"जब माउस और कीबोर्ड रूठ गए — कंप्यूटर की ख़ामोशी!"
💻💔 “Keyboard Aur Mouse – Computer Ki Ankahee Kahani”
(एक इमोशनल और सीख देने वाली कहानी)
🔸 कहानी का टाइटल (Title):
"जब माउस और कीबोर्ड रूठ गए — कंप्यूटर की ख़ामोशी!"
एक समय की बात है...
एक नया, चमचमाता कंप्यूटर मार्केट में आया था। हाई स्पीड प्रोसेसर, 16GB RAM, SSD, RGB lights — सब कुछ उसमें था। लोग उसे देखकर जलते थे, उसकी performance के चर्चे थे।
लेकिन उस कंप्यूटर को एक घमंड हो गया था...
“मुझे कौन चला सकता है? मैं खुद ही बहुत कुछ कर सकता हूँ।”
वो बार-बार कीबोर्ड और माउस को नीचा दिखाता:
"तुम दोनों सिर्फ accessories हो, मैं main हूँ!"
कीबोर्ड बोला,
"भाई! हम तुम्हारी आवाज़ हैं। तुम्हारे ज़रिए इंसान बोलता है।"
माउस बोला,
"मैं तुझे दिशा देता हूँ, रास्ता दिखाता हूँ — click, drag, scroll सब मैं कराता हूँ।"
लेकिन कंप्यूटर हँसता,
"तुम दोनों बस छोटे पुर्जे हो, मुझे देखो — Intel i9, RTX graphics, मैं खुद ही काफी हूँ!"
एक दिन... कीबोर्ड और माउस चुपचाप unplug होकर कोने में चले गए।
कंप्यूटर ON हुआ, लेकिन न कुछ टाइप हो पा रहा था, न ही कोई फाइल open हो रही थी।
टच स्क्रीन भी नहीं था।
वो RGB लाइटें तो जल रही थीं... पर कंप्यूटर बस शोर था, काम कुछ नहीं।
कुछ घंटों तक वो चुपचाप पड़ा रहा।
धीरे-धीरे dust जमा होने लगी। लोग आकर देखते, पर बोले:
"इसमें माउस-कीबोर्ड नहीं है? छोड़ो... किसी काम का नहीं है!"
अब कंप्यूटर को एहसास हुआ...
"मेरी ताक़त CPU या specs में नहीं,
मेरी असली जान तो उन दो सच्चे साथियों में थी — कीबोर्ड और माउस!"
वो रोने लगा।
उसकी लाइटें अब सिर्फ झपक रही थीं…
जैसे माफ़ी माँग रही हों।
तभी पीछे से एक आवाज़ आई…
"क्या अब तू हमें अपनी टीम समझता है?"
कंप्यूटर ने देखा — कीबोर्ड और माउस लौट आए थे।
उस दिन से कंप्यूटर ने कभी घमंड नहीं किया।
वो जान गया था कि चाहे सिस्टम कितना भी तेज़ हो —
“बिना कीबोर्ड और माउस के, कंप्यूटर बस एक खामोश डिब्बा है।”
📚 Moral of the Story (सीख):
जैसे कंप्यूटर बिना कीबोर्ड और माउस अधूरा है,
वैसे ही इंसान भी बिना अपने साथियों, परिवार, और दोस्तों के अधूरा है।
हर छोटे से छोटे रोल की अपनी अहमियत होती है।
कभी किसी को कम मत समझो — क्योंकि बड़ा वही होता है, जो सबको साथ लेकर चलता है।
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