध संघीय क्यों कहा जाता है परीक्षण          कीजिए ?
         (why is the constitution of india called   quastifederal ?)

उत्तर ----  भारतीय संविधान की प्रकृति संघात्मक है या  एकात्मक , इसके संबंध में विद्वानों   में मतभेद हैं | वस्तुत: यह  ना तो पूर्णता एकात्मक है ना ही संघात्मक  बल्कि इसमें दोनों  संविधान के तत्व विद्यमान है अतः इसे अर्ध-संघीय संविधान कहना अधिक समीचीन है |


         भारतीय संविधान में संघात्मक संविधान के लक्षण  -


                 1.      लिखित संविधान
                 2.     संविधान के सवोर्च्चाता
                 3.     संघ तथा राज्यों के बीच शक्तियों स्पष्ट 
विभाजन        

                 4.      संविधान संसोधन प्रक्रिया की जटिलता
                 5.      स्वतंत्र न्यायपालिका
                  6.     केंद्र तथा राज्यों में पृथक  सरकारे


     संविधान में एकात्मक संविधान के  लक्षण –


    (i)    सदस्यों के बहुमत राज्य सरकारों के अधिकारों का     अतिक्रमण करके राज्य सूची  में  वर्णित किसी विषय पर कानून   बनाने का अधिकार संसद को दे सकती  हैं


 (ii)    राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान संसद राज्य सूची में  वर्णित     विषयों  के संबंध में  कानून बना सकती है


         राज्यों को ये निर्देश दे सकती है  कि कैसे वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करें |
 
         संघ के अधिकारों और राज्य सूची के मामलों के संबंध में प्रशासन के लिए   सशक्त  कर सकती  हैं |


               (iii)    राष्ट्रपति ,केंद्र की सलाह पर राज्य में राष्ट्रपति  शासन की घोषणा कर राज्य   का प्रशासन अपने हाथ में ले सकता है तथा संसद को राज्य  विधायिका की  शक्तियों    का प्रयोग करने के लिए  सशक्त कर सकता है


             (iv)   राष्ट्रपति राज्य में वित्तीय आपात की घोषणा कर राज्य की वित्तीय शक्तियों  को नियंत्रित कर सकता है


              (v)     केंद्र सरकार को राज्य  सरकारों को निर्देश देने की शक्ति दी गई  है और केंद्र   द्वारा दिया गया निर्देश पर बाध्यकारी है |
             (vi)    सांसद राज्यों की सीमा , नाम , क्षेत्र में परिवर्तन क्र     सकता है |


             (vii)    राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा वह अपने   कार्यों के लिए राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदाई है


            (viii)   राज्यपाल विधान मंडल द्वारा पारित कुछ विध्य्को को  राष्ट्रपति के अनुमति के   लिए आरक्षित कर सकता है


            (ix)   केंद्र  अखिल भारतीय सेवाओं के माध्यम से राज्य-     प्रशाशन नियंत्रण रख सकता है |


              इस प्रकार भारतीय संविधान को एकत्म्क और संघात्मक का सम्मिश्रण    कहा जाता है| 

आंबेडकर द्वारा कहा गया की ---

“समय की मांग के अनुसार संघात्मक और एकात्मक हो सकता है “

आस्टिन के अनुसार ---- “सहकारी परिसंघीय संविधान है “

उच्चतम न्यायालय ने भी अपने निर्णय में स्पष्ट किया है की भारत का  संविधान  संघीय है यधपि इसमे कई संघीय लक्षण पाए जाते हैं |

            


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