गाँव का आखिरी पंछी
गाँव का आखिरी पंछी
भूमिका:
यह कहानी एक छोटे से गाँव की है जहाँ सभी लोग आपस में मिल-जुल कर रहते थे। गाँव की खासियत थी वहाँ के खुले आकाश में उड़ते पंछी, जो दिनभर खेतों में चहचहाते रहते थे। परंतु एक दिन ऐसा आया जब सारे पंछी गाँव छोड़कर चले गए, सिवाय एक के।
कहानी:
राजू, गाँव का सबसे नटखट लड़का, हमेशा पंछियों को देखकर खुश हो जाता था। वह हर सुबह उठकर उन्हें दाने खिलाने जाता और उनके साथ समय बिताता। गाँव के लोग भी पंछियों को अपने जीवन का हिस्सा मानते थे। लेकिन धीरे-धीरे गाँव में शहरीकरण का असर दिखने लगा। नई सड़कें बनीं, बड़े-बड़े मकान बनने लगे और पेड़ काट दिए गए।
अब पंछियों के लिए रहने का स्थान नहीं बचा था। धीरे-धीरे पंछी गाँव से उड़कर दूसरी जगह चले गए। राजू ने देखा कि उसका पसंदीदा पंछी, जिसे वह प्यार से "मिट्ठू" बुलाता था, भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। उसकी आंखों में उदासी छा गई।
ट्विस्ट:
एक दिन राजू ने गाँव के पुराने बरगद के पेड़ पर मिट्ठू को अकेले बैठा देखा। वह दौड़ता हुआ उसके पास गया। मिट्ठू ने राजू की ओर देखा और मानो उसकी बात समझ ली हो। राजू ने मिट्ठू से कहा, "तुम क्यों नहीं जा रहे हो? सब पंछी चले गए।" मिट्ठू चुपचाप बैठा रहा, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग चमक थी।
राजू ने महसूस किया कि मिट्ठू ने गाँव छोड़ने का फैसला नहीं किया था क्योंकि वह अभी भी अपने पुराने घर को अपना मानता था। उस दिन राजू ने ठान लिया कि वह गाँव को फिर से हरा-भरा बनाएगा, ताकि पंछी वापस आ सकें।
अंत:
राजू ने गाँव के सभी लोगों को इकट्ठा किया और उनसे गुजारिश की कि वे पेड़ लगाने में उसकी मदद करें। गाँव के लोग राजू की मेहनत को देखकर प्रेरित हुए और धीरे-धीरे पूरे गाँव में नए पेड़ लगाए जाने लगे। कुछ महीनों बाद, गाँव का आसमान फिर से चहचहाने लगा। पंछी वापस आ गए और राजू का मिट्ठू हमेशा के लिए उसके साथ रह गया।
सीख:
यह कहानी प्रकृति और इंसान के बीच के संबंध को दिखाती है। अगर हम अपनी धरती और पर्यावरण का ख्याल नहीं रखेंगे, तो जो चीजें हमें खुशी देती हैं, वे हमसे दूर हो जाएंगी। इसलिए हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए।
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