"आज का ज्ञान, कल की पहचान है – रंजन सर की पहली क्लास की प्रेरणादायक कहानी"
🖥️ "आज का ज्ञान, कल की पहचान है – एक शिक्षक की प्रेरक कहानी"
कहानी का नाम: "रंजन सर की पहली क्लास"
शैली: प्रेरणादायक | भावनात्मक | यथार्थपरक
💡 भूमिका:
कभी-कभी ज़िंदगी हमें वहां पहुंचा देती है जहाँ हम खुद को एक नई शुरुआत के मुहाने पर पाते हैं। ठीक ऐसा ही हुआ रंजन कुमार शर्मा के साथ — जिन्होंने MCA की पढ़ाई पूरी की और एक सपना देखा: दूसरों को तकनीक की रोशनी दिखाने का। वो सिर्फ एक शिक्षक नहीं बनना चाहते थे, वो "पहचान" दिलाना चाहते थे – गरीब, अनजान, और छोटे शहर के बच्चों को।
👨🏫 पहला दिन, पहली क्लास:
सुबह 9 बजे DDU के क्लासरूम में पहली बार कदम रखते हुए रंजन सर के दिल में हल्की घबराहट थी।
बच्चे शरारती थे, कुछ डरे हुए, कुछ उदासीन। लेकिन जैसे ही उन्होंने बोर्ड पर लिखा:
"आज का ज्ञान, कल की पहचान है।"
पूरा कमरा शांत हो गया।
"क्या आप में से कोई जानता है कंप्यूटर क्या होता है?" — उन्होंने पूछा।
कुछ ने सिर हिलाया, कुछ ने डरते हुए कहा – "हमें नहीं आता, सर।"
लेकिन रंजन सर मुस्कुराए और बोले,
"नहीं आता, तो सीखेंगे। यही तो मेरा काम है – आपको सिखाना, आपको पहचान दिलाना।"
🌱 बदलाव की शुरुआत:
धीरे-धीरे, हफ्ते बीते और वो बच्चे जो कभी कंप्यूटर से डरते थे, अब MS Word पर Resume बना रहे थे।
एक लड़की, नेहा, जो पहले दिन डर के मारे बोल भी नहीं पा रही थी, अब पूरे क्लास को इंटरनेट ब्राउज़िंग सिखा रही थी।
एक लड़का राहुल, जो मजदूरी करता था, अब अपने गाँव में लोगों को ऑनलाइन फॉर्म भरना सिखा रहा था।
इन सबकी एक ही जुबान थी:
"रंजन सर ने हमें सिर्फ कंप्यूटर नहीं सिखाया, उन्होंने हमें पहचान दी है।"
🏆 अंतिम संवाद (Conclusion):
रंजन सर अब हर दिन क्लास के अंत में एक ही बात दोहराते हैं:
"अगर आपने आज कुछ नया सीखा है, तो समझो आपने अपने कल को बेहतर बना लिया है।"
और यही बन गया उनका संदेश, उनकी पहचान, और सैकड़ों छात्रों के भविष्य का रास्ता।
✨ सीख:
एक सच्चा शिक्षक सिर्फ किताब नहीं पढ़ाता, वो ज़िंदगी की राह दिखाता है।
"आज का ज्ञान, कल की पहचान है" सिर्फ एक लाइन नहीं, एक सोच है — जो देश के हर कोने में रोशनी फैला सकती है।
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